अत्यधिक गरीबी 12.3 फीसदी घटी: विश्व बैंक | इंदिवजल धस्माना / नई दिल्ली April 18, 2022 | | | | |
विश्व बैंक ने भी हाल के वर्षों में भारत में गरीबी कम होने की बात कही है। अपने कार्य पत्र में संस्था ने कहा है कि देश में अत्यधिक गरीबी काफी कम हुई है। उसने कहा कि 2011 में गरीबी का प्रतिशत 22.5 फीसदी था, जो 2019 में केवल 10.2 फीसदी रह गया। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी यही कहा था।
अर्थशास्त्रियों सुतीर्थ सिन्हा और रॉय वान डेर वीड द्वारा तैयार विश्व बैंक के कार्य पत्र के अनुसार 2011 से 2019 के दौरान शहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण इलाकों में गरीबी का प्रतिशत ज्यादा तेजी से घटा है। कार्य पत्र से पता चलता है कि ग्र्रामीण इलाकों में गरीबी में इस दौरान 14.7 फीसदी की गिरावट आई, जबकि शहरी इलाकों में गरीबी 7.9 फीसदी घटी है।
इस दौरान शहरी और ग्रामीण इलाकों में गरीबों की संख्या भी कुछ बढ़ी है। शहरी इलाकों में 2016 में गरीबी दो फीसदी बढ़ी (इस दौरान नोटबंदी की गई थी) और ग्रामीण इलाकों में 2019 में 0.1 फीसदी (अर्थव्यवस्था में नरमी का दौर) का इजाफा हुआ।
क्रय शक्ति क्षमता (पीपीपी) के पैमाने पर प्रतिदिन 1.9 डॉलर से कम कमाई करने वालों को अत्यधिक गरीब माना जाता है। पीपीपी में एक डॉलर का वर्तमान मूल्य 20.65 रुपये आंका गया है। विश्व बैंक ने स्पष्ट किया कि कार्य पत्र में इसके लेखकों के विचार हैं और जरूरी नहीं कि विश्व बैंक और उससे संबद्घ संगठन इस बात से सहमत हों।
इससे पहले आईएमएफ ने भी इसी तरह की रिपोर्ट जारी की थी। इसके लेखकों में आईएमएफ के भारत के निदेशक सुरजीत भल्ला, पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद विरमानी और नीति शोधकर्ता करण भसीन थे।
विश्व बैंक के कार्य पत्र में यह नहीं कहा गया है कि भारत में अप्रत्याशित गरीबी का तकरीबन उन्मूलन हो गया है जबकि आईएमएफ की रिपोर्ट में ऐसा कहा गया था। हालांकि दोनों पत्रों की गहराई से तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि विश्व बैंक ने लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था का अध्ययन नहीं किया था मगर आईएमएफ के पत्र में कोविड की पहली लहर 2020-21 के अध्ययन शामिल हैं। आईएमएफ के अध्ययन में कहा गया था कि अगर सरकार द्वारा मुफ्त अनाज वितरण को ध्यान में रखा जाए तो 2020-21 के दौरान अत्यधिक गरीबी का प्रतिशत 10.8 फीसदी से घटकर 1.42 फीसदी रह गया है।
अगर तुलनात्मक अवधि पर विचार करें तो आईएमएफ के अध्ययन में गरीबी में तेज गिरावट दिखाई देती है क्योंकि इसमें कहा गया है कि 2019-20 के दौरान अत्यधिक गरीबी घटकर 1.3 फीसदी रह गई है।
उल्लेखनीय है कि गरीबी का अनुमान राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) द्वारा कराए गए परिवारों के खपत और व्यय के सर्वेक्षण पर आधारित है। इस तरह का अद्यतन सर्वेक्षण 2011-12 का ही उपलब्ध है। 2017-18 में कराए गए सर्वेक्षण को सार्वजनिक नहीं किया गया था।
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