भारत के इंसुलिन बाजार में 50 फीसदी हिस्सेदारी के साथ अग्रणी कंपनी नोवो नॉर्डिस्क अब अपने वैश्विक अनुसंधान पाइपलाइन से कई नई दवाओं को भारतीय बाजार में लाने जा रही है। इसी क्रम में कंपनी बेसल इंसुलिन आईकोडेट को भारतीय बाजार में उतारने की तैयारी कर रही है। इस रोगी को सप्ताह में केवल एक बार लेने की आवश्यकता होती है। इसके अलावा कंपनी 2024 तक मोटापे की दवा लाने की तैयारी में है। नोवो नॉर्डिस्क के प्रबंध निदेशक एवं भारतीय कारोबार के कॉरपोरेट उपाध्यक्ष विक्रांत श्रोत्रिय ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा कि भारत डेनमार्क की इस प्रमुख औषधि कंपनी के लिए एक प्रमुख बाजार है और कंपनी यहां नई दवाओं को लाना जारी रखेगी। उन्होंने कहा कि दवाओं को शुरू में अपने गृह बाजार डेनमार्क में और उसके बाद अमेरिका एवं यूरोप के अन्य हिस्सों में लॉन्च किया जाता है। उन्होंने कहा कि नई दवाओं को वैश्विक लॉन्च के छह से 12 महीनों के भीतर भारतीय बाजार में लाया जाता है। उदाहरण के लिए, इंसुलिन आईकोडेक तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण में है और इसी साल अप्रैल में नोवो नॉर्डिस्क ने दूसरे चरण के नतीजों की घोषणा की थी। इसके तहत 26 सप्ताह की प्रभावकारिता और सप्ताह में एक बार इंसुलिन लेने के साथ उपचार का परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान टाइप-2 मधुमेह से पीडि़त 526 लोगों पर आईकोडेक और डेग्लुडेक इंसुलिन का प्रयोग किया गया। शुरुआती परीक्षण से पता चला कि आईकोडेक इंसुलिन लेने वालों के खून में शर्करा (एचबीए1सी) काफी कम हो गया। यदि यह इंसुलिन अगले साल वैश्विक स्तर पर उपलब्ध होता है तो भारत में भी यह जल्द ही उपलब्ध होगा। श्रोत्रिय ने कहा कि भारतीय मरीज वैश्विक परीक्षण का हिस्सा हैं और इससे भारतीय नियामक से मंजूरी हासिल करने की प्रक्रिया आसान होनी चाहिए। उन्होंने कहा, 'भारत अक्सर हमारे वैश्विक क्लीनिकल ??परीक्षण का हिस्सा रहा है। हमारे पास भारत में लगभग 200 क्लीनिकल ??परीक्षण केंदद्र हैं और यहां लगभग 20 क्लीनिकल ??परीक्षण जारी हैं।' उन्होंने कहा कि नोवो नॉर्डिस्क 2024 तक मोटापा दवा भी भारत लाएगी। भारत के इंसुलिन बाजार का आकार लगभग 3,500 करोड़ रुपये होने का अनुमान है जो 10 फीसदी सीएजीआर से बढ़ रहा है। भारत में खाने वाली मधुमेह दवाओं का बाजार लगभग 12,000 करोड़ रुपये है और यह 11 फीसदी की सीएजीआर से बढ़ रहा है। नोवो नॉर्डिस्क लगभग 50 फीसदी बाजार हिस्सेदारी के साथ भारत में अग्रणी है। कंपनी भारत में लगभग 30 लाख रोगियों तक अपनी दवाएं पहुंचा रही है। टॉरंट फार्मास्युटिकल डेनमार्क से आयातित क्रिस्टल से गुजरात में नोवो नॉर्डिस्क के लिए इंसुलिन का उत्पादन करती है। भारत में 7.7 करोड़ मधुमेह रोगी होने का अनुमान है जिनमें से अधिकतर की जांच नहीं हुई है अथवा वे गंभीर दवा ले रहे हैं। इनमें से लगभग 30 फीसदी लोगों को इंसुलिन की आवश्यकता हो सकती है। इस प्रकार भारत इंसुलिन बनाने वाली कंपनियों के लिए विश्व स्तर पर एक प्रमुख बाजार है।
