तेज बिकवाली की थम सकती है रफ्तार | पुनीत वाधवा / April 25, 2022 | | | | |
बीएस बातचीत
एमआईबी सिक्योरिटीज इंडिया के मुख्य कार्याधिाकारी जिगर शाह ने पुनीत वाधवा को दिए साक्षात्कार में बताया कि बाजारों में खुदरा पूंजी प्रवाह ब्याज दरों में वृद्घि की शुरुआत होने से गिर सकता है। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
वर्ष 2022 में अब तक बाजारों के प्रदर्शन पर आपका क्या नजरिया है?
वैश्विक बाजार जिंस कीमतों में वृद्घि का दबाव महसूस कर रहे हैं और कई देशों के सूचकांक नीचे आए हैं। यह गिरावट साल में अब तक के आधार पर एक अंक से लेकर करीब 18 प्रतिशत तक दर्ज की गई है। तुलनात्मक तौर पर निफ्टी और सेंसेक्स कम गिरावट के शिकार हुए हैं, जिससे ऊंची मुद्रास्फीति/ब्याज दरों से वित्त वर्ष 2023 के लिए कॉरपोरेट प्रदर्शन प्रभावित होने को लेकर चिंताओं का पता चलता है। भारतीय इक्विटी का अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन छोटे निवेशकों की भागीदारी एवं पूंजी निवेश प्रवाह पर भी निर्भर करता है, जिन्होंने पिछले साल 20 अरब डॉलर का निवेश किया। इसके अलावा ब्याज दरों में भी बदलाव नहीं आया और इसलिए इक्विटी से ऊंचे प्रतिफल वाले डेट बाजारों में कोष प्रवाह बहुत ज्यादा नहीं दर्ज किया गया। कुल मिलाकर निवेशक धारणा यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 7-8 प्रतिशत की वृद्घि दर्ज कर सकती है।
यदि अगले कुछ महीनों के दौरान युद्घ को लेकर बादल छंटते हैं तो क्या सेंसेक्स और निफ्टी 2022 में दो अंक का प्रतिफल दे सकते हैं?
यदि ऐसा नहीं हुआ तो इसकी संभावना नहीं दिख रही है। भले ही युद्घ जल्द समाप्त हो जाए, लेकिन वैश्विक व्यापार, रूस को समर्थन करने वाले देशों पर आर्थिक प्रतिबंध बढऩे, और आपूर्ति शृंखला संबंधित चुनौतियां बरकरार रहने के संदर्भ में चिंताएं लंबी अवधि तक बनी रह सकती हैं। बॉन्ड प्रतिफल इक्विटी पर प्राप्त आय से ऊपर रहेगा और यह भी बाजारों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। हालांकि बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां और सभी क्षेत्रों की अन्य बड़ी कंपनियां (जो कम कार्बन उत्सर्जन पर काम कर रही हैं) सामान्य तौर पर अच्छा प्रदर्शन करेंगी, क्योंकि अपनी प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले तेजी से बढ़ेंगी और जोखिम भी घटाएंगी। हम सॉफ्टवेयर, दूरसंचार, ट्रैक्टर, दोपहिया और निजी बैंकों पर ओवरवेट हैं। वहीं, सीमेंट, अनुबंधकर्ताओं, और एनबीएफसी पर अंडरवेट हैं।
क्या आप अमेरिकी फेड द्वारा मई से अपनी बैलेंस शीट में बदलाव लाए जाने पर एफआईआई द्वारा इक्विटी बाजारों में फिर से बिकवाली का दौर देख सकते हैं?
बड़ी मात्रा में बिकवाली समाप्त हो सकती है, लेकिन अमेरिकी फेड द्वारा अगले महीने उठाए जाने वाले कदम और वृहद आंकड़े, जैसे मुद्रास्फीति, ब्याज दर, कॉरपोरेट आय और भारत में जीडीपी वृद्घि पर आधारित हो सकते हैं। भारत में बिकवाली दर्ज की जाएगी, क्योंकि आरबीआई ने अपने ब्याज दर नजरिये में बदलाव किया है और दर वृद्घि चक्र की संभावित मात्रा, लगभग 100 आधार अंक का अनुमान जताया है। कई अर्थशास्त्रियों और बैंकरों को अब दर वृद्घि चक्र जून में शुरू होने की संभावना है। इससे डेट/निर्धारित आय के लिए कोष प्रवाह में बदलाव आ सकता है, क्योंकि प्रतिफल ज्यादा आकर्षक हो गया है और इससे इक्विटी में कुछ बिकवाली बढ़ सकती है। हम कमजोर परिदृश्य की स्थिति में 17-18 गुना के एक वर्षीय पीई अनुपात के आधार पर निफ्टी-50 के लिए 14,660 के लक्ष्य पर कायम हैं।
कुछ विश्लेषक फिर से आपूर्ति शृंखला दबाव की चेतावनी दे रहे हैं। क्या बाजारों और भारतीय उद्योग जगत में इसका असर दिख चुका है?
आपूर्ति शृंखला दबाव पहले ही दिख चुका है, खासकर जब आप कुछ एसयूवी मॉडलों, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक, कम्प्यूटर हार्डवेयर आदि के लिए प्रतीक्षा अवधि पर विचार करें तो इसका असर जान सकते हैं। इसकी वजह से उत्पाद कीमतें बढ़ रही हैं और श्रमिक किल्लत और पारिश्रमिक महंगाई को बढ़ावा मिल रहा है। इसका अंदाजा विश्लेषकों के अनुमानों में नहीं लगाया गया है। रूस और यूक्रेन तेल-गैस, धातु तथा अनाज के बड़े उत्पादक बने हुए हैं और इन दोनों देशों में अशांति से इन जिंसों की वैश्विक आपूर्ति प्रभावित होगी।
क्या आप वित्त वर्ष 2023 में प्राथमिक और सेकंडरी बाजारों में मौजूदा पूंजी प्रवाह की रफ्तार बरकरार रहने की संभावना देख रहे हैं?
जब ब्याज दर वृद्घि का चक्र शुरू होगा खुदरा पूंजी की रफ्तार घटेगी। इसके अलावा, यदि इक्विटी बाजार का प्रतिफल लंबी अवधि तक नकारामक बना रहा तो इससे बड़ी रिटेल भागीदारी प्रभावित होगी। ऐतिहासिक तौर पर, अधिकतम खुदरा निवेशक भागीदारी तब दर्ज की गई है जब बाजारों में तेजी आई थी। हालांकि यह स्पष्ट है कि आसान और लागत किफायती ऑनलाइन निवेश विकल्पों की शुरुआत के साथ बाजार में प्रवेश करने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ेगी।
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