मौद्रिक चिंताओं से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली बढ़ी | सचिन मामबटा / त्रिशूर May 10, 2022 | | | | |
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने डॉलर के मुकाबले रुपये के सर्वाधिक निचले स्तरों के बीच घरेलू कारोबारियों के मुकाबले अपने पोर्टफोलियो में भारी कमी की है।
सोमवार को एक डॉलर की वैल्यू 77.53 रुपये थी। मंगलवार को यह आंकड़ा 77.42 पर था। रुपये में गिरावट ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिए प्रतिफल कमजोर बनाया है। किसी भारतीय निवेश होल्डिंग की वैल्यू रुपया गिरने की स्थिति में डॉलर के संदर्भ में कम हो जाती है।
इसकी वजह से बेंचमार्क प्रतिफल बीएसई सेंसेक्स के मुकाबले बीएसई डॉलर 30 इंडेक्स के लिए अपने ऊंचे स्तरों से खराब रहा है। सेंसेक्स 30 बड़ी कंपनियों का सूचकांक है जिनमें किसी तरह का बदलाव बाजार की दिशा का प्रतिनिधित्व करता है। वहीं डॉलेक्स डॉलर संदर्भ में सेंसेक्स के प्रतिफल की गणना करता है। इसे डॉलर में सौदा करने वाले विदेशी संस्थानों के लिए बेहतर मापक समझा जा सकता है।
बीएसई सेंसेक्स में 62,245.43 के अपने सर्वाधिक ऊंचे स्तर से 12.7 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह मंगलवार को 54,364.85 पर बंद हुआ। एसऐंडपी डॉलेक्स 30 सूचकांक समान अवधि में 15.4 प्रतिशत नीचे आया है। डिपोजिटरी आंकड़ों से पता चलता है कि एफपीआई वर्ष 2022 के शुरू से 1.4 लाख करोड़ रुपये के शुद्घ बिकवाल रहे हैं।
अपने प्रतिस्पर्धियों के साथ तुलना करने से पता चलता है कि अन्य कारोबारियों ने भी कमजोर प्रदर्शन किया है। एमएससीआई इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स में 24 उभरते बाजार देशों के 1,398 शेयर शामिल हैं। यह सूचकांक 17.6 प्रतिशत नीचे आया है। एमएससीआई वल्र्ड सूचकांक में 1,539 शेयर शामिल है और यह 23 विकसित बाजारों के हैं। यह सूचकांक भी 17.3 प्रतिशत कमजोर हुआ है। तुलनात्मक तौर पर एमएससीआई इंडिया सूचकांक 9.7 प्रतिशत नीचे आया है।
कुछ मजबूत प्रतिरोध दिखे हैं, क्योंकि घरेलू खरीदारी बरकरार रही है। म्युचुअल फंड वित्त वर्ष 2022 में 1.8 लाख करोड़ रुपये के शुद्घ खरीदार थे। समान अवधि के दौरान एफपीआई बिकवाली 1.4 लाख करोड़ रुपये थी।
वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता मॉर्गन स्टैनली में इक्विटी विश्लेषक शीला राठी और इक्विटी रणनीतिकार रिधम देसाई तथा नयंत पारेख द्वारा 27 अप्रैल की इंडिया इक्विटी स्ट्रेटेजी रिपोर्ट में कहा गया कि घरेलू खरीदार अपनी दिलचस्पी बढ़ा रहे हैं, भले ही विदेशी निवेशकों ने बिकवाली पर जोर दिया है।
मॉर्गन स्टैनली की रिपोर्ट में कहा गया है, 'घरेलू म्युचुअल फंडों की संयुक्त शेयरधारिता और शेयरों में प्रत्यक्ष धारिता वर्ष 2015 से 600 आधार अंक से ज्यादा बढ़ी है, जबकि एफपीआई के संदर्भ में यह आंकड़ा करीब 150 आधार अंक घटा है।'
घरेलू निवेश फर्म रोहा ऐसेट मैनेजर्स में मैनेजिंग पार्टनर एवं मुख्य निवेश अधिकारी धीरज सचदेव ने कहा कि वे इस गिरावट के दौर में भी लगातार निवेश कर रहे हैं और नकदी प्रवाह में सक्षम उन कंपनियों पर दांव लगा रहे हैं, जिनका मूल्यांकन अच्छा है।
उन्होंने कहा, 'आपको कम कीमतों का लाभ उठाना चाहिए।'
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक एवं निदेशक यू आर भट ने कहा कि डॉलर के लगातार मजबूत होने, चीन में कोविड-19 को लेकर ब्याज दर परिदृश्य पर सख्ती और यूक्रेन में भूराजनीतिक तनाव बढऩे से विदेशी निवेशकों की ओर से बिकवाली दबाव बना रह सकता है, हालांकि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर मार्च तिमाही के नतीजे आने पर दांव लगाया जा सकता है।
|