पिछले कुछ सप्ताहों के दौरान बाजारों के लिए राह उतार-चढ़ाव भरी रही है। कई प्रयासों के बावजूद, सूचकांक बढ़त कायम रखने में विफल रहे और वैश्विक तथा घरेलू रुझानों से दबाव के शिकार हुए। कई विश्लेषकों को 2022 में बाजारों के अस्थिर बने रहने का अनुमान है, लेकिन उनका मानना है कि पूरे वर्ष शेयर-केंद्रित अवसर बने रहेंगे। विश्लेषक इसे लेकर सतर्क हैं कि बाजार कब निचले स्तर पर आएंगे, क्योंकि अगले कुछ सप्ताहों के दौरान घरेलू और वैश्विक घटनाक्रम को देखते हुए मौजूदा स्तरों से बाजार का अंदाजा लगाना आसान नहीं होगा। हालांकि रूस-यूक्रेन यूद्घ से संबंधित वैश्विक स्तर पर घटनाक्रम और जिंस बाजारों, खासकर तेल एवं गैस के लिए उनके असर से बाजार अस्थिर बने रहेंगे, वहीं आरबीआई की दर वृद्घि का भी बाजारों में पूरी तरह से प्रभाव नहीं दिखा है। एमआईबी सिक्योरिटीज इंडिया में मुख्य कार्याधिकारी जिगर शाह ने कहा, 'आरबीआई की प्रतिक्रिया अब तक मुद्रास्फीति में तेजी पर लगाम लगाने के लिहाज से पर्याप्त नहीं है। दरों में 50 आधार अंक की वृद्घि का अनुमान है। 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल अब करीब 7.5 प्रतिशत के स्तरों पर पहुंच गया है और इसमें अन्य 50 आधार अंक की तेजी आ सकती है। जून की संभावित वृद्घि का अब तक असर नहीं दिखा है। जून में आरबीआई द्वारा दरें बढ़ाने पर बाजार में गिरावट आ सकती है। मेरा सुझाव है कि निवेशक बाजार में गिरावट पर अच्छे ब्लू-चिप शेयरों को खरीदें। दिसंबर 2022 के लिए निफ्टी का मेरा लक्ष्य 14,660 है, जो सूचकांक के लिए काफी खराब परिवेश है।' कैलेंडर वर्ष 2022 में अब तक बीएसई के सेंसेक्स और निफ्टी-50 में करीब 7-7 प्रतिशत की कमजोरी आई है। मिडकैप और स्मॉलकैप में भी भारी गिरावट दर्ज की गई और ये दोनों सूचकांक इस अवधि के दौरान बीएसई पर 10 से 11 प्रतिशत के बीच गिरे। हालांकि पिछले एक सप्ताह में कुछ सुधार आया है, क्योंकि सेंसेक्स और निफ्टी-50 में उतार-चढ़ाव के बीच करीब 2.5 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के अनुसार विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा बिकवाली पिछले एक साल में करीब सभी उभरते बाजारों में दर्ज की गई। चालू कैलेंडर वर्ष में भी भारतीय बाजारों से 22 अरब डॉलर से ज्यादा की निकासी दर्ज की गई है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की रिपोर्ट में कहा गया है, 'निफ्टी के लिए मौजूदा सुधार 17,000 के स्तरों तक देखा जा सकता है। हालांकि 15,600 उसके लिए बेहद महत्वपूर्ण स्तर बना रहेगा।' अबैकस ऐसेट मैनेजर के सुनील सिंघानिया का मानना है कि तेल और जिंस कीमतों में गिरावट मुद्रास्फीति की आशंकाओं को कुछ हद तक दूर कर सकती है और इससे बाजारों में तेजी को बढ़ावा मिल सकता है। ऐंटीक ब्रोकिंग के इंडिया इक्विटी रणनीतिकार एवं अर्थशास्त्री पंकज छाओछरिया को भारतीय इक्विटी बाजार में अब यहां से सीमित गिरावट के आसार हैं, क्योंकि ज्यादातर जोखिमों का असर दिख चुका है।
