रत्न, आभूषण निर्यात करीब 55 फीसदी बढ़ा | बीएस संवाददाता / April 21, 2022 | | | | |
रत्न एवं आभूषण निर्यात में 2021-22 में तेजी आई है और पिछले वित्त वर्ष की तुलना में यह करीब 55 फीसदी बढ़कर 39.15 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि रत्न एवं आभूषण का सकल निर्यात 2020-21 में 25.40 अरब डॉलर रहा। मार्च में रत्न एवं आभूषण का कुल सकल निर्यात 4.33 फीसदी बढ़कर 3.39329 अरब डॉलर पर पहुंच गया जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 3.40907 अरब डॉलर के मुकाबले 0.46 फीसदी कम है।
जीजेईपीसी के अध्यक्ष कोलिन शाह ने कहा, वैश्विक बाजारों में भारत का निर्यात 54 फीसदी बढ़ गया। उन्होंने कहा कि 39.15 अरब डॉलर के सालाना निर्यात के साथ भारत के इस क्षेत्र ने देश के 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य में दस फीसदी हिस्से के योगदान का वादा पूरा किया। रत्न एवं आभूषण के कुल निर्यात में तराशे एवं पॉलिश किए गए हीरों की हिस्सेदारी 62 फीसदी है।
उर्वरक सब्सिडी 1.65 लाख करोड़ रु. होगी
चालू वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी के 1.05 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान के मुकाबले 1.65 लाख करोड़ रुपये के सर्वकालिक उच्चस्तर को छूने की संभावना है। एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर कच्चे माल और उर्वरकों की लागत में अभूतपूर्व वृद्धि के कारण सब्सिडी में यह वृद्धि होगी।
क्रिसिल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की उर्वरक सब्सिडी 1.65 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर को छूने के लिए तैयार है तथा उर्वरक विनिर्माताओं की ऋण साख को बनाए रखने के लिए पोषक तत्व आधारित सब्सिडी और अतिरिक्त सब्सिडी के लिए संशोधन महत्त्वपूर्ण है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'हमारा आकलन है इस वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में उर्वरकों की मांग में साल-दर-साल 5 फीसदी की वृद्धि तथा कच्चे माल एवं उर्वरक की कीमतों में कमी के अनुमान पर आधारित है। यदि दूसरी छमाही में मांग, अपेक्षा से कहीं अधिक रहती है, या लागत की कीमतों में भी नरमी नहीं आती है, तो सब्सिडी खर्च 1.8-1.9 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो वित्त वर्षों में सरकार ने 1.2 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान किया है और बजटीय सब्सिडी में वृद्धि की है। किसानों को बेहतर फसल उपज के लिए उर्वरकों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करने को सरकार खुदरा बिक्री मूल्य को बाजार दर से काफी कम रखती है और सब्सिडी भुगतान के माध्यम से यूरिया निर्माताओं को प्रतिपूर्ति करती है। इससे यूरिया विनिर्माताओं की लाभप्रदता काफी हद तक सुरक्षित रहती है, लेकिन बढ़ती लागत के बावजूद आरएसपी अपरिवर्तित रहने का मतलब यह होगा कि सरकार को एक बड़ा सब्सिडी खर्च देना होगा।गैर-यूरिया उर्वरकों में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख उर्वरक सामग्री- फॉस्फोरिक एसिड और रॉक फॉस्फेट- की कीमतें भी पिछले 12 महीनों में मार्च, 2022 तक क्रमश: 92 फीसदी और 99 फीसदी बढ़ी हैं।
|