रेल मंत्रालय नव प्रस्तावित 3 समर्पित माल ढुलाई गलियारों (डीएफसी) पूर्वी तट, पूर्व-पश्चिम और उत्तर दक्षिण गलियारों की योजना को खत्म करने पर विचार कर रहा है। मंत्रालय इसकी जगह मौजूदा गलियारों पर ध्यान केंद्रित करेगा। इस विकल्प की योजना इसलिए बन रही है क्योंकि मौजूदा परियोजनाओं में जमीन अधिग्रहण संबंधी समस्याओं की वजह से देरी हो रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय मौजूदा पूर्वी और पश्चिमी डीएफसी में नए ट्रैक लाइनों को जोडऩे पर विचार कर रहा है, जो प्रस्तावित खंडों में प्रमुख इलाकों से गुजरती हैं। नई योजना से परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पूरी करने में भी 5 महीने की देरी होने की संभावना है, जिसे इस महीने पेश किए जाने की संभावना थी। रेल मंत्रालय और समर्पित माल ढुलाई गलियारा निगम (डीएफसीसीआईएल) के बीच हुए पत्रव्यवहार से पता चलता है कि इन नई परियोजनाओं का डीपीआर मई तक पूरा किया जाना था। किसी भी बुनियादी ढांचा परियोजना के लिए डीपीआर बुनियादी दस्तावेज होते हैं, जिसमें भौगोलिक अनुमान, स्थल निरीक्षण, अनुपालन बोझ और वित्तीय आकलन शामिल होता है। अधिकारी ने कहा, 'हम भूमि अधिग्रहण संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, जैसा कि ईडीएफसी और डब्ल्यूडीएफसी को लागू करने के दौरान हुआ था। अगर नए गलियारे बनाने की जगह पहले से मौजूद गलियारों में नए ट्रैक बनाते हैं, तो हमें जमीन अधिग्रहण संबंधी समस्याओं से नहीं जूझना होगा।' मंत्रालय नए वित्तीय आकलन भी कर रहा है, जिसमें भूमि अधिग्रहण से बचाई गई लागत अतिरिक्तट्रैक को तैयार करने के लिए पर्याप्त होगी। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसके पहले संसद को सूचित किया था कि डीपीआर इन गलियारों का भविष्य तय करेंगे। उन्होंने कहा था, 'इनमें से किसी भी गलियारे के भाग्य का फैसला नहीं किया गया है और नए डीएफसी पर आगे का फैसला डीपीआर और अन्य वजहों जैसे वित्त के विकल्प आदि पर निर्भर होगा।' बिजनेस स्टैंडर्ड ने इसके पहले खबर दी थी कि डीपीआर में अप्रैल में बदलाव किया जा रहा था, जिससे कि वन और खनन इलाकों से बचा जा सके। इसके लिए भारी भरकम पर्यावरण मंजूरी लेने की जरूरत होती है। अधिकारी ने कहा कि इन परियोजना को खत्म किए जाने के योजना से अप्रभावित रहते हुए इनके डीपीआर का 80 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है और इस समय काम बेहतर चल रहा है। रेलवे बोर्ड के कुछ सुझावों को इसमें शामिल किया जा रहा है और मंत्रालय भी परियोजना के वित्तपोषण संबंधी पहलुओं पर विचार कर रहा है। पूर्वी और पश्चिमी डीएफसी का वित्तपोषण केंद्र सरकार और विभिन्न वित्त एजेंसियों - विश्व बैंक और जापान इंटरनैशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा किया गया है। डीएफसी को माल ढुलाई के लिए वन स्टॉप सॉल्यूशन के रूप में प्रचारित किया गया है, वहीं सूत्रों ने कहा कि नए इलाकों के लिए सर्वे अनुरोध आ रहे हैं, जहां माल ढुलाई की संभावना है। अधिकारी ने कहा, 'अभी भी हम नए उद्योगों और उस इलाके में तैयार हो रही बुनियादी सुविधाओं के बारे में संगठनों से बातचीत कर रहे हैं, जिससे कि भविष्य में औद्योगिक विकास को ध्यान में रखकर हम अपनी योजना तैयार कर सकें।' वहीं व्यापक डीएफसी योजना में देरी हो रही है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की पिछले महीने संसद में पेश रिपोर्ट में डीएफसीसीआईएल की आलोचना की गई है। यह आलोचना चल रही दो डीएफसी परियोजनाओं की लागत में 2,200 करोड़ रुपये बढ़ोतरी को लेकर की गई है, जो आगे चलकर 2,600 करोड़ रुपये बढऩे की संभावना है।
