वैश्विक आपूर्ति का संकट | |
संपादकीय / 05 19, 2022 | | | | |
कई जगहों पर कमजोर उपज तथा रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आपूर्ति बाधित होने के कारण दुनिया हालिया दशकों के सबसे भीषण खाद्य संकट की ओर बढ़ रही है। खाद्यान्न निर्यातकों द्वारा सतर्कता बरतते हुए निर्यात में कटौती करने के कारण संकट और गंभीर हो रहा है। करीब 15 देशों ने खाद्यान्न और उर्वरक निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है जिससे वैश्विक खाद्य मुद्रास्फीति रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ गई है। इसके कारण दुनिया के कई देशों में खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो गया है। इंडोनेशिया ने पाम ऑयल के निर्यात पर रोक लगा दी है और भारत ने गेहूं के निर्यात को सीमित कर दिया है। यह विभिन्न देशों द्वारा अपने घरेलू हितों के बचाव के लिए सतर्कता बरतने का ताजा उदाहरण है।
कोविड-19 महामारी में कमी के बाद मजबूत आर्थिक सुधार, कुछ अहम अर्थव्यवस्थाओं की मौद्रिक नीतियों के कारण मुद्रास्फीतिक दबाव बढऩे तथा ईंधन की लागत में तेज इजाफा होने के कारण भी कृषि उपज की कीमतों में तेजी का रुझान रहा है। इसके अलावा दुनिया के कई देशों में प्रतिकूल मौसम की घटनाओं ने भी फसल उत्पादन को प्रभावित किया है जिससे आपूर्ति में और दिक्कत आई है। अमेरिकी कृषि विभाग ने घोषणा की है कि इस वर्ष गेहूं का निर्यात सन 1973 के बाद न्यूनतम रहेगा क्योंकि सूखे के कारण फसल बहुत प्रभावित हुई है। कुल वैश्विक खाद्यान्न उत्पादन के इस वर्ष सामान्य से कम रहने का अनुमान है। मोटेतौर पर ऐसा यूक्रेन के गेहूं उत्पादन में 35 प्रतिशत की गिरावट आने के कारण होगा। रूस और यूक्रेन दोनों मिलकर विश्व के गेहूं के एक तिहाई तथा सूरजमुखी के तेल के दो तिहाई कारोबार में हिस्सेदार हैं। रूस दुनिया के सबसे बड़े उर्वरक आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के आंकड़े बताते हैं कि इस वर्ष प्रमुख अनाजों की कीमत 20 फीसदी, खाद्य तेल की कीमतें 28 फीसदी तथा चीनी, मांस एवं डेरी उत्पादों जैसी अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमत 8 से 10 फीसदी बढ़ी है।
पिछले वर्ष की समान अवधि से तुलना करें तो प्रमुख अनाजों की कीमत 34 प्रतिशत और खाद्य तेलों की कीमत 46 फीसदी बढ़ी है। हालांकि एफएओ का समग्र खाद्य मूल्य सूचकांक अप्रैल 2022 में मार्च के अपने अब तक के उच्चतम स्तर से आंशिक रूप से कम रहा। हालांकि यह अभी भी मई 2021 के स्तर से 29.8 फीसदी ऊपर है। विश्व बैंक की हालिया रिपोर्ट के अनुसार 2022 में गेहूं की कीमतें 40 प्रतिशत से अधिक बढ़ी हैं। भारत वैश्विक गेहूं बाजार में बड़ी भूमिका नहीं रखता लेकिन चावल तथा अन्य प्रमुख खाद्यान्न के मामले में वह प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं में शामिल है। उसने वित्त वर्ष 2022 में 2.1 करोड़ टन चावल निर्यात किया। हालांकि गत वर्ष गेहूं निर्यात भी 70 लाख टन से अधिक रहा लेकिन इसका ज्यादातर हिस्सा बांग्लादेश गया।
इस वर्ष आशा की जा रही थी कि भारत मौजूदा खाद्य संकट से निपटने में अहम भूमिका निभाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन से कहा भी था कि अगर विश्व व्यापार संगठन अनुमति दे तो भारत खाद्यान्न निर्यात कर सकता है। परंतु गेहूं निर्यात पर अचानक प्रतिबंध भले ही सशर्त हो लेकिन ऐसे दावे के तुरंत बाद इस रोक ने दुनिया को चकित किया है। इस हड़बड़ी में लिए गए निर्णय पर घरेलू हलकों में भी सवाल उठे हैं क्योंकि सरकार के अपने खाद्यान्न उपलब्धता आंकड़ों के अनुसार देश में घरेलू उपयोग के अलावा कुछ जरूरतमंद देशों को निर्यात करने लायक अनाज भी उपलब्ध है। भारत के लिए बेहतर होता कि वह खाद्यान्न निर्यात पर ऐसी रोक लगाने से बचता।
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