नई दिल्लीशुक्रवार की देर रात निर्यात पर रोक लगाए जाने के बाद से देसी बाजार में गेहूं के दाम 100-200 रुपये प्रति क्विंटल नीचे आ गए हैं। अभी उनमें थोड़ी गिरावट और आएगी तथा व्यापारियों और बाजार सूत्रों के मुताबिक कुछ और कमी के बाद इसके भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) यानी 2,015 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास आ सकते हैं। कारोबारियों का कहना है कि इस समय भाव में एमएसपी से अधिक गिरावट आने की संभावना नहीं दिखती क्योंकि बाजार में मांग और आपूर्ति का समीकरण अब भी किसानों के पक्ष में है यानी आपूर्ति के मुकाबले मांग अधिक है। उन किसानों के लिए यह राहत की बात होनी चाहिए, जिन्होंने आने वाले महीनों में भाव तेजी से बढऩे की उम्मीद में गेहूं का भंडार अपने पास रखा है। लेकिन उतनी गिरावट शायद ही दिखेगी। आईग्रेन में जिंस विश्लेषक राहुल चौहान ने बिजऩेस स्टैंडर्ड से कहा, 'गेहूं के औसत भाव में शनिवार से 100—200 रुपये प्रति क्विंटल की कमी आई है और इसमें 50-100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट अभी और आ सकती है मगर भाव एमएसपी से ज्यादा नीचे नहीं जाएंगे क्योंकि बाजार में भंडार ज्यादा नहीं है और उत्पादन भी 10 करोड़ टन से अधिक रहने की उम्मीद नहीं है।' चौहान ने कहा कि भारतीय खाद्य निगम खुले बाजार में अधिक बिक्री नहीं करता है (खरीद के महीनों में बिक्री बंद हो जाती है) तो आटा मिल मालिकों को अपनी मांग पूरी करने के लिए खुले बाजार पर निर्भर रहना पड़ेगा। निर्यात पर रोक लगने के बाद शनिवार को दिल्ली के बाजार में गेहूं के भाव गिरकर 2,235 से 2,250 रुपये प्रति क्विंटल के बीच थे। मध्य प्रदेश में गेहूं 2,220 से 2,230 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहा था। प्रतिबंध से पहले दिल्ली में गेहूं के भाव 2,340 रुपये प्रति क्विंटल के करीब था। बंदरगाहों पर भारतीय गेहूं का भाव 2,575 रुपये से 2,610 रुपये प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है। रविवार को देश के ज्यादातर थोक बाजार बंद रहे थे। इंदौर के एक अन्य कारोबारी ने कहा, 'आने वाले दिनों में भाव में कुछ और कमी आ सकती है, मगर गिरावट मामूली ही रहेगी।' व्यापारियों का कहना है कि पैकेटबंद और खुले आटे के भाव खुदरा बाजार में 2 से 5 रुपये प्रति किलोग्राम कम हो जाएंगे। रोलर फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'खुले आटे के ज्यादातर कारोबारी गेहूं के दाम में बढ़ोतरी को खुद ही झेल रहे हैं और सरकारी कार्रवाई की उम्मीद में लागत का बोझ ग्राहकों पर नहीं डाल रहे हैं। पैकेटबंद आटा बनाने वाले पहले ही कीमत बढ़ा चुके हैं। सरकार ने गेहूं निर्यात पर रोक लगाई है, जिससे हमें राहत है।' इस बीच कुछ व्यापारियों की शिकायत है कि सरकार ने घबराकर गेहूं निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया है और उसने घटते भंडार को संभालने के लिए सभी उपाय नहीं अपनाए। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में पड़ा 30 लाख टन गेहूं का पुराना भंडार केंद्रीय पूल में शामिल किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस पुराने भंडार पर किसी ने दावा नहीं किया था और उसे भंडार में शामिल करने से अचानक कोई निर्णय नहीं लेना पड़ता। मध्य प्रदेश ने यह गेहूं कुछ साल पहले केंद्रीय पूल के लिए खरीदा था, लेकिन उसे पूल में जमा नहीं कर सका क्योंकि एक नियम में कहा गया था कि केंद्रीय केवल उसी अनाज के लिए एमएसपी का भुगतान करेगा, जो किसी राज्य ने सार्वजनिक वितरण की जरूरत पूरी करने के लिए केंद्र की ओर से खरीदा था। तीस लाख टन गेहूं कुछ साल पहले एमएसपी से अधिक दाम देकर खरीदा गया था। उसके बाद से वह भंडार राज्य सरकार के पास ही पड़ा है और उसे बेचने के मध्य प्रदेश के तमाम प्रयास नाकाम साबित हुए हैं। वही भंडार अब केंद्र के लिए वरदान साबित हो सकता है और उसे खरीदने से उसकी खरीद 1.8 लाख टन से एक झटके में 2.1 लाख टन हो जाएगी। 2.1 या 2.2 लाख टन भंडार के साथ केंद्र वित्त वर्ष 2023 के लिए मांग और आपूर्ति के संकट से आसानी से उबर सकता है और उसे निर्यात पर रोक जैसे सख्त कदम उठाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी क्योंकि वह 1.9 लाख टन गेहूं पहले ही खरीद चुका है।
