देश में गेहूं के दाम गिरने के बाद अब सुधरने लगे हैं। केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी जिससे मंडियों में गेहूं की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई थी। कीमतें गिरने के बाद किसानों ने मंडियों में आवक घटा दी। जिससे गेहूं की कीमतों में सुधार देखा जा रहा है। कारोबारियों के मुताबिक आगे गेहूं की कीमतें ज्यादा घटने के आसार नहीं है क्योंकि इसके दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के आस-पास ही चल रहे हैं। उत्तर प्रदेश की हरदोई के मंडी के गेहूं कारोबारी संजीव अग्रवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि पिछले सप्ताह शुक्रवार को गेहूं निर्यात पर रोक लगने के दाम इसके दाम 150 रुपये प्रति क्विंटल तक घट गए थे। लेकिन इस गिरावट के बाद गेहूं की कीमतों में पहले 70-80 रुपये की तेजी आई थी। इस तेजी के बाद दाम 20-30 रुपये गिर गए। आगे कीमतों में बड़ी गिरावट की संभावना नहीं है। दाम 20-30 रुपये क्विंटल उतार-चढ़ाव के साथ वर्तमान दायरे में बने रहने के आसार है। हरियाणा की कोसी मंडी के गेहूं कारोबारी बिजेंद्र तिवारी ने बताया कि निर्यात पर रोक के अगले 2-3 दिन गेहूं के दाम घटे थे, लेकिन अब आवक घटने से दाम फिर से बढऩे लगे हैं। मंडी में आवक 15 से 20 हजार बोरी की जगह घटकर 5 से 6 हजार बोरी रह गई है। कोसी मंडी में गेहूं 2,100 रुपये किलो बिक रहा है। निर्यात पर रोक से पहले भाव 2,225 रुपये थे। रोक के बाद दाम घटकर 2,050 रुपये प्रति क्विंटल तक चले गए थे। मध्य प्रदेश की गुना मंडी के गेहूं कारोबारी रमेश खंडेलवाल कहते हैं कि गिरावट के बाद अब फिर से गेहूं के दाम बढऩे लगे हैं। क्योंकि मंडियों में आवक कम हो रही है। आगे दाम गिरने की संभावना अब बहुत ही कम है। क्योंकि इस समय मंडी में गेहूं के दाम 2,100 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि एमएसपी 2,015 रुपये है। किसानों का मंडी तक गेहूं लाने व अन्य खर्चे को मिलाकर उन्हें दाम एमएसपी के करीब मिलेंगे। ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन अशोकनगर के अध्यक्ष अशोक जैन ने कहा कि गेहूं के दाम अब गिरने वाले नहीं हैं, भाव वर्तमान दायरे में बने रहने की उम्मीद है। दिल्ली की नजफगढ़ मंडी के गेहूं कारोबारी प्रदीप गुप्ता ने बताया कि आवक 2,000-2,500 बोरी से घटकर 400 से 500 बोरी रहने से गेहूं के दाम भी 50-60 रुपये बढ़ गए हैं। दिल्ली की नरेला मंडी के गेहूं कारोबारी महेंद्र जैन कहते हैं कि निर्यात पर अचानक रोक लगने से बंदरगाहों पर गेहूं फसने से कारोबारियों को नुकसान हो रहा है। सरकार को बंदरगाहों पर पहुंच चुके सभी गेहूं को निर्यात की अनुमति देनी चाहिए। चाहे उसके लिए लेटर ऑफ क्रेडिट (एलसी) जारी ही नहीं हुआ हो।
