आरआईएल को बूट्स सौदे में मिलेगी मदद | देव चटर्जी / मुंबई April 19, 2022 | | | | |
विश्लेषकों का कहना है कि यूरोप की फार्मेसी रिटेलर बूट्स के 9 अरब डॉलर में अधिग्रहण करने की दौड़ में शामिल रिलायंस इंडस्ट्रीज इस कंपनी के लिए दांव लगाने के लिए वित्तीय रूप से मजबूत स्थिति में है।
आरआईएल भारत में पहले ही ऑनलाइन दवा विक्रेता नेटमेड्स को खरीद चुकी है और बूट्स अधिग्रहण से उसे नेटमेड्स का विस्तार करने तथा ऑफलाइन रिटेल शृंखला को भारत लाने में मदद मिलेगी।
बूट्स अमेरिकी शेल गैस बाजार में अपनी विफल कोशिश के बाद अंबानी की इस दिग्गज कंपनी द्वारा पहली बड़ी निवेश कोशिश होगी। ब्लूमबर्ग ने पिछले सप्ताह नाम बताए बगैर अधिकारियों के हवाले से खबर दी थी कि बातचीत चल रही है और इस बात की कोई निश्चितता नहीं है कि रिलायंस द्वारा बूट्स के लिए कोई खास दृष्टिकोण अपनाने का निर्णय लिया जाएगा।
हालांकि रिलायंस के अधिकारी ने इस बारे में कोई बयान देने से इनकार कर दिया।
विश्लेषकों का कहना है कि आरआईएल के पास समेकित स्तर पर 31 दिसंबर, 2021 तक 2.4 लाख करोड़ रुपये के नकदी एवं लिक्विड निवेश के साथ आक्रामक तौर पर बोली लगाने के लिए पर्याप्त नकदी मौजूद थी। रेटिंग फर्म क्रिसिल के अनुसार आरआईएल की वित्तीय स्वायत्तता को बड़े आकार के नकदी स्तर से मदद मिली है, जिनका इस्तेमाल अभी भी नहीं किया गया है।
एक स्थानीय ब्रोकरेज के विश्लेषक ने कहा, 'चूंकि इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है कि आरआईएल का फ्यूचर रिटेल अधिग्रहण एमेजॉन और बैंकों द्वारा फ्यूचर समूह कंपनियों को दिवालिया अदालत में भेजने के रिर्णय को लेकर मौजूदा कानूनी प्रक्रिया की वजह से पूरी तरह सफल होगा या नहीं, लेकिन आरआईएल निवेश के लिए वैकल्पिक लक्ष्य तलाश रही है और बूट्स एक अच्छा दांव है।'
आरआईएल की सहायक इकाई रिलायंस रिटेल ने अगस्त 2020 में 24,000 करोड़ रुपये में फ्यूचर समूह के व्यवसाय खरीदने की अपनी योजनाओं की घोषणा की थी, लेकिन यह सौदा अब तक नहीं हुआ है। विश्लेषकों का कहना है कि आरआईएल अपनी नकदी का इस्तेमाल करने के लिए वैकल्पिक निवेश लक्ष्यों की संभावना तलाशेगी।
रिलायंस निजी इक्विटी कंपनियों अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट और टीडीआर कैपिटल के साथ प्रतिस्पर्धा करेगी। इन कंपनियों ने भी बूट को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। सीवीसी कैपिटल और बेन कैपिटल ने भी बूट में दिलचस्पी दिखाई थी। बूट्स फिलहाल ब्रिटेन में 2,200 स्टोरों का परिचालन करती है।
विश्लेषक ने कहा, 'आरआईएल राष्ट्रीय कंपनी विििध पंचाट (एनसीएलटी) द्वारा स्वीकृत योजना व्यवस्था के जरिये गैसीफिकेशन उद्यम अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई रिलायंस सिनगैस को स्थानांतरित करेगी। इससे आरआईएल को बोली लगाने में और ज्यादा आसानी होगी।' आरआईएल सिनगैस, सीओ2, हाइड्रोजन के लिए कच्चे माल के कन्वर्जन के लिए आरएसएल के साथ रोजगार कार्य समझौता करेगी और कंपनी इस सहायक इकाई में संभावित निवेशकों को हिस्सेदारी बेच सकती है।
अधिग्रहण के लिए बोली लगाने में जोखिम रिलायंस का विदेशी अधिग्रहणों का ट्रैक रिकॉर्ड होगा। कंपनी ने अमेरिकन शेल गैस सेक्टर में अपने निवेश की भरपाई नहीं की है और उसे इसे बट्टे खाते में डालना पड़ा था। एक विश्लेषक ने नाम नहीं छापे जाने के अनुरोध के साथ कहा, 'तब से आरआईएल ने केकेआर, गूगल और फेसबुक जैसे कई निवेशकों को रिलायंस जियो में हिस्सेदारी बेचकर अपना कर्ज घटाकर कई बदलाव किए हैं।'
|