टीडीएस 25 हजार तो आईटीआर | श्रीमी चौधरी / नई दिल्ली April 22, 2022 | | | | |
सरकार ने करदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए प्रयास तेज कर दिया है। इसके तहत सरकार ऐसे लोगों के लिए भी आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरना अनिवार्य करेगी जिनकी आय कराधान सीमा से कम है। इनमें ऐसे लोग शामिल हैं, जिनका स्रोत पर काटा गया कर (टीडीएस) या स्रोत पर जमा कर किसी वित्त वर्ष के दौरान 25,000 रुपये या इससे अधिक है। वरिष्ठ नागरिकों के मामले में यह सीमा 50,000 रुपये होगी।
21 अप्रैल को आए संशोधन के अनुसार अब वे लोग भी कराधान के दायरे में लाए जाएंगे, जिन्हें पहले आयकर रिटर्न नहीं भरना पड़ता था। सूत्रों के अनुसार यह नया संशोधन ऐसे लोगों की कमाई और खर्च में असंतुलन का पता लगाने के मकसद से किया गया है।
इसके अलावा जो अपने बैंक बचत खाते में किसी वित्त वर्ष के दौरान 50 लाख रुपये या इससे अधिक रकम जमा करेंगे वे भी इस नए प्रावधान के दायरे में आएंगे। सरकार इस नई कवायद में उन कारोबारों एवं पेशेवरों को भी शामिल करेगी, जिनका सालाना कारोबार क्रमश: 60 लाख रुपये से अधिक और प्राप्तियां (प्रोफेशनल रिसीट) 10 लाख रुपये से अधिक होंगे। इस नए प्रावधान के तहत इस बात पर गौर नहीं किया जाएगा कि उनकी आय 2.5 लाख रुपये बुनियादी कर छूट की सीमा से कम है। इसका आशय है कि छोटे कारोबारों एवं पेशेवरों को उक्त शर्तें पूरी करने की स्थिति में अनिवार्य रूप से आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा। ऐसे लोगों के लिए आयकर रिटर्न जमा करना अनिवार्य बनाने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आयकर अधिनियम की धारा 139 (1) में 7वां प्रावधान जोड़ा है। इन नियमों को आयकर (9वां संशोधन) नियम, 2020 नाम दिया जा सकता है। सीबीडीटी की अधिसूचना के अनुसार यह नियम आधिकारिक राजपत्र प्रकाशित होने की तिथि से प्रभावी होगा।
कर विशेषज्ञों का मानना है कि आयकर रिटर्न के संदर्भ में नए प्रावधान जोड़े जाने के बाद वे लोग कर देने से बच नहीं पाएंगे, जो अधिक खर्च करते हैं। नांगिया एंडरसन एलएलपी में पार्टनर संदीप झुनझुनवाला ने कहा, 'इन संशोधनों से अनिवार्य रिटर्न जमा करने का दायरा बड़ा हो गया है। इसमें चार अतिरिक्त शर्तें जोड़ी गई हैं। टीडीएस/टीसीएस के लिए इतनी न्यूनतम सीमा तय करने से आने वाले वर्षों में करदाताओं की संख्या में इजाफा होगा। इन नए नियमों से कर चोरी करने वाले छोटे करदाता पकड़े जाएंगे।'
झुनझुनवाला के अनुसार पेशेवर आय 10 लाख रुपये से अधिक होने की स्थिति में रिटर्न अनिवार्य करने से अनुपालन बढ़ेगा क्योंकि करदाताओं के पास आयकर अधिनियम की धारा 44एए के तहत लेनदेन का लेखाजोखा जरूर रहता होगा।
वर्ष 2019 में सरकार ने इसी तर्ज पर रिटर्न दाखिल करने का दायरा बढ़ा दिया था। सरकार ने चालू खाते में 1 करोड़ रुपये से अधिक रकम जमा करने वाले लोगों, विदेश यात्रा के दौरान 2 लाख रुपये से अधिक व्यय करने वाले, 1 लाख रुपये से अधिक बिजली बिल जमा करने वाले और घर में निवेश पर कर छूट का दावा करने वाले लोगों के लिए कराधान की नई शर्तें लागू कर दी थीं।
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