पूर्वी और पश्चिमी इलाकों के जलाशयों में पानी कम | सचिन मामबटा / मुंबई April 14, 2022 | | | | |
भारत के कुछ इलाकों में जलाशयों का स्तर सामान्य से कम है। पश्चिमी क्षेत्र का जलस्तर पिछले साल की तुलना मेंं 2.2 प्रतिशत कम है। केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ोंं से यह जानकारी मिली है। 2021 के दौरान पूर्वी क्षेत्र में जल का भंडारण कम रहा है। जल का भंडारण 2021 में ठीक रहा है, लेकिन यह पहले के 10 साल के औसत से 0.9 प्रतिशत कम बना हुआ है।
शेष इलाकोंं में जल भंडारण पहले के 10 साल के औसत से ज्यादा है। पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं। पूर्वी क्षेत्र मेंं झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नगालैंड और बिहार आते हैं।
केंद्रीय जल आयोग के वर्गीकरण के मुताबिक अन्य इलाकों में उत्तरी (हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान) मध्य (उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़) और दक्षिणी (आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु) शामिल हैं।
पश्चिमी क्षेत्र मेंं जल के भंडारण मेंं कमी की मुख्य वजह गुजरात में कम भंडारण है। गुजरात में भंडारण 7.54 अरब घन मीटर (बीसीएम) है, जबकि पिछले साल 8.32 बीसीएम था। पूर्वी इलाके में भंडारण में कमी की मुख्य वजह ओडिशा में मौजूदा भंडारण 6.48 बीसीएम होना है, जबकि 10 साल का औसत 7.25 बीसीएम है। 7 परियोजनाओं मेंं जल स्तर पहले के 10 साल के औसत से 50 प्रतिशत या इससे कम है।
इसी तरह की धारणा पहले के साल में भी नजर आती है, जब 10 परियोजनाओं में अप्रैल के पहले पखवाड़े में पानी कम था। इस साल जिन परियोजनाओं में पानी की कमी है, उनमें कर्नाटक, ओडिशा, राजस्थान और गुजरात शामिल हैं। कम जल स्तर वाली 7 परियोजनाओं मेंं 3 गुजरात में हैं। सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग ने गुजरात को जल संसाधन प्रबंधन में सबसे ऊपर रेटिंग दी थी। जून 2018 की रिपोर्ट में कहा गया है, 'उच्च से मध्यम प्रदर्शन करने वालों में गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना शामिल हैं, जिन्हें हाल के वर्षों में सूखे से जूझना पड़ा है। इन राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों से इनका प्रदर्शन सुधरा है। इसे पता चलता है कि सुधारात्मक कदम शुरू हो चुके हैं और कुछ इलाकों में अभी और करने की जरूरत है।'
गुजरात के बाद ओडिशा का स्थान है, जहां 2 परियोजनओं में 10 साल के औसत की तुलना मेंं 50 प्रतिशत से कम पानी है। इसमें माछकुंड (जालापुट) और अपर कोलाब शामिल हैं। ओडिशा के जल संसाधन विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि उसने 17.34 बीसीएम अतिरिक्त भंडारण क्षमता विकसित की है। वहींं 1.77 बीसीएम भंडारण क्षमता पर काम चल रहा है।
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