5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था में 4 साल की देरी | |
इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली 05 13, 2022 | | | | |
भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यव्यवस्था बनाने का सपना अब लंबा खिंचता नजर आ रहा है। वित्त मंत्रालय ने मूल रूप से वित्त वर्ष 2024-25 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था होने का अनुमान लगाया था। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुताबिक अब यह लक्ष्य वित्त वर्ष 29 (2028-29) तक हासिल होने की संभावना है, यानी अब इसमें 4 साल की देरी होगी।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने फरवरी में कहा था कि वृद्धि दर वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 8 से 9 प्रतिशत के टिकाऊ स्तर पर बनी रहेगी और भारत 2025-26 तक या उसके अगले वित्त वर्ष 2027-28 तक 5 लाख करोड़ रुपये की अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
बहरहाल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़ों से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 28 में 4.92 लाख करोड़ रुपये की होगी और इससे साफ संकेत मिलता है कि यह लक्ष्य वित्त वर्ष 29 में ही पूरा हो पाएगा।
हालांकि यह भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान से अलग है। आईएमएफ ने वित्त वर्ष 23 में जीडीपी वृद्धि 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जबकि इसके पहले 9 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान लगाया था।
नॉमिनल और रुपयगे के हिसाब से आईएमएफ ने अनुमान लगाया है कि वित्त वर्ष 23 में अर्थव्यवस्था 13.4 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। यह अनुमान 11.1 प्रतिशत के बजट अनुमान से बहुत ज्यादा है।
आईएमएफ की वृद्धि दर की परिकल्पना भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के अनुमान की तुलना में ज्यादा आशावादी नजर आती है। एमपीसी ने वास्तविक जीडीपी वृद्धि अनुमान को घटाकर चालू वित्त वर्ष के लिए 7.2 प्रतिशत कर दिया है, जबकि पहले 7.8 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था।
बहरहाल एमपीसी ने महंगाई दर 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जबकि पहले 4.5 प्रतिशत का अनुमान लगाया था, वहीं नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 23 में 12.9 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जबकि पहले 12.3 प्रतिशत का अनुमान लगाया था।
नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर के बारे में आईएमएफ का अनुमान रुपये के हिसाब से 13.4 प्रतिशत के टिकाऊ स्तर पर वित्त वर्ष 23 के बाद नहीं रहेगा। दरअसल अनुमानित वृद्धि दर हर साल गिरती रहेगी। वित्त वर्ष 28 तक यह घटकर 10.6 प्रतिशत पर आ जाएगी।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर का कहना है कि हमारा मौजूदा अनुमान भी बताता है कि 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने में देरी होगी और इसे वित्त वर्ष 28 या 29 तक ही हासिल किया जा सकेगा।
बहरहाल, यह वास्तविक आर्थिक वृद्धि दर, महंगाई दर और विनिमय दर पर निर्भर होगा।
वित्त वर्ष 23 के लिए इक्रा ने जीडीपी वृद्धि दर संशोधित कर 7.2 प्रतिशत कर दिया है, जबकि पहले 8 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था।
बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने सीईए के अनुमान के साथ जाना पसंद किया है। उन्होंने कहा, 'मैं सीईए के कहे के साथ जाना पसंद करुंगा। इसकी वजह साधारण सी है। जीडीपी वृद्धि की दर जहां 6.5 से 8 प्रतिशत के बीच रहेगी, उच्च महंगाई दर हमारे नॉमिनल जीडीपी वृद्धि दर में तेजी दिखाएगी।'
उन्होंने कहा कि 2020-21 में महामारी के कारण बड़ा नुकसान हुआ है। रिकवरी बहुत तेज नहीं रही है, जैसी कि अपेक्षा थी और अन्य देशों में जैसा हुआ है।
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