एलआईसी में अटके निवेश से अन्य आईपीओ पर असर! | समी मोडक / मुंबई May 08, 2022 | | | | |
भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम सोमवार को बंद होगा। निर्गम को अभी तक 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की बोलियां मिल चुकी हैं और उम्मीद है कि अंतिम दिन तक बोलियां 1 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच सकती है।
एलआईसी को अब तक करीब 1.79 गुना बोलियां मिल चुकी हैं। खुदरा निवेशकों ने एलआईसी पर खूब दांव लगाया है, ऐसे में इस हफ्ते तीन अन्य कंपनियों के आने वाले आईपीओ की बोलियों पर असर पड़ सकता है। उद्योग के भागीदारों का कहना है कि एलआईसी के निर्गम में काफी पैसा फंसा होगा, ऐसे में अन्य निर्गम में निवेश के लिए पूंजी की दिक्कत हो सकती है। एलआईसी के अलावा लॉजिस्टिक्स स्टार्टअप डेलिवरी का आईपीओ भी इस हफ्ते खुलने वाला है। सॉफ्टबैंक समर्थित यह कंपनी 5,235 करोड़ रुपये का आईपीओ ला रही है। म्युचुअल फंड वितरक प्रूडेंट कॉर्पोरेट एडवाइजरी सर्विसेज (536 करोड़ रुपये) और वीनस पाइप्स ऐंड ट्यूब्स (165 करोड़ रुपये) का भी आईपीओ आने वाला है। चारों आईपीओ के जरिये बाजार से करीब 27,000 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे, जो घरेलू प्राथमिक बाजार में पांच दिन में जुटाई जाने वाली अब तक की सबसे बड़ी राशियों में से एक होगी। अगर एलआईसी और डेलिवरी अपने निर्गम का आकार नहीं घटाती तो यह रकम काफी अधिक हो सकती थी। गत वर्र्ष आईपीओ के दो व्यस्त हफ्तों में 21,000 करोड़ रुपये और 13,000 करोड़ रुपये जुटाए गए थे।
एक निवेश बैंकर ने कहा, 'सीमित पूंजी वाले निवेशक असमंजस में होंगे कि उन्हें कहां निवेश करना चाहिए। हालांकि तेजी से विकास करने वाली स्टार्टअप को शायद ही कभी स्थापित फर्म से प्रतिस्पद्र्घा करना पड़ा हो।'
उद्योग के भागीदारों ने कहा कि एलआईसी आईपीओ के लिए रिफंड की प्रक्रिया 13 को पूरी होगी और उसी दिन डेलिवरी का आईपीओ बंद होगा। बैंकरों का कहना है कि डेलिवरी और वीनस पाइप्स के आईपीओ के बंद होने से पहले रिफंड मिलने की संभावना कम ही है। प्रूडेंट एडवाइजरी का आईपीओ इससे एक दिन पहले ही बंद हो जाएगा। ऐसे में कुछ निवेशकों को चुनिंदा रुख अपनाना होगा।
डेलिवरी का आईपीओ नई पीढ़ी की तकनीकी फर्मों के लिए निवेशकों की चाहत की फिर से परीक्षा होगी। पिछले साल जोमैटो, पॉलिसीबाजार और नायिका के आईपीओ को जबरदस्त सफलता मिली थी। हालांकि पेटीएम की खराब सूचीबद्घता और वैश्विक बिकवाली ने इसका मजा किरकिरा कर दिया था। अगर डेलिवरी की सूचीबद्घता सफल रहती है तो फार्मईजी और ओयो जैसी कंपनियां भी आईपीओ लाने की सोच सकती हैं। दोनों कंपनियां लंबे समय से आईपीओ बाजार में दस्तक देने की तैयारी कर रही हैं।
अभी तक एलआईसी को ज्यादातर बोलियां घरेलू निवेशकों से ही मिली हैं। उनमें भी खुदरा निवेशक आगे रहे हैं। संस्थातग श्रेणी में केवल 2,500 करोड़ रुपये की बोलियां आईं हैं। विदेशी निवेशकों की ओर से ना के बराबर आवेदन जमा कराए गए हैं। एलआईसी की सफल सूचीबद्घता से सरकार के विनिवेश अभियान को गति मिलेगी और बीमा कंपनी के बाद में शेयर बिक्री की मांग भी सुनिश्चित होगी।
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