गेहूं निर्यात पर अचानक रोक के सरकारी फैसले के एक पखवाड़े बाद मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में बड़े गेहूं किसान राम लाल मीणा को बढिय़ा गुणवत्ता वाला अपना 500 क्विंटल गेहूं बेचने में दिक्कत आ रही है। इस रोक से उनकी उम्मीद टूट गई है। अभी तक गेहूं का भाव 2,150 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से करीब 250 रुपये ऊपर जाने का इंतजार कर रहे थे ताकि गेहूं बेचा जा सके। मार्च के आखिर में गेहूं के भाव तेज रहने के कारण मीणा ने सरकारी खरीद केंद्रों को फसल बेचने के लिए बार-बार आ रहे संदेशों की अनदेखी कर दी। मगर अब उन्हें अपने फैसले पर पछतावा हो रहा है। गेहूं निर्यात पर रोक के बाद खुले बाजार में गेहूं के दाम 2,400 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 2,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। मीणा ने उज्जैन से फोन पर कहा, 'मैं कुछ दिन कीमतें चढऩे का इंतजार कर रहा हूं। उसके बाद मेरे पास घाटा उठाकर स्थानीय खरीदारों को बेचने के अलावा और कोई चारा नहीं है।' उज्जैन से मीलों दूर एक प्रमुख वैश्विक अनाज कारोबारी पश्चिम भारत के एक बदरगाह पर जहाज को जगह मिलने का इंंतजार कर रहे हैं। यह जहाज गेहूं का निर्यात रोके जाने के कुछ घंटों बाद 13 मई को रात में पहुंचा था। व्यापारी ने कहा, 'यह जहाज तड़के 4 बजे पहुंचा और तब से इंतजार कर रहा है क्योंकि अधिकारी समयसीमा गुजरने के कारण इसे लदाई की मंजूरी नहीं दे रहे हैं।' हाल में कुछ जहाजों को आवाजाही की मंजूरी दी गई है, लेकिन उनमें से सभी को पूरी मंजूरी नहीं मिली है। खबरें हैं कि निर्यात के सौदे करने वाले स्थानीय अनाज व्यापारी अब करार तोड़े जाने पर अदालतों में जाने की धमकी दे रहे हैं क्योंकि बहुत से व्यापारियों ने निर्यात का रास्ता नहीं मिलने के कारण अनुबंध पूरे करने से इनकार कर दिया है। जो कंपनियां भारी मात्रा मेंं निर्यात का इंतजार कर रही थीं, वे अब अप्रत्याशित घटनाक्रम के प्रावधान का इस्तेमाल कर रही हैं ताकि विदेशी खरीदारों की मध्यस्थता प्रक्रिया से बचा जा सके। पूरी मूल्य शृंखला में भारत का गेहूं व्यापार निर्यात पर अचानक प्रतिबंध से अनिश्चितता में फंस गया है। इस रोक में उस निर्यात को अपवादस्वरूप मंजूरी दी गई, जिसमें लैटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) 13 मई को या उससे पहले जारी किए गए थे और उन्हें रद्द नहीं किया जा सकता था। मगर इसके लिए एलसी को सबूत के तौर पर देना था। उसके सत्यापन के बाद ही पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी किए जाने थे। लेकिन सरकार को गेहूं निर्यात अनुबंधों की कुल मात्रा से अधिक के एलसी मिल गए हैं। इससे संदेह हो रहा है कि गेहूं का निर्यात कराने के चक्कर में गुजरी तारीख के एलसी जारी किए जा रहे हैं। सूत्रों ने कहा कि सत्यापन के लिए करीब 55 लाख टन गेहूं के एलसी सौंपे गए हैं, जबकि 45 लाख टन के ही अनुबंध होने का अनुमान है। जांच में सड़क के रास्ते परिवहन के लिए करीब 10 लाख टन गेहूं के एलसी सही पाए गए हैं और बाकी की जांच की जा रही है। इस उठापटक के बीच पिछले एक पखवाड़े के दौरान गेहूं की कीमत में खुले बाजार में बहुत अधिक गिरावट नहीं आई है और न ही सरकारी खरीद में भारी तेजी आई है। भारत में गेहूं की कमी नहीं: तोमर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भारत में गेहूं की कोई कमी नहीं है, लेकिन केंद्र ने इस खाद्यान्न की अनियंत्रित विदेशी बिक्री पर अंकुश के लिए गेहूं पर निर्यात प्रतिबंध लगाया है। संवाददाताओं के साथ बातचीत में तोमर ने कहा कि बाजार में संतुलन रखना सरकार का फर्ज है। मंत्री ने कहा, 'हमारे लिए राष्ट्र हित सर्वोपरि है और यही वजह है कि देश में गेहूं की कोई कमी नहीं है। बाजार में संतुलन कायम रखना सरकार का कर्तव्य है, इसलिए हमने खाद्यान्न के अनियंत्रित निर्यात को नियंत्रित करने के लिए प्रतिबंध लगाया है।'
