भारतीयों द्वारा यात्रा के लिए विदेश भेजी जाने वाली रकम फरवरी 2021 के 31.681 करोड़ डॉलर से तीन गुना बढ़कर फरवरी में 2022 में करीब 1 अरब डॉलर (98.045 डॉलर) हो गई। यह आवासीय व्यक्तियों के लिए उदारीकृत पे्रषण योजना (एलआरएस) के तहत है। यह फरवरी 2020 में 53.974 करोड़ डॉलर के महामारी पूर्व स्तर को पार कर गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2021 में भारतीयों ने यात्रा के लिए करीब 3.23 अरब डॉलर खर्च किए जो वित्त वर्ष 2020 में किए गए 6.95 अरब डॉलर के खर्च के मुकाबले बहुत कम है। यात्रा उद्योग के विश्लेषकों ने कहा कि प्रतिबंधों में धीरे धीरे ढील दिए जाने से खाली समय बिताने और आंशिक तौर पर काम के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय यात्रा जोर पकड़ रही है। खर्च में उछाल में आंशिक रूप से भविष्य की यात्रा के लिए अग्रिम भुगतान शामिल है। केयर रेटिंग्स ने हवाईअड्डों पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2024 के आरंभ तक अंतरराष्ट्रीय यातायात के कोविड पूर्व स्तर तक पहुंचने के आसार हैं। इसकी शुरुआत 27 मार्च, 2022 से पूरी क्षमता के साथ अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू होने के बाद हुई है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों में बताया गया है कि फरवरी 2022 में निवासियों द्वारा समग्र प्रेषण 1.82 अरब डॉलर रहा जो फरवरी 2021 के 1.15 अरब डॉलर से अधिक है। यात्रा के बाद दूसरा सबसे बड़ा खर्च करीबी रिश्तेदारों का रखरखाव था। इस मद में निवासियों ने फरवरी 2022 में 28.261 करोड़ डॉलर का प्रेषण किया जो एक वर्ष पहले के 21.518 करोड़ डॉलर से अधिक है। हालांकि, यह फरवरी 2020 में रहे 34.258 करोड़ डॉलर से कम है। विदेश में बच्चों की शिक्षा के तहत परिवार फीस और वहां ठहरने के लिए पैसा भेजते हैं। इस मद में भेजी जाने वाली रकम फरवरी 2021 के 38.327 करोड़ डॉलर से कम होकर 21.607 करोड़ डॉलर रह गई। फरवरी 2020 में परिवारों ने इस मद में 49.687 करोड़ डॉलर खर्च किए। एलआरएस की शुरुआत 2004 में हुई थी। निवासी प्रत्येक वित्त वर्ष में 2,50,000 डॉलर तक भेज सकते हैं। एलआरएस में उद्देश्यों की एक व्यापक सूची शामिल है जिसके लिए आप धन प्रेषित कर सकते हैं। चालू खाता और पूंजी खाता लेनदेनों के लिए सूची अलग है। चालू खाता लेनदेनों में विदेशों के लिए यात्रा और पर्यटन, वैध हितधारकों को उपहार या दान और रोजगार के लिए विदेश जाना शामिल है।
