साल 2008 के लीमन संकट के बाद पहली बार एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक, व्यापक बाजार के मूल्यांकन से भारी छूट पर कारोबार कर रहे हैं। ऐतिहासिक तौर पर दोनों फर्में बेंचमार्क बीएसई सेंसेक्स के मूल्यांकन के मुकाबले अच्छे खासे प्रीमियम पर कारोबार किया है। एचडीएफसी अभी एकीकृत आधार पर 2.45 गुना प्राइस टु बुक वैल्यू (पी/बीवी) अनुपात पर कारोबार कर रही है, जो गुरुवार के सेंसेक्स पी/बीवी अनुपात 3.47 गुने के मुकाबले 30 फीसदी कम है। एचडीएफसी बैंक के साथ भी ऐसा ही मामला है। निजी क्षेत्र के देश के सबसे बड़े बैंक का मूल्यांकन उसके मौजूदा शेयर भाव पर उसके बुक वैल्यू का 3 गुना है, जो इंडेक्स के मौजूदा अनुपात से 13 फीसदी कम है। इसके उलट पिछले 15 वर्षों में एचडीएफसी की ट्रेडिंग औसतन 3.9 गुने पी/बीवी अनुपात पर हुई है, जो इस अवधि में सेंसेक्स के मूल्यांकन अनुपात के मुकाबले करीब 20 फीसदी ज्यादा है। एचडीएफसी बैंक की ट्रेडिंग पिछले 15 साल में औसतन 4.4 गुने पी/बीवी अनुपात पर हुई है, जो इंडेक्स के मूल्यांकन के मुकाबले 34 फीसदी प्रीमियम बताता है। एचडीएफसी द्वय का पी/बीवी अनुपात अभी उनके सर्वोच्च स्तर करीब 6 गुना का आधा रह गया है। वास्तव में साल 2018 में एचडीएफसी की ट्रेडिंग उसके पी/बीवी अनुपात के 4 गुने पर और एचडीएफसी बैंक की ट्रेडिंग करीब 5 गुने पर हुई थी। दोनों लेनदारों का पीई गुणक अभी सेंसेक्स से भी कम है। एचडीएफसी की ट्रेडिंग अभी एकीकृत आय के आधार पर पिछले पीई के 18.3 गुने पर हो रही है, जो सेंसेक्स के 26.5 गुने के मुकाबले 24.9 फीसदी कम है। इसी तरह एचडीएफसी बैंक का मौजूदा पीई 21 फीसदी है, जो सेंसेक्स से कम है। ऐतिहासिक तौर पर हालांकि एचडीएफसी की ट्रेडिंग पिछले 15 साल में इस अवधि में सेंसेक्स के मुकाबले औसतन 8 फीसदी प्रीमियम पर हुई है, वहीं एचडीएफसी बैंक इस मामले में सेंसेक्स से 30 फीसदी प्रीमियम पर ट्रेड करती रही है। सूचीबद्ध कंपनियों के मूल्यांकन की तुलना के लिहाज से पीई गुणक ज्यादातर इस्तेमाल किया जाने वाला अनुपात है, लेकिन पी/बीवी अनुपात को बैंक व एनबीएफसी के मामले में ज्यादा तरजीह दी जाती है। एचडीएफसी द्वय के मूल्यांकन अनुपात में तेज गिरावट की प्राथमिक वजह हाल के महीनों में इनके शेयरों का कमजोर प्रदर्शन है। उदाहरण के लिए एचडीएफसी का शेयर अगस्त में पहुंचे 52 हफ्ते के उच्चस्तर से 26 फीसदी नीचे आया है, वहीं एचडीएफसी बैंक का शेयर सितंबर के उच्चस्तर से करीब 20 फीसदी नीचे है। इसकी तुलना में सेंसेक्स अपने अक्टूबर के उच्चस्तर से 7 फीसदी नीचे है। विश्लेषकों का कहना है कि इन कंपनियों के कर्ज की रफ्तार में तेज गिरावट और आय की रफ्तार में नरमी उनके कमजोर प्रदर्शन की वजह है। नारनोलिया सिक्योरिटीज के मुख्य निवेश अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने कहा, हालिया आंकड़े बताते हैं कि दोनों कंपनियां आगे बढऩे में मुश्किलों का सामना कर रही है। विगत में एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक हमेशा ही अपनी शुद्ध ब्याज आय और लाभ में सालाना 20 फीसदी की बढ़ोतरी करने में कामयाब रहे हैं, चाहे उद्योग की रफ्तार कैसी भी हो। अब वे उद्योग को मात देने में संघर्ष कर रहे हैं। इस वजह से उनके मूल्यांकन पर असर पड़ा है। कुमार ने कहा, गुणवत्ता और प्रबंधन प्रीमियम अभी भी है लेकिन इन दो शेयरों से करीब दो दशकोंं से जुड़ा ग्रोथ प्रीमियम अब नहीं है। विश्लेषकों ने कहा, लंबी अवधि के कई निवेशक अब एचडीएफसी व एचडीएफसी बैंक पर अंडरवेट हैं, लिहाजा इन शेयरों की बिकवाली जारी है और इसका शेयर कीमतों पर असर पड़ रहा है।
