भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की शेयर बिक्री का प्रबंधन करने के लिए निवेश बैंकरों को सरकार से महज कुल निर्गम राशि का 0.06 प्रतिशत हिस्सा मिला। एलआईसी द्वारा पेश निर्णायक ऑफर दस्तावेज के अनुसार, कंपनी ने बुक रनिंग लीड मैनेजरों (बीआरएलएम) को महज 11.8 करोड़ रुपये का भुगतान किया। यह कुल निर्गम खर्च 120 करोड़ के 9.9 प्रतिशत और आईपीओ से हासिल हुई कुल राशि 20,557 करोड़ रुपये का 0.06 प्रतिशत था। सरकार द्वारा यह आईपीओ पूरी तरह सेकंडरी शेयर बिक्री थी, जिसके जरिये एलआईसी में उसने 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी घटाई है। सभी 10 बीआरएलएम ने सरकार द्वारा निर्धारित 1-1 करोड़ रुपये के आधार शुल्क पर काम करने की सहमति जताई थी। एक निवेश बैंकर ने कहा, 'निवेश बैंकरों को एलआईसी शेयर बिक्री का प्रबंधन करने के लिए कुल 10 करोड़ रुपये मिलेंगे। ऑफर दस्तावेज में दिखाई गई अतिरिक्त 1.8 करोड़ रुपये की राशि जीएसटी से संबंधित है।' इस आईपीओ की शेयर बिक्री का प्रबंधन करने वाले निवेश बैंकों में कोटक महिंद्रा बैंक, ऐक्सिस कैपिटल, बोफा सिक्योरिटीज, सिटी बैंक, नोमुरा, गोल्डमैन सैक्स, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज, जेएम फाइनैंशियल, जेपी मॉर्गन और एसबीआई कैपिटल मार्केट्स शामिल थे। एलआईसी के आईपीओ से इन सभी 10 बैंकों के लिए वर्ष 2022 के लिए आगे के निर्गमों के प्रबंधन में हिस्सा लेने में मदद मिल सकेगी। सरकार के स्वामित्व वाली कंपनियों के जो अन्य दो आईपीओ वर्ष 2021 से बाजार में आए, वे थे रेलटेल और इंडियन रेलवे फाइनैंस कॉरपोरेशन (आईआरएफसी), जिनके प्रबंधन से निवेश बैंकरों को 16.5 करोड़ और 4 करोड़ रुपये चुकाए गए थे। पीएसयू मैंडेट पर चुकाया जाने वाला शुल्क महज एक वह हिस्सा होता है जो निजी क्षेत्र के आईपीओ के लिए भुगतान किया जाता है। पिछले साल, पेटीएम ने 324 करोड़ रुपये (18,300 करोड़ रुपये की अपनी कुल आईपीओ राशि का 1.8 प्रतिशत) चुकाया, जबकि जोमैटो के लिए यह आंकड़ा 229 करोड़ रुपये रहा। हाल में आए डेलिवरी के आईपीओ में 105 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, जो उसके कुल निर्गम आकार का 2 प्रतिशत था। एलआईसी ने ब्रोकर कमीशन के तौर पर 40 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े।
