एक्सचेंजों पर पिछड़ी आईटी फर्में | कृष्ण कांत / मुंबई April 29, 2022 | | | | |
फरवरी 2020 मेंं कोरोना महामारी फैलने के बाद करीब दो साल तक एक्सचेंजों पर अग्रणी रहने के बाद देश की बड़ी आईटी कंपनियां मसलन टीसीएस, इन्फोसिस, विप्रो, एचसीएल टेक और टेक महिंद्रा मौजूदा महीने में पिछड़ गई हैं। निफ्टी-50 इंडेक्स में शामिल इन पांचों आईटी फर्मों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण अप्रैल में करीब 10 फीसदी घट गया है जबकि इस अवधि में बेंचमार्क इंडेक्स में महज 1.3 फीसदी की गिरावट आई है।
गुरुवार को पांचों आईटी फर्मों का संयुक्त बाजार पूंजीकरण 26.84 लाख करोड़ रुपये रहा, जो मार्च 2022 में 29.72 लाख करोड़ रुपये और दिसंबर 2021 में रिकॉर्ड 31 लाख करोड़ रुपये की ऊंचाई पर था। गुरुवार को निफ्टी 17,245 पर बंद हुआ, जो मार्च 2022 के बंद स्तर 17,465 के मुकाबले मामूली कम है।
लगातार सात तिमाही तक बढ़त दर्ज करने के बाद आईटी उद्योग के शेयरों की कीमत और बाजार पूंजीकरण में यह पहली बड़ी गिरावट है।
इस वजह से इंडेक्स में आईटी उद्योग के भारांक में तेज गिरावट आई है। आईटी उद्योग का निफ्टी में भारांक अब 15.65 फीसदी रह गया है, जो मार्च 2021 के आखिर में 16.2 फीसदी था और यह सितंबर 2020 की तिमाही के बाद का निचला स्तर है। दिसंबर 2021 के आखिर में उद्योग का भारांक 18.05 फीसदी की रिकॉर्ड ऊंचाई पर था। हालांकि मार्च 2020 के आखिर में निफ्टी में इन पांचों दिग्गज आईटी फर्मों का भारांक 12.24 फीसदी था।
यह गिरावट इन्फोसिस, टेक महिंद्रा और विप्रो की अगुआई में हुई है। इन्फोसिस का एमकैप इस महीने अब तक 17 फीसदी घटकर गुरुवार को 6.67 लाख करोड़ रुपये रह गया। टेक महिंद्रा का एमकैप 15.3 फीसदी घटा जबकि इस अवधि में विप्रो के एमकैप में 11.7 फीसदी की चपत लगी।
उद्योग की दिग्गज टीसीएस ने अपने समकक्षों के मुकाबले उम्दा प्रदर्शन किया है और इस अवधि में उसके बाजार पूंजीकरण में महज 5.2 फीसदी की गिरावट आई है। गुरुवार को टीसीएस का एमकैप 13.11 लाख करोड़ रुपये रहा, जो मार्च के आखिर में 13.83 लाख करोड़ रुपये था। एचसीएल टेक ने भी अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन गिया और उसके एमकैप में महज 6.1 फीसदी की गिरावट आई।
इन्फोसिस में पिछले दो साल में काफी तेजी आई और उसका एमकैप मार्च 2020 व मार्च 2022 के बीच 194 फीसदी बढ़ा। इसके बाद विप्रो (189 फीसदी) और टेक महिंद्रा व एचसीएल टेक (167-167 फीसदी) का स्थान रहा। टीसीएस का एमकैप हालांकि इस अवधि में 102 फीसदी बढ़ा।
विश्लेषकों ने कहा कि आईटी फर्मों के एमकैप में गिरावट की वजह उच्च मूल्यांकन और वित्त वर्ष 22 की चौथी तिमाही में अनुमान से कम आय की रफ्तार है।
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