देश में खुदरा महंगाई अप्रैल में बढ़कर 7.8 फीसदी पर पहुंच गई, जो 95 महीनों का सबसे ऊंचा स्तर है। इससे केंद्रीय बैंक के नीतिगत दरों में और बढ़ोतरी करने का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि फैक्टरी उत्पादन की वृद्धि मार्च में 1.9 फीसदी के कमजोर स्तर पर रही, जिससे कमजोर घरेलू मांग का पता चलता है। खुदरा महंगाई में अनुमान से अधिक तेजी ने पिछले सप्ताह दर में 40 आधार अंक की बढ़ोतरी के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आकस्मिक निर्णय को सही ठहराया है। महंगाई लगातार चार महीनों से केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित दायरे की ऊपरी सीमा से अधिक बनी हुई है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि अप्रैल में खाद्य महंगाई बढ़कर 8.38 फीसदी रही। इसकी मुख्य वजह खाद्य तेल की कीमतों में 17.3 फीसदी और सब्जियों की कीमतों में 15.4 फीसदी बढ़ोतरी रही। ईंधन की महंगाई भी अप्रैल में दो अंकों को पार 10.8 फीसदी रही क्योंकि मार्च से कच्चे तेल की कीमतें नरम पडऩे के बावजूद पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की खुदरा कीमतें बढ़ रही हैं। ऊर्जा की कीमतों के दूसरे चरण का असर साफ नजर आने लगा है। परिवहन और संचार कीमतों में अप्रैल में बढ़ोतरी दो अंकों में 10.9 फीसदी रही। पूरे सेवा क्षेत्र की महंगाई 115 महीनों के सर्वोच्च स्तर 8.03 फीसदी पर पहुंच गई क्योंकि घरेलू सामान एवं सेवाओं (7.79 फीसदी) तथा पर्सनल केयर (8.62 फीसदी) में अप्रैल के दौरान बढ़ोतरी हुई है। कोटक इंस्टीट््यूशनल इक्विटीज में वरिष्ठ अर्थशास्त्री शुभदीप रक्षित ने कहा कि भले ही अप्रैल में मुख्य महंगाई के आंकड़े वर्ष के सबसे ऊंचे स्तर पर रहे हों, लेकिन उन्हें नहीं लगता कि महंगाई साल की बाकी अवधि में 6 फीसदी से नीचे आएगी और आगामी कुछ महीनों में आंकड़े 7 से 7.5 फीसदी के बीच रहेंगे। उन्होंने कहा, 'हमें महंगाई की चाल का पता लगाने के लिए अगले कुछ महीनों के दौरान खाद्य तेलों, कच्चे तेल की कीमतों, ईंधन कीमतों में बढ़ोतरी, खरीफ एमएसपी घोषणा और कंपनियों के इनपुट लागत का बोझ ग्राहकों पर डाले जाने पर ध्यान देना होगा।' उद्योग सुस्त औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का कमजोर प्रदर्शन मुख्य रूप से विनिर्माण क्षेत्र की वजह से रहा, जिसमें महज 0.9 फीसदी की वृद्धि रही। इसके अलावा खनन क्षेत्र में 4 फीसदी और बिजली क्षेत्र में 6.1 फीसदी वृद्धि रही। पूंजीगत वस्तुओं (0.7 फीसदी) में वृद्धि कमजोर रही, जबकि बुनियादी ढांचा वस्तुओं में वृद्धि 7.3 फीसदी के शानदार स्तर पर रही। हालांकि टिकाऊ उपभोक्ता सामान के उत्पादन में लगातार छठे महीने कमी (-3.2 फीसदी) आई और उपभोक्ता गैर-टिकाऊ क्षेत्र में लगातार दूसरे महीने गिरावट (-5 फीसदी) रही। इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च में मुख्य अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि आईआईपी वृद्धि के तरीके से संकेत मिलता है कि आगे उपभोक्ता मांग को ऊंची महंगाई और ब्याज दरों में तेजी का दौर लौटने की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, लेकिन सरकार के लगातार पूंजीगत खर्च जारी रखने से बुनियादी ढांचा वस्तुओं की मांग बनी रह सकती है। ईवाई इंडिया में मुख्य नीति सलाहकार डी के श्रीवास्तव ने कहा कि महंगाई के रुझान को देखते हुए आरबीआई एक या दो बार में नीतिगत दर 50 आधार अंक बढ़ाने के बारे में विचार कर सकता है।
