जेपी मॉर्गन ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की रेटिंग घटाकर 'अंडरवेट' कर दी है, क्योंकि उसका मानना है कि इस क्षेत्र में सुनहरा समय अब बीत गया है। जेपी मॉर्गन के अंकुर रुद्र और भाविक मेहता ने एक रिपोर्ट में कहा है कि अल्पावधि में बढ़ती मार्जिन संबंधित समस्याओं और मध्यावधि में राजस्व पर दबाव पैदा होने की आशंका है, और इस क्षेत्र का आय अपग्रेड चक्र पीछे छूट चुका है। जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, 'हमें लगता है कि तेज राजस्व वृद्घि अब पीछे छूट गई है और एबिटा मार्जिन मुद्रास्फीति की वजह से नीचे आ रहा है। जहां कई सेवाओं, सॉफ्टवेयर और एसएएस के लिए दृष्टिकोण बदला है और तकनीकी खर्च चक्र में तेजी आई है, वहीं हमारा मानना है कि मौजूदा आय अनुमानों से कई जोखिम भी जुड़े हुए हैं। इससे हमें अपना सेक्टर आधारित नजरिया घटाकर अंडरवेट करने के लिए मजबूर होना पड़ा है और टीसीएस, विप्रो, एचसीएल टेक, एलऐंडटी टेक्नोलॉजी की रेटिंग न्यूट्रल से अंडरवेट की गई है।' आईटी सेक्टर में उनके प्रमुख ओवरवेट शेयर हैं- वृद्घि की संभावना की वजह से इन्फोसिस, 5जी चक्र और मार्जिन वृद्घि के लिए टेक महिंद्रा, रक्षामक उद्योगों के लिए निवेश की वजह से एम्फेसिस और परसिस्स्टेंट। 2022 में अब तक निफ्टी आईटी सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला सूचकांक रहा है और इसमें एनएसई पर अन्य प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले करीब 27 प्रतिशत की कमजोरी आई है। गुरुवार को, इस सूचकांक में 5.8 प्रतिशत की गिरावट आई। एम्फेसिस, एलऐंडटी टेक्नोलॉजी सर्विसेज और कोफोर्ज में 6 से 7.2 प्रतिशत के बीच गिरावट दर्ज की गई। टेक महिंद्रा, टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो और एचसीएल टेक में भी करीब 5.8 प्रतिशत की कमजोरी आई। इसके अलावा जेपी मॉर्गन का यह भी मानना है कि भारतीय आईटी शेयर वैश्विक रूप से ज्यादा महंगे भी हैं। विकास की चुनौतीपूर्ण राह जेपी मॉर्गन का कहना है कि भारतीय आईटी क्षेत्र में वृद्घि की रफ्तार 2022 की तीसरी तिमाही तक तेज बनी हुई थी और 2022 की चौथी तिमाही में इसमें कमजोरी आने लगी और वित्त वर्ष 2023 अधिक प्रतिस्पर्धी एवं चुनौतीपूर्ण वर्ष होगा, क्योंकि इस साल आपूर्ति संबंधित समस्याएं सामने आएंगी। जेपी मॉर्गन के विश्लेषकों ने लिखा है, 'हमारा मानना है कि मार्जिन संबंधित समस्याओं से वित्त वर्ष 2023 की पहली-दूसरी तिमाही के आय सीजन में डाउनग्रेड को बढ़ावा मिलेगा, और तीसरी/चौथी तिमाही में वृहद स्तर पर राजस्व संबंधित डाउनग्रेड में तेजी आएगी। जहां डॉलर/रुपया तिमाही में 3 प्रतिशत गिरा है, वहीं विपरीत विदेशी मुद्रा भंडार से मार्जिन संबंधित वृद्घि का असर समाप्त हो गया है।' कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटी भी इस क्षेत्र पर सतर्क है और उसने ताजा गिरावट के लिए मुख्य तौर पर तीन कारकों को जिम्मेदार माना है- ब्याज दर में वृद्घि प्रमुख ग्राहक वाले भूभागों में मंदी की आशंका और मार्जिन के लिए जोखिम।
