दुनिया भर में लंबे समय तक मुद्रास्फीति और धीमी आर्थिक वृद्धि के आसार दिख रहे हैं। फिच रेटिंग का कहना है कि इससे 12 भारतीय कंपनियों के लिए रेटिंग में गिरावट का जोखिम बढ़ गया है। इन 12 कंपनियों में 8 सार्वजनिक क्षेत्र की और 4 निजी क्षेत्र की कंपनियां शामिल हैं। इन 12 भारतीय कंपनियों के लिए जोखिम को निर्धारित करने में इंडिया सॉवरिन रेटिंग की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। इनमें 8 सरकार से संबंधित जारीकर्ता (सभी ऊर्जा एवं यूटिलिटी में) हैं जिनकी रेटिंग में संकुचन दिख रहा है जिससे भारतीय सॉवरिन रेटिंग पर नकारात्मक परिदृश्य की झलक मिलती है। सार्वजनिक क्षेत्र की इन 8 कंपनियों में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन, भारत पेट्रोलियम, गेल, ओएनजीसी, ऑयल इंडिया, एनटीपीसी और पावरग्रिड शामिल हैं। इसके अलावा नकारात्मक परिदृश्य पर मौजूद 4 गैर-सरकारी कंपनियों में भारती एयरटेल लिमिटेड, समिट डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, अदाणी ट्रांसमिशन लिमिटेड और अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड शामिल हैं। ये भारत की रेटिंग से सीधे तौर पर प्रभावित नहीं हैं लेकिन यदि भारत की कंट्री सीलिंग बीबी प्लस से नीचे जाती है तो इनकी रेटिंग घट सकती है। रूप पर प्रतिबंध लगाए जाने से आपूर्ति शृंखला संबंधी जोखिम, चीन में वैश्विक महामारी के कारण लॉकडाउन और सामान्य तौर पर श्रम बाजार में सख्ती के कारण लंबे समय तक मुद्रास्फीति के रहने और वृद्धि की रफ्तार सुस्त पडऩे (स्टैगफ्लेशन) के जोखिम बढ़ रहे हैं। एशिया प्रशांत क्षेत्र में श्रम किल्लत की समस्या बढ़ती जा रही है। उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया में चीन और इंडोनेशिया के मुकाबले कहीं अधिक वेतन महंगाई दिख रही है।
