भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (एनबीएफसी) के लिए बड़े ऋण, अतिरिक्त खुलासों और निदेशकों को ऋण के संबंध में बनाए गए नियम बैंकों और छद्म बैंकों के बीच नियामकीय मध्यमस्थता को कम करने के उसके उल्लिखित उद्देश्यों के अनुरूप साबित होगा। यह विचार उद्योग के भीतर के लोगों ने व्यक्त किया है। उनका कहना है कि यह मोटे तौर पर इस क्षेत्र के लिए गैर-विघटनकारी साबित होगा। मंगलवार को केंद्रीय बैंक ने एनबीएफसी को ऋण देने की सीमा को वाणिज्यिक बैंकों की तर्ज पर ऊपरी सतह में रखा। इसके तहत किसी एक इकाई को दिए जाने वाले सकल ऋण की सीमा पूंजी आधार का 20 फीसदी तय की गई है जिसे बोर्ड की मंजूरी से और 5 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। किसी खास उधारकर्ता समूह के लिए सीमा 25 फीसदी है और यदि ऋण बुनियादी ढांचे के लिए है तो इसे और 10 फीसदी तक बढ़ाया जा सकता है। विशेषज्ञों ने कहा कि इन नियमों का असर बैकिंग क्षेत्र में केवल कुछ एनबीएफसी पर पड़ेगा क्योंकि इनमें से अधिकांश खुदरा और एमएसएमई को उधार देते हैं। क्रिसिल में वरिष्ठ निदेशक और उप मुख्य रेटिंग्स अधिकारी कृष्णन सीतारमण ने कहा, 'क्षेत्र पर इसका कोई भौतिक असर नहीं पडऩा चाहिए क्योंकि इस कारोबार में शामिल अधिकांश कंपनियां खुदरा या एमएसएमई खंड को ऋण देती हैं। ऐसे में किसी एकल प्रतिपक्ष के लिए वे ऐसा जोखिम नहीं लेंगे।' उन्होंने कहा, 'केवल कुछ एनबीएफसी ही थोक बिक्री खंड में हैं। उनके लिए भी एकल प्रतिपक्ष ऋण सीमा मौजूदा से बहुत अलग नहीं है बल्कि समूह की कंपनियों के लिए ऋण सीमा को 40 फीसदी से कम कर 25 फीसदी कर दिया गया है। विगत दो वर्ष में एनबीएफसी ने अपने इक्विटी आधार में इजाफा किया है और उनके ऋण बोझ के स्तर में कमी आई है। इसलिए किसी कंपनी के लिए रिजर्व बैंक द्वारा तय इन सीमाओं को पार करने की संभावना बहुत कम है।' अलग से परिपत्र जारी कर रिजर्व बैंक ने एनबीएफसी से कहा है कि वे संपत्ति वर्गीकरण में अपनी विविधता और अपने वार्षिक विवरणों प्रावधान जरूरतों के बारे में उसे बताएं। एनीबीएफसी को यह जानकारी तभी देनी है जब यह विविधता केंद्रीय बैंक द्वारा निर्धारित आरंभिक सीमा को पार कर जाए। रिजर्व बैंक ने उनसे अपने खातों के नोट में कई अन्य अतिरिक्त खुलासे करने के लिए भी कहा है जैसे कि रियल एस्टेट क्षेत्र, पूंजी बाजार, अंतर समूह इकाइयों को कितना ऋण दिया है तथा अप्रतिबंधित विदेशी मुद्रा का एक्सपोजर कितना है। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने कहा है कि रियल एस्टेट क्षेत्र को ऋण देने के लिए एनबीएफसी को सुनिश्चित करना होगा कि उधारकर्ताओं के पास जिस परियोजना के लिए ऋण चाहिए उसकी सरकार या स्थानीय प्राधिकारियों से मंजूरी ली गई हो। मध्य या ऊपरी सतह में रखे गए बोर्ड के सदस्यों और उनके संबंधियों को एनबीएफसी द्वार ऋण देने के लिए बने नियम भी कड़े किए गए हैं।
