निफ्टी के 75 फीसदी शेयर 200 डीएमए से नीचे | अवधूत बागकर और पुनीत वाधवा / मुंबई/नई दिल्ली May 07, 2022 | | | | |
पिछले कुछ हफ्ते में भारतीय इक्विटी बाजारों में हुई तीव्र बिकवाली ने निफ्टी-50 के 38 शेयरों (75 फीसदी) को अपने-अपने 200 दिन के मूविंग एवरेज (डीएमए) से नीचे खींच लिया है।
200 दिन का मूविंग एवरेज एक संकेतक है, जिसे निवेशक समुदाय और विशेषज्ञ सबसे ज्यादा प्रासंगिक ट्रेंड इंडिकेटर मानते हैं। ट्रेडरों का मानना है कि 200 दिन के मूविंग एवरेज से ऊपर कारोबार कर रहे शेयर में आगे निकलने की ताकत होती है और उनमें तेजी की उम्मीद की जाती है। दूसरी ओर, ऐसे अहम तकनीकी संकेतकों से नीचे कारोबार वाले शेयरों में मंदी की आशंका होती है और उनमें और गिरावट का अनुमान होता है।
अगर विश्लेषकों की मानी जाए तो अगले कुछ हफ्तों में सूचकांकों में उतारचढ़ाव बना रहेगा क्योंंकि महंगाई पर लगाम कसने के लिए वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से की जा रही ब्याज बढ़ोतरी से बाजार प्रभावित हो रहा है।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के चीफ मार्केट स्ट्रैटिजिस्ट आनंद जेम्स ने कहा, निफ्टी का हाल में 16,915 के स्तर से ऊपर चढऩा और फिर उसमें गिरावट अनुमान के मुताबिक थी। पिछले आठ महीने में बाजारों ने इस तरह की परिस्थिति का सामना नहीं किया है। निफ्टी के लिए अब 16,400-15,800 का स्तर अनुमानित है। वीआईएक्स के 20 से ऊपर होने के साथ आगामी दिनों मेंं इसके 14,500 के स्तर की ओर जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
बजाज ऑटो, सिप्ला, डिविज लैब्स, एचसीएल टेक्नोलॉजिज एचडीएफसी बैंक, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस, एलऐंडटी, मारुति सुजूकी इंडिया और टाटा स्टील जैसे शेयर अभी अपने-अपने 200 दिन के मूविंग एवरेज से नीचे कारोबार कर रहे हैं।
जियोजित फाइनैंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, वैश्विक इक्विटी बाजारों को महंगाई प्रभावित कर रहा है और बाजार को महंगाई पर लगाम कसने के लिए केंद्रीय बैंक की क्षमता (आर्थिकरफ्तार पर असर के बिना) पर संशय है। अच्छी गुणवत्ता वाले शेयरों की थोड़ी-थोड़ी खरीद अच्छी निवेश रणनीति होगी।
200 दिन के मूविंग एवरेज से नीचे आने वाले 38 शेयरों में टेक महिंद्रा व विप्रो 30 फीसदी से ज्यादा नीचे चले गए हैं जबकि अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज और डॉ. रेड्डीज लैब्स में इस कैलेंडर वर्ष में अब तक 22 फीसदी की गिरावट आई है। करीब 19 शेयर इस साल अब तक के आधार पर 10 फीसदी से ज्यादा टूटे हैं।
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