मार्च में 8 प्रमुख बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में तेज रिकवरी हुई है। इस पर भू-राजनीतिक तनाव बेअसर रहा और 14.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। बहरहाल आधार के प्रतिकूल असर के कारण प्रमुख क्षेत्र की सालाना वृद्धि पिछले साल के समान महीने की तुलना में 4.3 प्रतिशत कम है। उद्योग विभाग की ओर से जारी आंकड़ों से पता चलता है कि कोयले (-0.1 प्रतिशत) और कच्चे तेल (-3.4 प्रतिशत) को छोड़कर अन्य 6 बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में मार्च में तेज सालाना वृद्धि दर्ज की गई है। उर्वरक का उत्पादन दो अंकों (15.3 प्रतिशत) में बढ़ा है। हालांकि चल रहे कोयला संकट की वजह से तमाम राज्यों में बिजली कटौती तेज हो सकती है, जिससे बिजली की लागत में तेजी आएगी और उद्योगों को कोयले की आपूर्ति भी कम होगी। इसे वृद्धि की र तार कमजोर पड़ेगी। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भू-राजनीतिक तनावों और चीन में नए सिरे से लॉकडाउन का असर भारत की आर्थिक गतिविधियों पर नहीं पड़ा है और मार्च में व्यापक तौर पर रिकवरी हुई है और 16 में से 12 संकेतक लगातार सुधर रहे हैं। इसमें जीएसटी संग्रह, ईवे बिल, बिजली उत्पादन, तैयार स्टील की खपत, मोटरसाइकिल उत्पादन, पोर्ट कार्गो और रेल माल ढुलाई, घरेलू एयरलाइंस में यात्रियों की सं या, वाहनों का पंजीकरण और इसके साथ ही कुल मिलाकर जमा व अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से गैर खाद्य कर्ज शामिल है। बैंक आफ बड़ौदा के मु य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, 'उर्वरक में 15.2 प्रतिशत तेजी की वजह पिछले साल 5 प्रतिशत की गिरावट हो सकती है क्योंकि कंपनियों ने खरीफ की तैयारियों के हिसाब से भंडारण शुरू कर दिया है।' केयर रेंटिंग्स में मु य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे माल की कीमत ज्यादा होने के कारण कुल मिलाकर आर्थिक परिदृश्य सुस्त रहा है। इसका असर घरेलू उत्पादकों के मुनाफे पर पड़ सकता है और इससे निजी क्षेत्र के निवेश में सुस्ती आएगी। उन्होंने कहा, 'कोयला और बिजली क्षेत्रों में आने वाले महीनों में बेहतर वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि वाणिज्यिक गतिविधियों में तेजी आने से बिजली की मांग बढ़ेगी। सरकार का ध्यान बुनियादी ढांचे पर खर्च बढ़ाने और आवास की मांग बढ़ाने पर है, जिससे स्टील व सीमेंट जैसे क्षेत्रों पर सकारात्मक असर पड़ेगा। वहीं हाल में केंद्र सरकार द्वारा खरीफ सत्र के पहले घोषित उर्वरक सब्सिडी से उर्वरक क्षेत्र को लाभ मिलेगा।' अप्रैल के शुरुआती आंकड़ों से मिली जुली तस्वीर सामने आई थी। गर्मी के सीजन के साथ सालाना बिजली की मांग 1 से 18 अप्रैल के बीच 9.7 प्रतिशत बढ़ी, जो मार्च में 5.9 प्रतिशत बढ़ी थी। बहरहाल खुदरा ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी से क्रमिक हिसाब से अप्रैल के पहले 15 दिनों में खपत का स्तर प्रभावित हुआ है। यूक्रेन पर रूस के हमले से खाद्य व जिंसों के दाम पर दबाव बढ़ा है और इनकी कीमतों में तेजी आई है। इसकी वजह से रिजर्व बैंक पर समावेशी नीति के बारे में नए सिरे से आकलन को लेकर दबाव है। अपनी हाल की मौद्रिक नीति समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने प्रमुख नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था, लेकिन उसने संकेत दिया था कि अब वह महंगाई पर काबू रखने को प्राथमिकता देगा।
