अप्रैल में सेवा गतिविधियां बढ़कर 5 माह के उच्च स्तर पर पहुंच गईं। नए काम आने की वजह से कारोबारी गतिविधियों को बढ़ावा मिला है और रोजगार बढ़े हैं। हालांकि इनपुट लागत में रिकॉर्ड बढ़ोतरी की वजह से कारोबारी विश्वास कमजोर पड़ा है। एसऐंडपी ग्लोबल की ओर से आज जारी आंकड़ों से पता चलता है कि सर्विस पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अप्रैल में बढ़कर 57.9 पर पहुंच गया, जो मार्च में 53.6 पर था। कोरोनावायरस के ओमीक्रोन के प्रकोप से इसमें काफी सुस्ती आई थी। इसमें कहा गया है, 'अब अप्रैल में एक बार फिर कारोबार बढ़ा है। इससे वृद्धि का मौजूदा दौर 9 महीने का हो गया है। हाल में बिक्री में बढ़ोतरी तेज थी और नवंबर 2021 के बाद सबसे मजबूत थी। सर्वे में शामिल लोगों का कहना था कि कोविड-19 से जुड़े प्रतिबंध हटने का व्यापक असर पड़ा है और मांग में सुधार हुआ है।' अप्रैल में विनिर्माण पीएमआई में भी तेज बढ़ोतरी हुई थी। उत्पादन और फैक्ट्री ऑर्डर में तेज बढ़ोतरी के कारण मार्च के 54 से बढ़कर यह 54.7 पर पहुंच गया था। साथ ही सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक अंतरराट्रीय बिक्री में भी विस्तार हुआ था। अप्रैल के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत की सेवा फर्मों का परिचालन व्यय बढऩे से सर्वे में हिस्सा लेने वालों ने केमिकल्स, खाद्य, ईंधन, श्रम व सामग्री के साथ खुदरा लागत बढऩे की बात कही थी। मार्च से तेजी के बाद कुल मिलाकर महंगाई दर तेज थी और दिसंबर 2005 में आंकड़े एकत्र किए जाने के बाद से दूसरी तेज बढ़ोतरी हुई है। इसमें कहा गया है, 'महंगाई की चिंता की वजह से अप्रैल में कारोबारी भरोसा कमजोर हुआ है। हालांकि अभी कुल मिलाकर सकारात्मक है, लेकिन संपूर्ण धारणा मार्च के बाद से कमजोर हुई है औऱ यह दीर्घावधि औसत के हिसाब से बहुत नीचे है।' बहरहाल कंपनियों ने अप्रैल में भर्ती की कवायदें तेज की हैं, और पिछले साल नवंबर के बाद इसमें पहली बढ़ोतरी देखी गई है। जिन फर्मों ने अतिरिक्त कर्मचारी रखे हैं, उनके नए कारोबार में बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल महीने में भारत की सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग खराब हुई है। मार्च 2020 में कोविड-19 के बाद हर महीने में ऐसा दर्ज हुआ है। सितंबर 2021 के बाद से विदेश से नए ऑर्डर में कमी आई है। एसऐंडपी ग्लोबल में इकोनॉमिक्स एसोसिएट डायरेक्टर पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि भारत की सेवा अर्थव्यवस्था और विनिर्माण में तेजी के मुताबिक चल रही है, जो वित्त वर्ष 2022-23 की शुरुआत से है। उन्होंने कहा, 'हाल के परिणाम से अप्रैल के दौरान कीमतों के दबाव के संकेत मिलते हैं। सेवा प्रदातों ने खाद्य, ईंधन और सामग्रियों पर ज्यादा भुगतान किया है और कुछ मामलों में बढ़ा वेतन भी कुल मिलाकर खर्च बढ़ा रहा है। सर्वे के इतिहास में महंगाई दर दूसरे शीर्ष स्तर पर है। इसकी वजह से कंपनियों को अपना विक्रय मूल्य बढ़ाना पड़ रहा है और यह पिछले 5 साल का सबसे तेज स्तर है। उपभोक्ता सेवाएं और वित्त व बीमा सेवा गतिविधियों में प्रदर्शन करने वाले प्रमुख क्षेत्र हैं। वहीं रियल एस्टेट और बिजनेस सर्विसेज एकमात्र उपक्षेत्र है, जहां बिक्री और आउटपुट कमजोर है।' यूक्रेन पर रूस के हमले से खाद्य व जिंसों की कीमतें बढ़ी हैं और इससे रिजर्व बैंक को अपनी समावेशी नीति के रूख पर विचार करने को बाध्य होना पड़ रहा है। हाल की मौद्रिक नीति समीक्षा में रिजर्व बैंक ने प्रमुख नीतिगत दरें यथावत रखी थीं, लेकिन संकेत दिए थे कि उसकी प्राथमिकता अब वृद्धि को बढ़ावा देने की जगह महंगाई दर को काबू में रखना है। रिजर्व बैंक ने कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर कल्पना करते हुए वित्त वर्ष 23 में वृद्धि अनुमान 7.8 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है, जबकि महंगाई वृद्धि का अनुमान 4.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.7 प्रतिशत कर दिया है। इस महीने की शुरुआत में विश्व बैंक ने भी वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत का वृद्धि अनुमान 8.7 प्रतिशत से घटाकर 8 प्रतिशत कर दिया था। विश्व बैंक ने खपत मांग में सुस्त रिकवरी और यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर अनिश्चितता का हवाला देते हुए ऐसा किया था।
