देश को बिजली की कमी से जूझना पड़ रहा है, जो छह साल से भी ज्यादा की सबसे खराब स्थिति है, क्योंकि झुलसा देने वाले तापमान से लोगों पर घरों में रहने और स्कूलों को शीघ्र बंद करने का दबाव है। रिकॉर्ड में देश के सबसे गर्म मार्च महीने के बाद इस सप्ताह भीषण गर्मी ने दक्षिण एशिया के बड़े हिस्से को झुलसा दिया, जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आग के बढ़ते जोखिमों की चेतावनी देने के लिए प्रेरित किया, क्योंकि देश बहुत जल्द काफी गर्म हो जाता है। सर्वाधिक प्रभावित राज्यों में स्थानीय अधिकारी बिजली कटौती और स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते दबाव से जूझ रहे हैं। देश की राजधानी नई दिल्ली में कई दिनों से तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा चुका है और रविवार तक 44 डिग्री के आसपास रहने का अनुमान है, जबकि जून में ठंडी मॉनसूनी बारिश आने से पहले भी गर्मी का शीर्ष स्तर आना बाकी है। मौसम विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पश्चिम बंगाल के छह जिलों में दर्ज किया गया अधिकतम तापमान सामान्य से कम से कम पांच डिग्री सेल्सियस अधिक रहा है। पूर्व में ओडिशा राज्य के लोगों ने प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर स्टॉल लगाए हैं ताकि गुजरने वालों को पानी दिया जा सके। इसके पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल ने तय समय से कुछ दिन पहले अगले सप्ताह से स्कूलों में ग्रीष्मकालीन अवकाश की घोषणा कर दी है। पश्चिमी राज्य गुजरात में स्वास्थ्य अधिकारियों ने रोगियों में संभावित परेशानी से निपटने की व्यवस्था की। गुजरात के स्वास्थ्य सचिव मनोज अग्रवाल ने रॉयटर्स को बताया कि हमने अस्पतालों को तापमान में वृद्धि के कारण लू और गर्मी से संबंधित अन्य बीमारियों के लिए विशेष वार्ड स्थापित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है। उत्तर-पश्चिम में राजस्थान ने कारखानों के लिए चार घंटे बिजली कटौती निर्धारित की है। इस तरह बिजली की बढ़ती मांग का प्रबंधन करने के लिए औद्योगिक गतिविधियों को बाधित करने वाला यह कम से कम तीसरा ऐसा राज्य बन गया है। बिजली की मांग में उछाल से कोयले के मामले में देश में कमी हो रही है, जो देश में बिजली उत्पादन में इस्तेमाल होने वाला प्रमुख ईंधन है। भारत में बिजली की शीर्ष मांग मंगलवार को रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई। बिजली मंत्रालय ने इस सप्ताह कहा था कि अगले महीने मांग 10 प्रतिशत तक बढ़ती नजर आ रही है। देश के मौसम कार्यालय ने आने वाले दिनों में गर्म मौसम की चेतावनी दी है। रॉयटर्स द्वारा किए गए फेडरल ग्रिड विनियामक पोसोको के आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार अप्रैल के पहले 27 दिनों के दौरान बिजली की आपूर्ति मांग से 1.88 अरब इकाई या 1.6 प्रतिशत कम रही, जो मासिक आधार पर छह साल में सबसे बुरी स्थिति है।
