इन्फोसिस में नौकरी छोडऩे की दर एलटीएम (पिछले 12 महीने) के आधार पर वित्त वर्ष 22 की चौथी तिमाही में 27.7 प्रतिशत के रिकॉर्ड शीर्ष स्तर पर पहुंच गई है। कंपनी ने बुधवार को यह खुलासा किया। हाल ही में देश की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने भी मार्च तिमाही में 17.4 प्रतिशत के साथ रिकॉर्ड स्तर पर नौकरी छोडऩे की दर दर्ज की है। पिछली पांच से छह तिमाहियों के दौरान आईटी सेवा उद्योग में नौकरी छोडऩे की दर बढ़ रही है, क्योंकि मांग लौट आई है और कंपनियां प्रतिभाओं को नियुक्त करने की होड़ में लगी हुई हैं। वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में इन्फोसिस ने नौकरी छोडऩे की दर 25.5 प्रतिशत दर्ज की थी, जबकि वित्त वर्ष 21 की चौथी तिमाही में यह संख्या 10.9 प्रतिशत थी। इन्फोसिस के सीएफओ नीलांजन रॉय ने कहा कि एलटीएम के आधार पर नौकरी छोडऩे की दर 27.7 प्रतिशत है। वास्तव में, इस तिमाही में नौकरी छोडऩे की दर में प्रतिशत और संपूर्ण, दोनों की रूप से करीब पांच प्रतिशत तक की कमी हुई है। बेशक, वार्षिक आधार का इस्तेमाल करने की वजह से यह संख्या बढ़ती रहेगी, लेकिन अच्छी खबर यह है कि हमें कुछ स्थिरता नजर आई है और वेतन वृद्धि जैसे हस्तक्षेपों पर विचार करने की वजह से इस बात की उम्मीद है कि हमें कुछ सुधार दिखना चाहिए। रॉय ने कहा कि नए कर्मचारियों के आने से नौकरी छोडऩे के दबाव में कमी आनी चाहिए। वित्त वर्ष 22 में इन्फोसिस ने करीब 85,000 नए कर्मचारियों को काम पर रखा है और वित्त वर्ष 23 के लिए इसकी योजना 50,000 से अधिक नए कर्मचारियों को रखने की है। 31 मार्च, 2022 को समाप्त होने वाली तिमाही में कंपनी ने 22,000 नए कर्मचारियों को शामिल किया था। हालांकि आईटी कंपनियों का कहना है कि वे और अधिक नए कर्मचारियों को काम पर रखकर तथा उप-ठेकेदारों को लेते हुए आपूर्ति-पक्ष की बाधाओं की व्यवस्था कर रही हैं, लेकिन इन उपायों से मार्जिन और लाभ पर असर पड़ रहा है। इन्फोसिस के मामले में चौथी तिमाही का मार्जिन 200 आधार अंक कम रहा है। इसी प्रकार टीसीएस ने चौथी तिमाही में 25 प्रतिशत की दर पर स्थिर मार्जिन दर्ज किया है, जो 26 से 28 प्रतिशत के दायरे में अपना मार्जिन बनाए रखने की कंपनी की आकांक्षा से कम है। रॉय ने कहा 'हम 88.5 प्रतिशत की उपयोगिता दर पर थे, जो हमारे लिए असुविधाजनक रूप से ज्यादा है। हमने इसे जानबूझाकर कम करके 87 प्रतिशत किया है। कुछ असर समयावधि की वजह से भी है -पिछली तिमाही के मुकाबले चौथी तिमाही में कार्य दिवस कम हैं। मार्जिन पर कुछ असर राजस्व पक्ष के संबंध में प्रतिकूल स्थिति के कारण था।'
