देश में आयरन-फोर्टिफाइड राइस की गुणवत्ता को लेकर आशंका का माहौल पैदा हो गया है। तथ्यों का पता लगाने वाले नागरिक समाज के कार्यकर्ताओं के एक दल का कहना है कि लोगों के मन में इस बात का डर बैठ गया है कि सामान्य चावल में प्लास्टिक राइस मिलाया जा सकता है। इस दल के अनुसार कुछ मामलों में लोगों ने आयरन-फोर्टिफाइड राइस खाने के बाद पेट में गड़बड़ी आदि की शिकायत की है। सरकार ने मार्च 2024 से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के जरिये आयरन-फोर्टिफाइड राइस का वितरण करने की योजना तैयार की है। दल ने यह भी पाया है कि शुरू में प्रयोग के तौर पर जिन जिलों में जिस रूप में कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है उसमें कई तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं। दल का यह भी कहना है कि आयरन-फोर्टिफाइड राइस की पैकिंग करते समय सिकल सेल एनीमिया और थेलेसीमिया के मरीजों के स्वास्थ्य पर इसके असर को लेकर कोई चेतावनी नहीं दी गई है। इस दल ने खूंटी और पूर्व सिंहभूम जिलों का 8 से 10 मई 2022 के बीच दौरा किया। इस दौरान उन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थियों, डीलरों, सीएचसी डॉक्टरों, आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी और स्कूलों में काम करने वाले रसोइयों, जिला स्तर के अस्पतालों के अधिकारियों एवं मरीजों से बातचीत की। इस दल के सदस्यों द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, 'रक्त की कमी दूर करने कके लिए फोर्टिफाइड राइस एक प्रमाणित जरिया नहीं है। यह आश्चर्य की बात है कि सरकार ने बिना किसी बात की परवाह किए जल्दबाजी में देश के 257 जिलों में फोर्टिफाइड राइस का वितरण भी शुरू कर दिया है।'
