भारत कर सकता है 80-100 लाख टन गेहूं निर्यात | संजीव मुखर्जी / April 30, 2022 | | | | |
बीएस बातचीत
गेहूं निर्यात परिदृश्य में एक महीने के भीतर व्यापक बदलाव आया है। नए रिकॉर्ड छूने की ओर ध्यान से हटकर अब निर्यात पर रोक को लेकर चर्चा होने लगी है। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र ने इन तमाम मसलों पर संजीव मुखर्जी से बात की। संपादित अंश...
गेहूं की मांग व आपूर्ति को लेकर आपका क्या आकलन है? उत्पादन में गिरावट को लेकर तमाम तरह की बात हो रही है?
हमारे अनुमान के मुताबिक अनाज के उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमान की तुलना में 2022-23 में गेहूं उत्पादन करीब 60 से 100 लाख टन कम रहने की उ मीद है। फरवरी में 1113 लाख टन उत्पादन का आकलन किया गया था।
बदले परिदृश्य में खरीद को लेकर आपका क्या अनुमान है?
मेरी समझ से हमें सामान्यतया राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लिए एक साल में 210 लाख टन गेहूं की जरूरत होती है। अब हमने मु त अनाज की योजना 6 माह के लिए बढ़ा दी है, ऐसे में हमें 90 से 100 लाख टन की और जरूरत होगी। सरकार को सभी जरूरतें पूरी करने के लिए 300 से 320 लाख टन की जरूरत है।
1 अप्रैल को हमारे पास स्टॉक में 190 लाख टन था। अगर स्टॉक में से 130-140 लाख टन निकालते हैं और 200 टन खरीदने में सफल होते हैं तो हम आराम से काम कर सकेंगे।
मतलब आपका मानना है कि खरीद 200 लाख टन से कम नहीं होगी?
मुझे नहीं लगता कि खरीद 200 लाख टन से कम होगी। हमने 25 अप्रैल तक 130 लाख टन खरीद पूरी कर ली है। जैसी खरीद चल रही है, स्थिति चिंताजनक नहीं है।
क्या आपको लगता है कि कम उत्पादन और सुस्त खरीद आदि वजहों से गेहूं निर्यात पर रोक लगाए जाने की जरूरत है?
उत्पादन और खरीद की मौजूदा स्थिति को देखें तो भारत 80 से 100 लाख टन गेहूं के निर्यात का भार उठा सकता है, भले ही उत्पादन में 100 लाख टन गिरावट हो जाए। जब तक यह स्थिति रहती है, किसी अफरा-तफरी की जरूरत नहीं है। हालांकि हमें उभरती परिस्थितियों पर नजर रखने और उसके मुताबिक कदम उठाने की जरूरत है।
एक पखवाड़े पहले भारत गेहूं निर्यात को लेकर उत्साहित था। क्या आपको लगता है कि सरकार ने उभरते परिदृश्य को देखते हुए गलत गणना की और वह हकीकत का अनुमान लगाने में असफल रही?
अगर आप मुझसे एक महीने पहले पूछते तो मैं यह कहता कि भारत कम से कम 150 लाख टन गेहूं निर्यात कर सकता है। किसी को इस तरह की मारक गर्म हवाओं की जानकारी नहीं थी। कोई यह अनुमान लगा सकता है कि तापमान सामान्य से 2-3 डिग्री सेल्सियस बढ़ेगा। लेकिन किसे पता था कि अप्रैल में तापमान सामान्य से 6-7 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहेगा? आप कल्पना करें कि हम निर्यात के बारे में नहीं सोचते और फसल सामान्य रहती तो कीमतें जमीन पर आ जातीं। शुरुआती दौर में उत्पादन 1113 लाख टन रहने का अनुमान लगाया गया था और ऐसे में निर्यात को बढ़ावा देने की कवायद उचित थी।
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