वित्त मंत्रालय ने इन्फोसिस से कहा है कि वह करदाताओं के रियल टाइम डेटा को तेजी और शुद्घता के साथ निकालने और आकलन के तरीके को इजाद करे। मंत्रालय ने इसका मकसद बताया है कि यह नीतिगत बदलावों पर निर्णय लेने के लिए अहम है। आयकर पोर्टल के दूसरे संस्करण की प्रगति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों ने इन्फोसिस की टीम से यह भी कहा है कि वे आईटीआर फॉर्म में पहले से भरे हुए डेटा के दायरे को बढ़ाएं। इस पोर्टल के इस्तेमाल में कुछ परेशानी उजागर हुई थी। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने पिछले महीने इन्फोसिस की टीम और सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) के साथ एक समीक्षा बैठक की थी। इस मामले से जानकार लोगों का कहना है कि उन्होंने इस बैठक में नए पोर्टल और अन्य कर रिटर्न संबंधी मामलों के संबंध में कई महत्त्वपूर्ण मुद्दे उठाए थे। कर रिटर्न फाइलिंग पर कार्रवाई सीपीसी करता है। पता चला है कि मंत्रालय ने कंपनियों, सरकारी प्रतिभूतियों, स्वर्ण बॉन्डों, बीमा, इक्विटी/इंट्राडे ट्रेडिंग डेटा, ईपीएफ में जमा पर ब्याज आंकड़ों और पहले से भरने के लिए जीएसटी डेटा की उपलब्धता के बारे में भी पूछताछ की। नए पोर्टल पर सभी संबंधित विभागों से डेटा को जुटाया जाएगा जिससे कि जिस व्यक्ति का आकलन किया जाना है (निर्धारिती) उसके द्वारा किए गए सभी लेनदेन को फॉर्म में पहले से भरा जा सके। इस मामले से अवगत अधिकारियों ने कहा कि एकीकृत प्रणाली निर्धारिती द्वारा दिए गए आंकड़ों के बीच विसंगतियों को देखेगी और स्टॉक एक्सचेंजों से जुटाए गए आंकड़ों से इसका मिलान करेगी जिसके लिए कृत्रिम बुद्घिमत्ता का सहारा लिया जाएगा। मंत्रालय ने इस प्रौद्योगिकी कंपनी से पोर्टल की नई भुगतान प्रणाली को भी तीव्र करने के लिए कहा है और इसे चालू वित्त वर्ष में शुरू करने के लिए कहा है। इसके चालू हो जाने पर विभिन्न विकल्पों के माध्यम से करों के भुगतान की अनुमति दी जाएगी जिसमें क्रेडिट कार्ड और यूनिफाइड पेमेंट इंटरफोस (यूपीआई) भी शामिल होगा। बैठक में इन्फोसिस ने कहा कि वह महीने के अंत तक प्रारूप और समयसीमा जमा करा सकती है। इन्फोसिस और वित्त मंत्रालय को भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं आया। मंत्रालय के अंदर के सूत्रों का कहना है कि नए पोर्टल में करों और शुल्क, जुर्माना जैसे अन्य शुल्कों के संग्रह तथा आयकर अधिनियम के तहत भुगतान किए जाने वाले रिफंड आदि कार्य के लिए और अधिक संख्या में निजी बैंक को जोड़ा जा सकता है। पोर्टल पर विभिन्न प्रकार के भुगतान विकल्प भी मुहैया कराए जाएंगे जिसमें यूपीआई और क्रेडिट कार्डों को भी शामिल किया जाएगा। फिलहाल, करदाताओं के पास बड़े निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के नेट बैंकिंग सुविधा के जरिये भुगतान का विकल्प है। ऐसे में जिन करदाताओं का बैंक पोर्टल से नहीं जुड़ा है उन्हें करों के भुगतान में मुश्किल होती है। डेबिट कार्डों से लेनदेन की अनुमति दी गई है लेकिन व्यापक तौर पर इसका इस्तेमाल नहीं होता है। अधिकारियों ने रिटर्नों पर कार्रवाई की गति में आने वाली चुनौतियों की भी चर्चा की। इन्फोसिस ने मंत्रालय से कहा कि कुल 5.46 करोड़ रिटर्न में से मार्च तक 4.88 करोड़ रिर्टन पर काम पूरा किया जा चुका है।
