हरियाणा में बिजली को जूझते उद्योग | नितिन कुमार / मानेसर May 08, 2022 | | | | |
चढ़ते पारे के साथ हरियाणा में घंटों बिजली कटौती होने लगी है, जिससे उद्योग-धंधे भी प्रभावित हो रहे हैं। आम दिनों में मानेसर के औद्योगिक मॉडल टाउनशिप में लेबर चौक पर दिहाड़ी मजदूरों की भीड़ लगी रहती थी लेकिन इन दिनों चौक सूना नजर आता है क्योंकि काम ही नहीं है। कुछ साथियों के साथ काम की तलाश में आए दिहाड़ी मजदूर वीर दास ने कहा, 'दिहाड़ी मजदूरों के लिए काम ही नहीं है। बिजली कटौती के कारण कारखानों और निर्माण स्थलों पर काम की पाली घटा दी गइ्र हैं और लोगों को अपना रोजगार गंवाना पड़ रहा है।' दास ने कहा, 'हम रातों को सो नहीं पाते क्योंकि पेट खाली होता है और बिजली भी नहीं आती कि गर्मी से राहत मिल जाए। इस कारण लोग बीमार भी हो रहे हैं।'
देश के कई हिस्सों में बिजली संकट गहरा रहा है और हरियाणा के औद्योगिक क्षेत्रों में करीब 800 इकाइयों पर इसकी बड़ी मार पड़ी है। बिजली कटौती के कारण जेनरेटर का इस्तेमाल करने से इन इकाइयों की उत्पादन लागत करीब 30 फीसदी बढ़ गई है।
एक उद्यमी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, 'हर दिन सात से आठ घंटे बिजली कटौती के कारण हमें डीजल वाले जेनरेटरों के भरोसे काम करना पड़ रहा है। इससे उत्पादन लागत बढ़ गई है और एमएसएमई के लिए बोझ उठाना मुश्किल हो गया है।' उन्होंने कहा कि हर साल 3 से 4 घंटे बिजली कटौती होती थी, लेकिन इस बार लंबे समय तक बत्ती गुल रहने से उत्पादन लागत 25 से 30 फीसदी तक बढ़ गई है। बिजली संकट ऐसे समय में आया है, जब उद्योग रूस-यूक्रेन युद्घ और महामारी के कारण पहले ही मुश्किल में हैं। राज्य के उद्योगों का उत्पादन 14 से 25 फीसदी घट गया है और उद्योगों ने राज्य सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है।
आईएमटी मानेसर के सेक्टर-4 में आइसक्रीम कप बनाने वाले उद्यमी रिदम सिंह ने कहा, 'सरकार ने उद्यमियों की स्थिति में सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। हम जेनरेटर इस्तेमाल करें तो हमारी लागत कप की कीमत से भी ज्यादा हो जाएगी।' उन्होंने कहा, 'इस समय हमारा उत्पादन चरम पर होता है मगर बिजली संकट के कारण इस बार मामला बिगड़ गया है और अप्रैल में 2 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है।'
छोटी औद्योगिक इकाइयों पर ज्यादा मार पड़ी है। लगातार बिजली कटौती के कारण कई इकाइयां बंद करने की नौबत आ गई है। भारतीय उद्योग संघ के महासचिव दीपक जैन ने कहा, 'मशीनें चलाकर नुकसान बढ़ाने के बजाय हम उन्हें बंद रखने के बेहतर आर्थिक विकल्प तलाश रहे हैं।' उन्होंने कहा कि बिजली खरीद की लागत 2 रुपये प्रति यूनिट है, लेकिन उद्योग को 10 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जाती है। अगर रात की पाली में बिजली नहीं आएगी तो हम मांग पूरी कैसे करेंगे?
हालांकि जिन इकाइयों के पास पावर बैकअप की सुविधा है उन्हें काम बंद नहीं करना पड़ रहा है मगर उनकी श्रम लागत बढ़ गई है।
मारुति सुजूकी के एक वरिष्ठ प्रबंधक ने कहा, 'मारुति के पास काम के लिए बिजली का समुचित बैकअप है मगर हमारी लागत भी बढ़ रही है।'
रियल एस्टेट क्षेत्र को भी बिजल किल्लत से जूझना पड़ रहा है, जिससे निर्माण लागत बढ़ गई है। गुरुग्राम के एक प्रतिष्ठित बिल्डर ने कहा, 'निर्माण कार्य बंद नहीं हुआ है क्योंकि सभी बिल्डरों के पास जेनरेटर हैं। लेकिन डीजल महंगा होने से लागत बढ़ गई है और गर्मी से मजदूर बीमार पड़ रहे हैं, जिससे दिक्कत हो रही है।' उन्होंने कहा कि निर्माण लागत में इजाफा होता है तो फ्लैट के दाम भी बढ़ जाएंगे।
दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम की सारणी के मुताबिक गुरुग्राम में कुल साढ़े छह घंटे कटौती हो रही है और घरेलू आपूर्ति में रोजाना 4 घंटे की कटौती है। मगर वास्तव में 10 से 12 घंटे बिजली नहीं रहती।
विशेषज्ञों का कहना है कि पारा 45 डिग्री तक पहुंच गया है और कोयले के औसत भंडार में सुधार के बावजूद बिजली की किल्लत जल्द दूर होती नजर नहीं आ रही है। राष्ट्रीय बिजली पोर्टल के आंकड़ों के मुताबिक देश भर में 165 बिजली संयंत्रों में समान्य जरूरत का 32 फीसदी कोयला उपलब्ध है। कोयले का औसत भंडार 7.6 दिन का है, जो पिछले हफ्ते 7.7 दिन का था।
हरियाणा में पिछले हफ्ते करीब 9,000 मेगावाट बिजली की अधिकतम मांग रही और कमी करीब 1,500 मेगावाट की रही।
हरियाणा के पूर्व बिजली मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'हरियाणा में छह बिजली संयंत्र हैं लेकिन सरकार ने उनकी मरम्मत नहीं कराई है, जिससे वे पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं। पिछले सात साल में राज्य में कोई ताप, सौर या परमाणु बिजली संयंत्र नहीं लगाया गया है।'
मगर हरियाणा के बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने कहा कि बिजली की पर्याप्त व्यवस्था की गई है और इसकी आपूर्ति जल्द की जाएगी। उन्होंने कहा कि बिजली संकट केवल हरियाणा में नहीं है बल्कि देश के 16 राज्यों में है।
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