देश की स्टार्टअप ने हाल ही में 100वीं यूनिकॉर्न (एक अरब से अधिक मूल्यांकन वाली स्टार्टअप) ने एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। किसी बड़े फंड की घोषणा न होने के बावजूद एक महीने के बाद ऐसा हुआ है। अगर इसकी तुलना 2021 से करें तो उन दिनों हर महीने तीन से चार स्टार्टअप यूनिकॉर्न बन रही थीं। 11 साल पहले 2011 में पहली यूनिकॉर्न स्टार्टअप की घोषणा हुई थी, ऐसे में निश्चित रूप से 100 वें स्टार्टअप का जश्न मनाया ही जाना चाहिए। लेकिन अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या 2021 में यूनिकॉर्न की रफ्तार धीमी रही? सलाहकार कंपनी प्रैक्सिस ग्लोबल अलायंस की इकाई पीजीए लैब्स के अनुसार, भारत में इस साल 45 अतिरिक्त यूनिकॉर्न दिखाई देंगी। हालांकि, चालू वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में कुछ ही सूनिकॉर्न फंड जुटाने में कामयाब रही हैं जो दरअसल प्रौद्योगिकी और वित्तीय तकनीक कंपनियां होती हैं जिनके यूनिकॉर्न बनने की संभावना होगी। वेंचर इंटेलिजेंस के आंकड़ों के मुताबिक, केवल तीन सूनिकॉर्न ने फंड जुटाया है जिनमें परफियोस सॉफ्टवेयर, रुपीक और इंडमनी शामिल है। आयरन पिलर फंड्स के एक हाल के सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 2025 तक 250 यूनिकॉर्न हो सकती हैं। हालांकि 250 यूनिकॉर्न का लक्ष्य अब भी हासिल किया जा सकता है, कई वेंचर कैपिटलिस्ट खिलाड़ी कह रहे हैं कि 2022 में इसकी रफ्तार थोड़ी धीमी हो सकती है। आयरन पिलर फंड के प्रबंध साझेदार आनंद प्रसन्ना ने कहा, 'वैश्विक स्तर के व्यापक जोखिमों के कारण नकदी की स्थिति प्रभावित होगी जिसके कारण साल की दूसरी छमाही की रफ्तार कम हो जाएगी। लेकिन हम अब भी 2021 की संख्या के करीब ही हैं।' उन्होंने कहा कि आगे ऐसी चुनौतियां हैं जो सूनिकॉर्न के यूनिकॉर्न बनने की यात्रा को प्रभावित कर सकती हैं। प्रसन्ना ने कहा, 'ग्राहक अधिग्रहण की बढ़ती लागत, हाल में आईपीओ लाने वाले कुछ उपभोक्ता प्रौद्योगिकी यूनिकॉर्न के खराब प्रदर्शन की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सामान्य व्यापक चुनौतियां अधिक रहीं और ऐसे में इसकी वजह से इस साल यूनिकॉर्न बनने की रफ्तार प्रभावित हो सकती है।' अमेरिकी ब्याज दरों में वृद्धि, रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण भू-राजनीतिक तनाव, मुद्रास्फीति में वृद्धि और अमेरिका के तकनीकी शेयरों की कीमतों में गिरावट जैसी कुछ वजहों से मंदी की स्थिति बनी। वेंचर कैपिटलिस्ट खिलाडिय़ों का मानना है कि 2021 में जिस तरह जोश वाला निवेश देखा गया उसके बाद इस साल कुछ सावधानी दिख सकती है। निश्चित रूप से इसकी वजह से मूल्यांकन और करार पूरा होने की प्रक्रिया पर असर पड़ेगा। नॉरवेस्ट वेंचर्स पार्टनर इंडिया के प्रबंध निदेशक और प्रमुख निरेन शाह का मानना है कि यूनिकॉर्न बनने की रफ्तार पिछले साल की तरह ही होगी, हालांकि जिन क्षेत्रों से यूनिकॉर्न बनेंगी उनमें गतिशीलता बनी रहेगी। उन्होंने कहा, 'इस वर्ष यूनिकॉर्न की संख्या में एक मजबूत शुरुआत नजर आई है लेकिन वैश्विक बाजार की स्थिति दूसरी छमाही में खराब रह सकती है।' चिराता वेंचर्स के प्रबंध निदेशक और पार्टनर वेंकटेश पेड्डी ने कहा, 'बाजार में निश्चित रूप से अधिक सावधानी बरती जा रही है और निवेशक काफी सोच-समझकर चयन कर रहे हैं। लेकिन मैं इसे सकारात्मक तरीके से देखता हूं क्योंकि अब हड़बड़ी कम हो गई है और हम बहुत अधिक सामान्य फंडिंग चक्र देखेंगे।' पेड्डी का यह भी मानना है कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व द्वारा दरों में कटौती और बढ़ती महंगाई के चलते निवेशक शायद इस पर पूरा ध्यान देंगे और प्रशासनिक मुद्दों पर भी अधिक ध्यान देंगे और ऐसे में सेवा के तौर पर सॉफ्टवेयर (एसएएएस) जैसे क्षेत्र अधिक आकर्षक लग सकते हैं। पेड्डी ने कहा, 'अन्य तकनीकी क्षेत्रों की तुलना में निवेश के लिए एक क्षेत्र के रूप में एसएएएस अभी भी छोटा है और शायद फंडिंग में अभी 5-6 साल और लगेंगे। लेकिन इस साल हमें लगता है कि इस क्षेत्र में पिछले वर्षों की तुलना में तेजी से निवेश बढ़ेगा।' चिराता वेंचर्स और जिनोव के अध्ययन के अनुसार, 2022 में एसएएएस श्रेणी में 6 अरब डॉलर से अधिक का निवेश होगा जो 2021 के 4.2 अरब डॉलर से अधिक है। इस बीच, इनोवेन कैपिटल की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 47 प्रतिशत निवेशकों को उम्मीद है कि 2022 में फंडिंग गतिविधि कुछ हद तक धीमी हो जाएगी। निवेशकों ने संकेत दिया कि एसएएएस, वेब 3.0, फिनटेक, स्वास्थ्य-तकनीक में इस साल दिलचस्पी दिखेगी।
