देश में 'शेयर्ड इकॉनमी' क्षेत्र के सेवा प्रदाताओं के लिए जल्द ही पैमाने बन सकते हैं। उपभोक्ताओं की ओर से बढ़तीं शिकायतों और डिजिटल कंपनियों की उपभोक्ताओं के बीच बढ़ती पैठ को मद्देनजर रखते हुए सरकार शेयर्ड इकॉनमी के लिए मानक बनाने की सोच रही है। यह काम उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के तहत आने वाला भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) कर रहा है। भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय मानक संगठन (आईएसओ) की पहल की तर्ज पर ही शेयर्ड इकॉनमी के लिए मानक लाने का प्रयास कर रही है। बीआईएस इस बारे में आईएसओ के साथ संपर्क में है और इंटरनेट आधारित कैब सेवा प्रदाताओं के लिए मानकों पर उसे कुछ जानकारी भी दी है। सरकार सेवा क्षेत्र के लिए मानक तैयार कर रही है और 'शेयर्ड इकॉनमी' सेवा मानक इस बड़ी कार्य योजना का हिस्सा है। फिलहाल भारत में सेवा क्षेत्र के लिए मानक नहीं हैं। देश में सभी उत्पादों के लिए बीआईएस मानक उपलब्ध कराता है। इन उत्पादों में उपभोक्ता वस्तुओं से लेकर इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं तक शामिल हैं। इस मामले में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय को भेजे गए ई-मेल का कोई जवाब नहीं आया और बीआईएस के प्रतिनिधि से भी संपर्क नहीं हो सका। लोकलसर्कल्स के संस्थापक सचिन तापडिय़ा ने कहा, 'उपभोक्ताओं से प्राप्त जानकारी के आधार पर लोकलसर्कल्स 2018 में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और बीआईएस से संपर्क किया था और उन्हें ने भारत में सेवाओं के लिए मानक शुरू करने की बढ़ती जरूरत बताई थी।' लोकलसर्कल्स सेवा मानकों के लिए कई सरकारी उप-समितियों में शामिल है। तापडिय़ा ने कहा, 'भारत में जिस तरह उत्पादों के लिए मानक तय हैं उसी तरह शेयरिंग इकॉनमी, ई-कॉमर्स, खुदरा, भुगतान, बिक्री उपरांत सेवा क्षेत्रों में सेवाओं के लिए मानकों की जरूरत है। मानक तय होने से उपभोक्ताओं की शिकायतें काफी हद तक कम हो जाएंगी।' 'शेयर्ड इकॉनमी' में मुख्य रूप से शेयर्ड मोबिलिटी (ओला/उबर), को-वर्किंग (वीवर्क), को-लिविंग (ओयो, स्टैंजालिविंग आदि), किराये पर फर्नीचर की सेवा (फर्लेन्को आदि) आते हैं। मामले की जानकारी रखने वाले दूसरे स्रोत ने कहा, 'शुरुआत 'शेयर्ड इकॉनमी' से हो रही है मगर उनमें वे अधिकांश इकाइयां आएंगी जो डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रही हैं और सेवा दे रही हैं। ये मानक आईएसओ द्वारा तैयार किए जा रहे मानकों के साथ जोड़ दिए जाएंगे।' अब तक ऐसी 32 सेवाओं की पहचान की जा चुकी है। इनमें यात्रा/टिकट सेवाएं, ई-फार्मेसी, क्विक कॉमर्स, डिलिवरी सेवा, इंटरनेट पर ऑर्डर लेकर खान-पान देने वाली सेवाएं, भुगतान सेवाएं और आतिथ्य सहित विभिन्न सेवाएं आती हैं। 25 अप्रैल को बीआईएस द्वारा आयोजित एक बैठक में भाग ले चुके एक सूत्र ने बताया, 'डिजिटल मंच पर सेवाएं देने वाली इकाइयां उपभोक्ताओं को काफी सहूलियत दे रही हैं और उन्हें उत्पादों पर अच्छी छूट भी देती हैं। मगर गोपनीयता, विश्वसनीयता एवं भरोसे से संबंधित कई विषयों पर कदम उठाने की जरूरत है।क्या है शेयर्ड इकॉनमी? 'शेयर्ड इकॉनमी' वह व्यवस्था है, जिसमें एक ही संसाधन या सेवा का साझा इस्तेमाल कई लोग करते हैं। आम तौर पर इसके लिए डिजिटल माध्यम की मदद ली जाती है। इसमें ओला-उबर जैसी कैब सेवाएं, वीवर्क जैसी को-वर्किंग (जहां अलग-अलग कंपनियों के कर्मचारी एक ही छत तले बैठकर काम करते हैं), ओयो जैसी को-लिविंग सेवा, पीयर टु पीयर लेंडिंग (एक व्यक्ति द्वारा दूसरे व्यक्ति को कर्ज देना) और किराये पर फर्नीचर देने वाली फर्लेन्को जैसी सेवाएं शामिल की जा सकती हैं।
