भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और क्रिप्टोकरेंसी के बीच टकराव पूरी तरह सामने आ गया है। नैसडैक सूचीबद्ध कॉइनबेस के सह-संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी ब्रायन ऑर्मस्ट्रॉन्ग ने कहा है कि आरबीआई के अनौपचारिक दबाव की वजह से उसे अपने प्लेटफॉर्म से यूपीआई भुगतान की व्यवस्था हटाने को विवश होना पड़ा है। ऑर्मस्ट्रॉन्ग ने कहा कि आरबीआई और सरकार इन भुगतान प्रणालियों को हटाने के लिए किसी न किसी तरीके से दबाव डालते रहे हैं। उन्होंने कहा, 'भारत इस मायने में एक अलग बाजार है कि देश के शीर्ष न्यायालय ने कह दिया है कि अभासी मुद्राओं (क्रिप्टोकरेंसी) पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता मगर सरकार एवं आरबीआई का रुख इसके विपरीत है।' कंपनी के नतीजे आने के बाद ऑर्मस्ट्रॉन्ग की यह टिप्पणी आई है। उन्होंने कहा कि आरबीआई का रुख शीर्ष न्यायालय के रुख के बिल्कुल विपरीत है। कॉइनबेस ने इस वर्ष अप्रैल में भारत में अपना कारोबार शुरू किया था। कंपनी ने कारोबार शुरू करते समय कहा था कि भारत में कारोबारी अपने आधार कार्ड के जरिये कंपनी के प्लेटफॉर्म पर आ सकते हैं अपने यूपीआई खाते की मदद से क्रिप्टोकरेंसी खरीद या बेच सकते है। बेंगलूरु में एक कार्यक्रम के दौरान आर्मस्ट्रॉन्ग ने कहा, 'कॉइनबेस ने भारत में निवेश करने की दीर्घकालिक योजना बनाई है। यहां पर कंपनी ने अपनी बुनियादी क्षमताएं तैयार की हैं और कई लोग नई तकनीक अपनाने के लिए तैयार दिख रहे हैं।' हालांकि कारोबार शुरू करने के कुछ ही दिनों बाद कंपनी को यूपीआई के माध्यम से भुगतान बंद करना पड़ा। भारत में क्रिप्टोकरेंसी को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार एवं नियामकों ने इस कारोबार में भरोसा जताने से इनकार किया है। आरबीआई तो कई बार क्रिप्टोकरेंसी पर अपनी आपत्ति दर्ज करा चुका है और इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की बात कह चुका है। फरवरी में मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद गवर्नर शक्तिकांत दास ने आगाह किया था कि निजी क्रिप्टोकरेंसी भारत की अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा हैं।
