बाजार को महंगाई व कोविड का डर | सुंदर सेतुरामन / मुंबई April 26, 2022 | | | | |
चीन में कोविड के कारण नए सिरे से लॉकडाउन लगाए जाने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में तीव्र बढ़ोतरी की आशंका से भारत सहित दुनिया भर के बाजारों में आज गिरावट देखी गई। इसके साथ वैश्विक वृद्घि परिदृश्य कमजोर होने की चिंता से निवेशक सुरक्षित जगहों पर अपना पैसा लगा रहे हैं, जिसका असर शेयर बाजार पर पड़ा है। इस बीच डॉलर और अमेरिकी बॉन्ड में भी तेजी आई है। फेडरल रिजर्व द्वारा सतर्क संकेत के बाद बीते शुक्रवार को अधिकांश वैश्विक बाजार गिरावट पर बंद हुए थे।
सेंसेक्स 617.26 अंक की गिरावट के साथ 56,580 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 218 अंक नीचे 16,954 पर बंद हुआ। निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांक में 2.42 फीसदी और निफ्टी मिडकैप 100 सूचकांक में 1.92 फीसदी गिरावट दर्ज की गई। बाजार में उतार-चढ़ाव को आंकने वाला इंडिया वीआईएक्स सूचकांक 16 फीसदी बढ़कर 21.26 पर पहुंच गया।
अधिकतर यूरोपीय बाजारों में 2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी गई। शुक्रवार को वॉलस्ट्रीट पर 2.82 फीसदी की गिरावट आई थी और अमेरिकी वायदा इस हफ्ते भी गिरावट के साथ खुला है। चीन में कोविड संक्रमण की स्थिति बिगडऩे के कारण चीन का सीआईएस 300 सूचकांक करीब 5 फीसदी गिरावट लुढ़क गया।
ओएंडा में वरिष्ठ बाजार विश्लेषक, एशिया प्रशांत, जेफरी हैली ने कहा, 'चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और वहां कोरोनावायरस के कारण लॉकडाउन लगाया गया था। इससे वृद्घि पर असर पड़ेगा और युआन में नरमी आएगी। इसका असर एशियाई मुद्राओं पर भी पड़ेगा और अमेरिका में दरें बढऩे से एशिया के शेयर बाजारों में भी गिरावट आ सकती है। चीन की अर्थव्यवस्था में नरमी का सबसे ज्यादा असर पड़ेगा। कच्चे तेल की मांग में कमी देखी जा रही है।' चीन में लॉकडाउन की खबरों के बीच कच्चे तेल की मांग कम रहने से ब्रेंट क्रूड का दाम करीब 5 फीसदी नीचे आ गया है।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट्ट ने कहा, 'अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में तीव्र बढ़ोतरी की आशंका से एफपीआई बिकवाली कर रहे हैं। विदेशी निवेशकों की बिकवाली थमने या सरकार द्वारा बाजार का मनोबल बढ़ाए जाने के उपाय न होने से गिरावट का दबाव अभी बना रहेगा।' पिछले हफ्ते फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने संकेत दिया था कि मुद्रास्फीति में तेजी को देखते हुए मई में ब्याज दरों में 50 आधार अंक का इजाफा हो सकता है और फिर जून में 50 आधार अंक की बढ़ोतरी की जा सकती है। अमेरिका में मुद्रास्फीति चार दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। पॉवेल के बयान के बाद 5 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का प्रतिफल बढ़कर 3 फीसदी पर पहुंच गया था।
|