आत्मनिर्भर भारत को आत्मनिर्भर बैंकिंग की जरूरत | निकुंज ओहरी और अरूप रॉयचौधरी / May 23, 2022 | | | | |
बीएस बातचीत
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के नए अध्यक्ष, बजाज फिनसर्व के संजीव बजाज ने बड़े एनबीएफसी (गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) को बैंकिंग लाइसेंस देने की वकालत की है। निकुंज ओहरी और अरूप रॉयचौधरी से बातचीत में उन्होंने कहा कि डीजल-पेट्रोल पर शुल्क में कटौती करने से खपत और मांग में तेजी आएगी तथा ब्याज दरों की क्या स्थिति रहती है, इससे वित्त वर्ष 2023 में भारत की जीडीपी वृद्धि निर्थारित होगी। संपादित अंश...
सीआईआई ने कच्चे तेल की 3 अनुमानित दरों के आधार पर वित्त वर्ष 23 में जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है। 7.4 से 8.2 प्रतिशत के वृद्धि अनुमान के परिदृश्य में आपको ऊपरी सीमा सटीक लगती है या निचली?
अगर आप मुझे तेल के दाम बता सकते हैं तो आपको मैं जीडीपी वृद्धि दर के बारे में बता सकता हूं। अगर यह 100 डॉलर के स्तर पर स्थिर रहता है तो मुझे लगता है कि जीडीपी वृद्धि दर 8 प्रतिशत रहेगी, जैसा कि हम अनुमान लगा रहे हैं। कई चीजें हैं, जिसमें हम बदलाव देख सकते हैं। ब्याज दर का चक्र अब बदल गया है। यह देखना होगा कि ब्याज दरें कितनी बढ़ती हैं और यह कितना और कितनी बार होता है। यह महंगाई दर पर निर्भर करेगा कि वह जमीनी स्तर पर कितनी रहती है। महंगाई दर आंशिक रूप से ईंधन के दाम पर निर्भर है। हमारा सुझाव है कि केंद्र व राज्य सरकारें अभी करों में कटौती करें।
महंगाई दर का मुनाफे पर कितना असर होगा?
यह क्षेत्र के मुताबिक अलग अलग होगा, लेकिन इससे कंपनियों का मुनाफा आंशिक रूप एक या दो तिमाही तक कम होगा, क्योंकि इनपुट लागत की कीमत बढ़ रही है। यही वजह है कि आप देख रहे हैं कि इसका कुछ बोझ ग्राहकों पर डाला जा रहा है। और यही वजह है कि महंगाई बढ़ रही है।
क्या आपको लगता है कि कॉर्पोरेट्स को बैंक निजीकरण प्रक्रिया में हिस्सेदारी की अनुमति मिलनी चाहिए?
भारत बढ़ रहा है। ऐसे में हमें व्यापक, मजबूत और गहरे वित्तीय सेवा क्षेत्र की जरूरत है, जिसमें बैंक, बीमा कंपनियां व संपत्ति प्रबंधक शामिल हैं। यह नियामक को तय करना है कि इसका सही तरीका क्या होगा। आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए हमें सबसे पहले आत्मनिर्भर वित्तीय सेवा उद्योग की जरूरत है। भारतीय रिजर्व बैंक पहले ही परिभाषित कर चुका है कि किसे अनुमति मिलेगी या किसे नहीं मिलेगी। मुझे लगता है कि बेहतर गुणवत्ता के कारोबारियों को अनुमति मिलनी चाहिए। तमाम मजबूत एनबीएफसी हैं जिनमें दीर्घावधि के हिसाब से क्षमता है, जिन्होंने विश्वसनीयता दिखाई है। उन्हें बैंक लाइसेंस की ओर बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ यह भी जरूरी है कि रिजर्व बैंक इस बात पर चर्चा करे कि उधारी भविष्य में कैसी होगी।
सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण की प्रक्रिया में उतार-चढ़ाव रहा है। क्या आपको लगता है कि स्क्रीनिंग प्रक्रिया को ज्यादा बेहतर बनाने की जरूरत है?
हमें पारदर्शी, साफ औऱ सतत प्रक्रिया बरकरार रखने की जरूरत है। कुछ खामियां हो सकती हैं, जिन्हें सही करने की जरूरत होगी। मैं सरकार की मंशा में भरोसा रखता हूं कि वह व्यापार में नहीं होगी।
बीमा के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) बढ़ाए जाने के बाद क्या आपको लगता है कि विदेशी पूंजी आकर्षित करने के लिए और कुछ किए जाने की जरूरत है?
अभी हमारे पास घरेलू वित्तीय क्षेत्र नहीं है, जो भारत की वृद्धि के अवसर को समर्थन के लिए पर्याप्त होगा। हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि एक समय बाद विदेशी पूंजी का अपना जोखिम होता है। पूंजी बाहर जा सकती है, उसके लिए मजबूत घरेलू वित्तीय सेवा उद्योग का विकल्प बनाना होगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध से निर्यात व कारोबारी प्रभावित हुए हैं, सरकार को क्या करना चाहिए?
कुछ द्विपक्षीय मसलों के समाधान की जरूरत है। जहां तक संभव है, सरकार रुपये के कारोबार पर काम कर रही है, जिससे भुगतान में मदद मिलेगी। ऐसी स्थिति में कम अवधि के हिसाब से असर होता है। इसके द्विपक्षीय समाधान की जरूरत है।
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