रूस-यूक्रेन संकट की वजह से उर्वरक की कीमत आसमान छू रही है। इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने आज इस वित्त वर्ष के पहले 6 महीने के लिए गैर यूरिया उर्वरक पर 60,939.23 करोड़ रुपये सब्सिडी को मंजूरी दे दी है। इससे कंपनियां सस्ती दरों पर भूमि के अहम पोषक तत्व किसानों को दे सकेंगी। यह पूरे वित्त वर्ष 2023 के लिए गैर यूरिया उर्वरक पर बजट में सब्सिडी के बारे में लगाए गए अनुमान की तुलना में करीब 45.23 प्रतिशत ज्यादा है। आज के सरकारी समर्थन के बाद कंपनियां एक बोरी डाई-अमोनिया फास्फेट (डीएपी) 1,350 रुपये में बेच सकेंगी, क्योंकि केंद्र सरकार लागत के शेष बोझ का वहन सब्सिडी के रूप में करेगी, जो अनुमानित रूप से 2,501 रुपये प्रति बोरी है। पिछले साल तक डीएपी पर प्रति बोरी सब्सिडी 1,650 रुपये थी। इस तरह से वित्त वर्ष 23 में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में सब्सिडी करीब 50 प्रतिशत बढ़ी है। इस माह की शुरुआत में उर्वरक कंपनियों ने डीएपी की कीमत 1,200 रुपये से 150 रुपये प्रति बोरी बढ़ाकर 1,350 रुपये प्रति बोरी कर दिया था। एनपीकेएस की कीमतों में 20 से 110 रुपये प्रति किलो वृद्धि हुई थी, जो उसके ग्रेड पर निर्भर था। उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'आज के सब्सिडी समर्थन के बाद ज्यादा कंपनियां कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने में सफल हो सकेंगी, अन्यथा उन्हें डीएपी और एनपीकेएस की कीमतों में और बढ़ोतरी करनी पड़ती। उर्वरक के कच्चे माल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।' भारत में यूरिया के बाद डीएपी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है। अन्य मिश्रित उर्वरकों एनपीकेएस, एसएसपी और एमओपी पर सब्सिडी दरों का निर्धारण एनबीएस फॉर्मूले के तहत किया गया है। वित्त वर्ष 2022-23 के लिए यूरिया पर सब्सिडी के निर्धारण की अभी प्रतीक्षा है। वित्त वर्ष 23 के बजट अनुमान के मुताबिक डीएपी और एनपीकेएस (विभिन्न श्रेणी) पर मंजूर की गई सब्सिडी गैर यूरिया उर्वरकों के लिए आवंटित सब्सिडी की तुलना में करीब 45.23 प्रतिशत ज्यादा है। केंद्र सरकार ने बजट में वित्त वर्ष 23 के लिए गैर यूरिया सब्सिडी के लिए 42,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया था। वहीं आज के फैसले में उसने 19,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटित किया है, वह भी वित्त वर्ष 23 के पहले छह महीनों यानी सितंबर तक के लिए यह आवंटन है।एनबीएस के तहत, जिसे अप्रैल 2010 से लागू किया गया है, नाइट्रोजन, फॉस्फेट, पोटाश और सल्फर के लिए प्रति किलो के आधार पर सब्सिडी तय की जाती है। सरकार यह एक साल के लिए तय करती है। प्रति किलो पोषकों पर सब्सिडी की दर को प्रति टन सब्सिडी में बदला जाता है। यह एनबीएस के तहत आने वाले विभिन्न पीऐंडके उर्वरकों पर लागू होता है। यूरिया के मामले में केंद्र अधिकतम खुदरा मूल्य तय करता है और अधिकतम खुदरा मूल्य व उत्पादन लागत के बीच अंतर की भरभाई सब्सिडी के रूप में करता है। बहरहाल रूस-यूके्रेन युद्ध के बाद यूरिया के उत्पादन लागत में बढ़ोतरी हुई है क्योंकि गैस की कीमत तेजी से बढ़ी है। वहीं गैर यूरिया उर्वरकों की कीमत भी प्रमुख कच्चे माल व तैयार माल की कीमत में तेजी के कारण बढ़ी है। रेटिंग एजेंसी इकळा के मुताबिक पूल्ड गैस की कीमत में हर 1 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू बढ़ोतरी पर यूरिया क्षेत्र को सब्सिडी की जरूरत करीब 4,500 से 5,000 करोड़ रुपये बढ़ जाती है। अन्य बड़े फैसले मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) की मियाद को दिसंबर 2024 तक के लिए बढ़ाने को मंजूरी प्रदान की। आज की मंजूरी के बाद योजना के तहत ऋण की रकम को 5,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 8,100 करोड़ रुपये कर दिया गया। सरकार ने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) के लिए 820 करोड़ रुपये की अतिरिक्त फंडिंग को मंजूरी प्रदान की। इस रकम का इस्तेमाल देश के सभी डाक घरों में आईपीपीबी की सेवाओं का विस्तार करने के लिए किया जाएगा। मंत्रिमंडल ने 2,426.39 करोड़ रुपये की लागत से नक्सल प्रभावित इलाकों में 2जी मोबाइल स्थलों को 4जी में उन्नत करने को मंजूरी प्रदान की। मंत्रिमंडल ने जम्मू कश्मीर में 540 मेगावॉट की क्वार जलविद्युत परियोजना के निर्माण के लिए 4,526.12 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की।
