कंपनियों की आमदनी में तेजी से बढ़ोतरी के साथ ही वित्त वर्ष 2022 में इक्विटी लाभांश और शेयर पुनर्खरीद से प्रवर्तकों की आमदनी में भारी उछाल आई है। लाभांश और शेयर पुनर्खरीद से प्रवर्तकों की आय वित्त वर्ष 2021 के मुकाबले पिछले वित्त वर्ष में 50.6 फीसदी बढ़कर करीब 37,000 करोड़ रुपये रही। उनकी आमदनी वित्त वर्ष 2021 में 12.6 फीसदी बढ़ी थी। इसकी तुलना में भारत की प्रति व्यक्ति आय वित्त वर्ष 2021 में 4 फीसदी गिरावट के बाद वित्त वर्ष 2022 में 16.7 फीसदी बढऩे का अनुमान है। इससे औसत भारतीय परिवार और देश के शीर्ष प्रवर्तकों और कारोबारी परिवारों के बीच आय की खाई चौड़ी हुई है। देश के शीर्ष 50 प्रवर्तक परिवारों ने वित्त वर्ष 2022 में अपनी कंपनियों से औसतन 709.4 करोड़ रुपये की कमाई की, जबकि पिछले वित्त वर्ष में इन प्रवर्तकों की औसत आय 123.2 करोड़ रुपये रही थी। प्रवर्तकों को लाभांश और शेयर पुनर्खरीद से होने वाली आमदनी उनकी नियमित आय जैसे वेतन, कमीशन, बोर्ड में हिस्सा लेने की फीस, बोनस और अन्य अनुलाभ के अलावा है। वित्त वर्ष 2022 में शीर्ष प्रवर्तकों की लाभांंश और शेयर पुनर्खरीद से औसत आय पिछले वित्त वर्ष में भारत की औसत प्रति व्यक्ति आय 1.5 लाख रुपये से करीब 47,300 गुना अधिक थी। इसी तरह प्रवर्तकों की औसत आय पिछले वित्त वर्ष में भारत की प्रति व्यक्ति आय की करीब 8,200 गुनी थी। सबसे धनी 10 प्रवर्तकों ने अपनी आय में वित्त वर्ष 2022 के दौरान और ज्यादा तेज वृद्धि दर्ज की। धनी 10 प्रवर्तकों की आय पिछले वित्त वर्ष में साल भर पहले के मुकाबले 63 फीसदी बढ़ी। यह विश्लेषण 338 कंपनियों के साझा नमूने पर आधारित है, जो अब तक वित्त वर्ष 2022 में अंतिम लाभांश घोषित कर चुकी हैं। इस विश्लेषण में पारिवारिक और व्यक्तिगत स्वामित्व वाली कंपनियां शामिल हैं। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों, सूचीबद्ध बहुराष्ट्रीय कंपनियों, संस्थानों के स्वामित्व वाली कंपनियों और टाटा समूह की कंपनियों को बाहर रखा गया है। विप्रो, इन्फोसिस, टीसीएस और एससीएल टेक जैसी तकनीकी कंपनियों के प्रवर्तक इक्विटी लाभांश और शेयर पुनर्खरीद के जरिये अपनी कंपनियों से सबसे अधिक कमाई करने वाले प्रवर्तकों की सूची में सबसे ऊपर हैं। इनके अलावा धातु एवं ख्रनन कंपनियों के प्रवर्तकों को सबसे ज्यादा आमदनी होती है। वेदांत समूह के मालिक अनिल अग्रवाल परिवार वित्त वर्ष 2022 में इस सूची में सबसे ऊपर है, जिसकी कुल लाभांश आय 11,677 करोड़ रुपये रही। उनके बाद एचसीएल टेक के शिव नाडर परिवार का स्थान है, जिसने अपनी कंपनी से वित्त वर्ष 2022 में इक्विटी लाभांश के जरिये 7,254 करोड़ रुपये की कमाई की। उनके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुकेश अंबानी परिवार का स्थान है, जिसने वित्त वर्ष 2022 में अपनी कंपनी से लाभांश के जरिये करीब 2,657 करोड़ रुपये की कमाई की। अंबानी परिवार के बाद विप्रो के अजीम प्रेमजी परिवार का स्थान है, जिसे वित्त वर्ष 2022 में अपनी फ्लैगशिप कंपनी से इक्विटी लाभांश के रूप में 2,401 करोड़ रुपये की कमाई हुई। इन्फोसिस के पांच प्रवर्तक परिवार इस सूची में पांचवें पायदान पर हैं, जिनकी संयुक्त लाभांश आय वित्त वर्ष 2022 में 1,709 करोड़ रुपये रही। इन्फोसिस ने 2021 में जून से दिसंबर के बीच 9,200 करोड़ रुपये की शेयर पुनर्खरीद की मगर कंपनी के शेयरधारिता ढांचे से पता चलता है कि प्रर्वतकों ने इसमें भाग नहीं लिया। अपनी सूचीबद्घ कंपनियों से लाभांश के रूप में मोटी कमाई करने वाले कुछ अन्य व्यक्तिगत प्रवर्तक या प्रवर्तक परिवारों में राहुल बजाज परिवार (1,381 करोड़ रुपये), एशियन पेंट्स के प्रवर्तक (967 करोड़ रुपये), मैरिको के हर्ष मारिवाला (710 करोड़ रुपये) हीरो मोटोकॉर्प के मुंजाल (660 करोड़ रुपये) और डाबर का बर्मन परिवार (619 करोड़ रुपये) शामिल हैं। यह सूची बदल सकती है क्योंकि बीएसई 500, बीएसई मिड कैप और बीएसई स्मॉल कैप सूचकांक में शामिल शीर्ष 1,000 कंपनियों में से केवल एक तिहाई ने ही अभी तक वित्त वर्ष 2022 के लिए लाभांश की घोषणा की है। कोविड-19 महामारी के बाद धनी और औसत भारतीय के बीच खाई चौड़ी हुई है। गैर लाभकारी संगठन ऑक्सफैम इंडिया ने कहा था कि कोविड-19 महामारी में 84 फीसदी भारतीय परिवारों की आमदनी में गिरावट आई है।
