कोविड-19 महामारी फैलने का खतरा फिर सिर उठा रहा है तो स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के प्रीमियम भी चढऩे लगे हैं। कई नई और उन पॉलिसियों के प्रीमियम में 10-15 प्रतिशत का इजाफा देखा जा रहा है, जिनके नवीकरण की अवधि नजदीक आने वाली है। कई गैर-जीवन बीमा कंपनियां अपनी स्वास्थ्य पॉलिसियों पर प्रीमियम पहले ही बढ़ा चुकी हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान पिछले दो वर्षों में बीमा कंपनियों को कई भारी भरकम दावे निपटाने पड़े हैं। इतना ही नहीं स्वास्थ्य सेवाएं भी महंगी हो गई हैं, जिसे देखते हुए बीमा कंपनियां प्रीमियम में इजाफा कर रही हैं। कई पॉलिसियां उस चरण में पहुंच चुकी हैं, जहां प्रीमियम बढ़ाना जरूरी हो गया था। सामान्य बीमा परिषद के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2022 तक बीमा कंपनियों ने कोविड संबंधित स्वास्थ्य बीमा दावों के मद में 25,000 करोड़ रुपये रकम का भुगतान किया है। वित्त वर्ष 2021 के 7,900 करोड़ रुपये की तुलना में यह रकम तीन गुना अधिक है। पिछले वर्ष अप्रैल-मई में बड़ी संख्या में लोग कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर की चपेट में आए थे। बीमा कंपनियां तब प्रीमियम बढ़ाती हैं, जब उनकी स्वास्थ्य पॉलिसियों पर नुकसान का अनुपात अधिकतम सीमा पार कर जाता है। कोविड महामारी की वजह से कई बीमा कंपनियों का हानि अनुपात अधिक हो गया था। केयर हेल्थ इंश्योरेंस ने अपनी कुछ पॉलिसियों पर प्रीमियम 10 प्रतिशत बढ़ा दिया है। मणिपाल सिग्ना ने भी प्रीमियम में 10-15 प्रतिशत तक इजाफा किया है। एक अन्य बीमा कंपनी एचडीएफसी अर्गो ने भी प्रीमियम बढ़ा दिया है, जबकि नीवा बूपा को भी प्रीमियम बढ़ाने की मंजूरी बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीए) से मिल गई है। हालांकि इन दोनों कंपनियों का कहना है कि कोविड महामारी प्रीमियम बढ़ाने की मुख्य वजह नहीं है। खबर है कि स्वास्थ्य बीमा कारोबार खंड की सबसे बड़ी कंपनी स्टार हेल्थ इंश्योरेंस ने भी पॉलिसियां 15 प्रतिशत तक महंगी कर दी हैं। कंपनी ने बिजनेस स्टैंडर्ड के ई-मेल का कोई जवाब नहीं दिया। बीमा कंपनियां हर तीन वर्ष बाद पॉलिसियां महंगी कर सकती हैं मगर इससे पहले नियामक की अनुमति अनिवार्य है। पिछले दो वर्षों से अधिकांश बीमा कंपनियों ने स्वास्थ्य सेवाएं महंगी होने के बावजूद प्रीमियम नहीं बढ़ाया था। अस्पतालों को स्वास्थ्य सेवाएं महंगी करने के लिए किसी नियामक की मंजूरी नहीं लेनी पड़ती है। कई अस्पतालों ने कोविड के दौरान इलाज महंगा कर दिया था, जिससे बीमा कंपनियों के पास भारी भरकम दावे आने लगे। हालात जब बिगडऩे लगे तो आईआरडीए को बीमा दावों के लिए एक मानक तय करना पड़ा। नीवा बूपा हेल्थ इंश्योरसेंस में निदेशक (बिक्री, उत्पाद एवं दावे) भवतोष मिश्रा ने कहा कि कई बीमा कंपनियों ने प्रीमियम बढ़ाए हैं। उन्होंने कहा, 'हम केवल एक पॉलिसी का प्रीमियम बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं और दूसरी तिमाही में यह प्रभावी होगा।' मिश्रा ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में पॉलिसियों का दावा अनुपात बढ़ गया है और प्रीमियम बढ़ोतरी से कोविड का कोई लेना देना नहीं है। मणिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस में उत्पाद प्रमुख आशिष यादव कहते हैं, 'हमने हाल में ही मणिपाल सिग्ना प्रो-हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम बढ़ाया है और बीमा नियामक से हमें मंजूरी भी मिल गई है।' केयर हेल्थ इंश्योरेंस के प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी ने एक पॉलिसी का प्रीमियम 10.75 प्रतिशत बढ़ा दिया है। एचडीएफसी अर्गो के प्रवक्ता ने प्रीमियम बढ़ाए जाने की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि इलाज पर आने वाले खर्च में बढ़ोतरी को देखते हुए व्यक्तिगत स्वास्थ्य पॉलिसियों के लिए प्रीमियम बढ़ाए गए हैं। प्रत्येक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के प्रीमियम में हर तीन से चार वर्ष बाद इजाफा होता है। ऑनलाइन माध्यम से बीमा पॉलिसियां बेचने वाली कंपनी रीन्यूबाई के सह-संस्थापक इंद्रनील चटर्जी ने कहा, 'कोविड महामारी की वजह से बीमा कंपनियों को खासा नुकसान हुआ है। स्वास्थ्य बीमा कंपनियां अस्पताल में भर्ती होने पर आए खर्च के दावों की समीक्षा कर रही हैं और प्रीमियम बढ़ाने की चर्चा कर रही हैं।'
