अप्रैल में देश के श्रम बाजार में दिखी अधिक हलचल | श्रम-रोजगार | | महेश व्यास / May 13, 2022 | | | | |
अप्रैल 2020 में भारतीय श्रम बाजार की गतिविधियों में काफी तेजी दिखी। इस अवधि में श्रम बलों की संख्या बढ़ गई और रोजगार में भी इजाफा हुआ। रोजगार तलाश रहे लोगों की संख्या में भी वृद्धि हुई और भारतीय अर्थव्यवस्था भी बड़ी संख्या में रोजगार देने में सफल रही। मगर जितने अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध हुए वे मांग की तुलना में कम रहे। इसका नतीजा यह हुआ कि अप्रैल में बड़ी संख्या में लोग रोजगार पाने से वंचित रह गए और मार्च की तुलना में बेरोजगारी दर थोड़ी बढ़ गई।
श्रम बल की संख्या अप्रैल 2022 में बढ़कर 43.72 करोड़ हो गई, जो मार्च में 42.84 करोड़ थी। लॉकडाउन से प्रभावित महीनों को छोड़ देंं तो यह किसी भी महीने श्रम बल की संख्या में सर्वाधिक इजाफा रहा। वित्त वर्ष 2021-22 में श्रम बल में औसत बढ़ोतरी 2 लाख थी। वित्त वर्ष के पहले छह महीने में श्रम बल में या तो करीब 20 लाख की कमी आई या इसमें 20 लाख का इजाफा हुआ। दिसंबर 2021 में श्रम बल में सर्वाधिक 80 लाख का इजाफा हुआ था। इसकी तुलना में अप्रैल 2022 में श्रम बल में 88 लाख का इजाफा काफी अधिक माना जा सकता है।
88 लाख की बढ़ोतरी तभी संभव है जब काम करने लायक आबादी अप्रैल में दोबारा श्रम बाजार हिस्सा बनी होगी। इसकी वजह यह है कि काम करने लायक आबादी प्रति महीने 20 लाख से अधिक नहीं बढ़ सकती और नए लोगों में करीब आधे श्रम बल का हिस्सा बनने में दिलचस्पी नहीं रखते होंगे। लिहाजा श्रम बल में 10 लाख से अधिक बढ़ोतरी का मतलब है कि श्रम बाजार से निकल चुके लोग फिर इसमें आ गए हैं। जो लोग श्रम बल का हिस्सा हो सकते थे मगर किसी न किसी कारण से अलग थे वे अब तेजी से इसमें आ रहे हैं। श्रम बाजार की स्थिति ठीक नहीं रहने पर कुछ लोग निराश होकर बेरोजगार रहते हैं। अप्रैल में इन 'निराश' लोगों में कुछ श्रम बाजार में आ गए।
श्रम बाजार काफी गतिशील है और श्रम बलों की संख्या घटती-बढ़ती रहती है। खास तौर पर किसी खास समय पर मांग अधिक या कम रह सकती है। इस संदर्भ में यह ध्यान में रखना जरूरी है कि तीन महीनों में श्रम बलों में कमी के बाद अप्रैल में इसमें 1.2 करोड़ का इजाफा हुआ है। जनवरी-मार्च अवधि में श्रम बल बाजार से निकल गए थे मगर अप्रैल में वे वापस आ गए। अप्रैल में रोजगार में 70 लाख की बढ़ोतरी हुई। इसे एक असाधारण बढ़ोतरी कहा जा सकता है। रोजगार में लगातार तीन महीनों की गिरावट के बाद यह इजाफा हुआ है। मार्च 2022 में रोजगार के अवसर दिसंबर 2021 के 40.6 करोड़ से कम होकर 39.6 करोड़ रह गए। अप्रैल में इसने थोड़ी भरपाई की और यह आंकड़ा सुधरकर 40.3 करोड़ हो गया।
अप्रैल में श्रम बल में 88 लाख बढ़ोतरी हुई और रोजगार में 70 लाख का इजाफा हुआ। इससे संकेत मिलता है कि बेरोजगार लोगों की संख्या 18 लाख बढ़ी है। बेरोजगार लोगों की संख्या बढ़कर 3.42 करोड़ हो गई। अप्रैल 2022 में ऐसे लोगों की संख्या में 23 लाख का इजाफा हुआ जो बेरोजगार थे और काम मिलने पर श्रम बाजार का हिस्सा बनने के लिए तैयार थे। मगर वे सक्रिय तौर पर रोजगार की तलाश नहीं कर रहे थे। ऐसे लोगों की संख्या अप्रैल 2022 में बढ़कर 1.95 करोड़ हो गई। यह एक बार फिर संकेत देता है कि लोग श्रम बाजार दोबारा आ रहे हैं।
अप्रैल में उद्योग एवं सेवा क्षेत्र में रोजगार में वृद्धि हुई। कृषि क्षेत्र में रोजगार की संख्या में 52 लाख की कमी आई। यह कमी अस्थायी हो सकती है और रबी कटाई सत्र के समाप्ति का संकेत देती है। कृषि में रोजगार की कमी की एक वजह गेहूं की फसलों को हुआ नुकसान इसके उत्पादन में कमी हो सकती है। गर्म हवाओं की वजह से इस वर्ष देश में गेहूं उत्पादन में 10 से 20 प्रतिशत की कमी आ सकती है। उद्योग जगत में 55 लाख नए रोजगार सृजित हुए और सेवा क्षेत्र में अप्रैल में 67 लाख नए रोजगार आए। उद्योग में विनिर्माण में 30 लाख और निर्माण में करीब 40 लाख नई नौकरियां सृजित हुईं। खनन और बिजली, प्राकृतिक गैस आदि खंडों में रोजगार में तेजी से कमी आई। यह तब हुआ है जब कोयले की कमी और इसके परिणामस्वरूप बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ है।
विनिर्माण खंड में भारी उद्योग जैसे धातु, रसायन और सीमेंट में नए रोजगार पैदा हुए। सेवा क्षेत्र में खुदरा कारोबार, होटल एवं रेस्तरां उद्योगों में नए रोजगार सृजित हुए। उद्योग एवं सेवा क्षेत्रों में रोजगार जरूर सृजित हुए हैं मगर उनकी गुणवत्ता खास नहीं रही होगी। इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि रोजगार में वृद्धि दैनिक मजदूरी करने वाले श्रमिकों एवं छोटे कारोबारियों के रूप में हुई है। ऐसे पेशे में रोजगार की संख्या में 79 लाख की वृद्धि हुई। उद्यमियों की संख्या में 40 लाख की वृद्धि हुई और किसानों की संख्या 51 लाख कम हो गई। वेतनभोगी रोजगार में कोई कमी नहीं आई।
मार्च और अप्रैल में ऐसे रोजगारों की संख्या 7.9 करोड़ के करीब रही। वर्ष 2021-22 के दौरान यह औसतन 8.1 करोड़ रही। मगर 2019-20 में कोविड-19 महामारी के पहले इनकी तादाद 8.7 करोड़ रही थी। भारत में अप्रैल 2020 में गैर-कृषि रोजगारों में 1.2 करोड़ का इजाफा हुआ। इनमें दो तिहाई रोजगार दैनिक मजदूरी करने वाले मजदूर एवं छोटे कारोबारी थे। रोजगार में बढ़ोतरी अच्छी बात है मगर इसकी गुणवत्ता में सुधार की जरूरत है।
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