देश में बेरोजगारी की दर फरवरी 2022 के 8.1 फीसदी से घटकर मार्च 2022 में 7.6 फीसदी रह गई। परंतु श्रम बाजार से जुड़ी अच्छी खबर यहीं समाप्त होती है। बाकी सभी आंकड़े यही बताते हैं कि मार्च 2022 में देश में श्रम बाजार के हालात निरंतर खराब हुए हैं। मार्च में श्रम भागीदारी दर (एलपीआर) दर गिरकर 39.5 फीसदी रह गई। यह फरवरी के 39.9 फीसदी के स्तर से कम थी। यह अप्रैल-जून 2021 में आई कोविड की दूसरी लहर की तुलना में भी कम थी। इससे पहले एलपीआर की सबसे कम दर जून 2021 में 39.6 फीसदी दर्ज की गई थी। अप्रैल-जून 2021 के दौरान औसत एलपीआर 40 फीसदी थी। मार्च 2022 में कोविड-19 की कोई लहर नहीं थी और आवागमन पर भी बहुत कम प्रतिबंध थे, इसके बावजूद केवल 39.5 फीसदी एलपीआर दर्ज की गई। मार्च 2022 में श्रम शक्ति में 38 लाख की कमी आई और काम करने वालों की तादाद घटकर 42.8 करोड़ रह गई। यह जुलाई 2021 के बाद आठ महीनों में सबसे कम श्रम शक्ति है। मार्च 2022 में रोजगार के आंकड़ों में 14 लाख की कमी आई और यह 39.6 करोड़ रह गया जो जून 2021 के बाद से न्यूनतम है। बेरोजगारों की गिनती मार्च 2022 में 24 लाख घटी। बेरोजगारी दर में कमी आने की यह भी एक वजह है। बेरोजगारों की कुल गणना या बेरोजगारी दर में कमी इसलिए नहीं आई क्योंकि ज्यादा तादाद में लोगों को रोजगार मिले। हम पहले ही देख चुके हैं कि मार्च में करीब 14 लाख रोजगार कम हुए जो काफी बड़ी तादाद है। मार्च 2022 में श्रम बाजार के आंकड़े दिखाते हैं कि देश गहरी आर्थिक निराशा से गुजर रहा है। लाखों लोगों ने श्रम बाजार छोड़ दिया। उन्होंने रोजगार की तलाश भी बंद भी कर दी। शायद वे रोजगार नहीं मिल पाने की वजह से हद से ज्यादा निराश हैं और उन्हें लग रहा है कि उनके लिए रोजगार उपलब्ध नहीं हैं। यह पहला मौका नहीं है जब एक ऐसे महीने में देश की श्रम शक्ति घटी है जब रोजगारशुदा और बेरोजगार दोनों की तादाद कम हुई है। एक महीने के दौरान ऐसी स्थिति बनना श्रम बाजार में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव के कारण या नमूना लेने में अंतर की वजह से भी हो सकता है। परंतु इस बार अलग बात यह है कि श्रम बाजार और उसके दोनों घटकों में एक लंबी अवधि के दौरान गिरावट आई यानी मार्च 2022 तिमाही के दौरान। बीते तीन वर्षों यानी जून 2018 तिमाही के बाद यह पहला मौका है जब हमें श्रम शक्ति में ऐसी गिरावट देखने को मिली है। एलपीआर में गिरावट दिखाती है कि रोजगार के अवसरों में पर्याप्त वृद्धि नहीं हो रही है। ऐसा इसलिए कि एलपीआर में श्रम शक्ति की तुलना कामगार आयु की आबादी के साथ की जाती है। कामगार आयु की आबादी तो बढ़ती ही रहती है भले ही रोजगार के अवसर उस अनुपात में न बढ़ें। इसके बाद एलपीआर में गिरावट आती है। परंतु श्रम शक्ति में विशुद्ध गिरावट दर्शाती है कि