भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने शुक्रवार को बैंकिंग, वित्तीय सेवाओं, और बीमा (बीएफएसआई) क्षेत्र के लिए निवेश सीमा उनकी कुल निवेश राशि के 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत कर दी। इस पहल से बीफएसआई क्षेत्र में बीमा कंपनियों द्वारा और ज्यादा निवेश के लिए राह आसान हुई है। उद्योग के कारोबारियों का कहना है कि मौजूदा 25 प्रतिशत की क्षेत्रीय निवेश सीमा का कई बीमा कंपनियों द्वारा पूरा इस्तेमाल किया जा चुका है। यह बदलाव भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के 21,000 करोड़ रुपये के आईपीओ से पहले किया गया है। सूत्रों का कहना है कि निजी क्षेत्र की कुछ बड़ी बीमा कंपनियों ने एंकर श्रेणी में शेयर खरीदने की योजना बनाई है। आईआरडीएआई ने अपने एक बयान में कहा, 'बीमा नियामक ने इरडा (इन्वेस्टमेंट) रेग्युलेशंस, 2016 के नियम 14 (2) के तहत प्रदान अधिकारों के तहत, सभी बीमा कंपनियों को अपनी निवेश परिसंपत्तियों का 30 प्रतिशत तक हिस्सा वित्तीय एवं बीमा गतिविधियों में निवेश करने की अनुमति दी है।' नियामक ने कहा कि उसी के अनुसार, निवेश परिसंपत्तियों की 25 प्रतिशत सीमा को संशोधित कर 30 प्रतिशत किया गया है। इस क्षेत्र द्वारा यह सीमा बढ़ाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी, क्योंकि उनमें से कई कंपनियां नियामक द्वारा निर्धारित सीमा के आसपास पहले ही परिचालन कर चुकी थीं। खासकर वित्तीय क्षेत्र के संदर्भ में सेक्टोरल सीमा बाधक भी थी, क्योंकि इसका देश के कुल बाजार पूंजीकरण में एक-तिहाई से अधिक का योगदान है। इसके परिणामस्वरूप कई बीमा कंपनियां वित्तीय क्षेत्र में कम निवेश कर रही हैं। इंडियाफस्र्ट लाइफ इंश्योरेंस के उप मु य कार्याधिकारी ऋषभ गांधी ने कहा, 'हमारा पहले के 25 प्रतिशत की सीमा के मुकाबले बीएफएसआई में अभी करीब 23 प्रतिशत निवेश है। यह समय समय पर अवसरों का लाभ उठाने में मददगार साबित हो सकता है। सीमा बढऩे से हमें बीएफएसआई में अपना निवेश बढऩे की संभावना है।' गांधी ने कहा, 'अब तक, नियामकीय नियमों की वजह से बीफएसआई निवेश बीमा कंपनियों के लिए 25 प्रतिशत पर सीमित था। हालांकि नि टी जैसे प्रमुख सूचकांकों में बीएफएसआई भारांक 35 प्रतिशत पर है। इसलिए 25 प्रतिशत की सीमा बाधक थी। इरडा द्वारा सीमा बढ़ाकर 30 प्रतिशत किए जाने से बीमा कंपनियों को बीएफएसआई क्षेत्र में ज्यादा निवेश करने में मदद मिलेगी।' नि टी 500 सूचकांक में, बैंक, एनबीएफसी और बीमा कंपनियों का संयुक्त भारांक 28.5 प्रतिशत है। यह भारांक बैंकिंग और वित्तीय शेयरों के ताजा कमजोर प्रदर्शन की वजह से ऊंचाई से तेजी से घटा है। आईआरडीएआई के पूर्व सदस्य नीलेश साठे ने कहा, 'बीएफएसआई के तहत निवेश सीमा बढ़ाए जाने के लिए बीमा कंपनियों से मांग की जा रही थपी। उन्हें इस सीमा (25 प्रतिशत) की वजह से बीएफएसआई सेक्टर में निवेश को लेकर समस्या पैदा हो रही थी। बीएफएसआई सेक्टर के लिए नि टी या सेंसेक्स द्वारा दिया गया भारांक भी आईआरडीएआई द्वारा निर्धारित सीमा के मुकाबले ज्यादा है और शायद इसलिए इरडा ने अब यह सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया है।' आईआरडीएआई का यह कदम देश की सबसे बड़ी पेशकश में बीमा कंपनियों की भागीदारी की राह आसान बनाएगा।