रोजगार के अवसरों में भी विशुद्ध रूप से गिरावट आयी है। हालात तब और बिगड़ जाते हैं जब हम रोजगार में गिरावट के कारणों की पड़ताल करते हैं। मार्च 2022 में रोजगार में 14 लाख की कमी बड़ी समस्या की ओर संकेत करती है। गैर कृषि रोजगारों में 1.67 करोड़ की कमी आई। हालांकि इसकी भरपाई कृषि क्षेत्र में 1.53 करोड़ रोजगारों से हो गई। कृषि क्षेत्र में रोजगार की यह वृद्धि फसलों की कटाई के कारण श्रमिकों की मौसमी मांग की बदौलत हुई। बहुत संभव है कि मार्च में कृषि में हुए रोजगार की वृद्धि ऐसी ही रही हो। मार्च में गैर कृषि रोजगार में गिरावट बहुत ज्यादा और चिंताजनक है। मार्च 2022 में औद्योगिक रोजगार में 76 लाख की कमी आयी। विनिर्माण क्षेत्र में 41 लाख रोजगार कम हुए, निर्माण क्षेत्र में 29 लाख और खनन क्षेत्र में 11 लाख रोजगारों की हानि हुई। उपयोगिता क्षेत्र में अवश्य थोड़ी वृद्धि देखने को मिली। विनिर्माण उद्योगों में रोजगार की हानि की बात करें तो सीमेंट और धातु क्षेत्र में सबसे अधिक नुकसान हुआ। विनिर्माण क्षेत्र के रोजगार में गिरावट चकित करने वाली है। 2020-21 की खस्ता हालत के बाद 2021-22 में ज्यादातर वक्त विनिर्माण रोजगार में सुधार हो रहा था। जुलाई 2021 में जरूर विनिर्माण रोजगार एक वर्ष पहले की तुलना में कमजोर स्थिति में रहे। इसके अतिरिक्त वर्ष के बाकी सभी महीनों में रोजगार सालाना आधार पर बेहतर स्थिति में रहे। मार्च में भी यह गति बनी रहने की आशा थी। मार्च 2022 में आई गिरावट को चौंकाने वाला माना जा सकता है। फरवरी की तुलना में मार्च में रोजगार में 12.5 फीसदी की गिरावट आयी जबकि मार्च 2021 की तुलना में यह 4.3 फीसदी कमतर रहा, यानी कोविड की दूसरी लहर के ऐन पहले की तुलना में। मार्च में आई गिरावट इसलिए भी चकित करने वाली है कि पारंपरिक तौर पर मार्च वर्ष के अन्य तरीकों की तुलना में अधिक व्यस्तता का महीना होता है। विनिर्माण क्षेत्र लॉकडाउन के झटकों से उबरा है। परंतु यह 6.4 करोड़ रोजगार के साथ स्थिर है। वह 6.8 करोड़ से 7.2 करोड़ रोजगार के 2018 के स्तर पर वापसी करने में नाकाम रहा। मार्च 2022 में विनिर्माण उद्योग में रोजगार घटकर 6.2 करोड़ रह गया। खुदरा कारोबार में रोजगार की तुलना निर्माण क्षेत्र से हो सकती है। फरवरी 2022 में व्यापार जगत में 7 करोड़ लोग रोजगारशुदा थे जो मार्च में घटकर 6.56 करोड़ रह गए। मार्च में रोजगार में 14 लाख की कमी का अर्थ है रोजगार दर में भी कमी। यह दर श्रम बाजार का सबसे अहम संकेतक है। रोजगार दर फरवरी 2022 के 36.7 फीसदी से घटकर मार्च में 36.5 फीसदी रह गई। मार्च 2022 के आंकड़े एक बार फिर यही बताते हैं कि बेरोजगारी दर आर्थिक हालात का विश्वसनीय संकेतक नहीं है। (लेखक सीएमआईई के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी हैं)
