इस वर्ष सामान्य रहेगा मॉनसून: मौसम विभाग | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली April 14, 2022 | | | | |
देश में इस साल मॉनसून 'सामान्य' रहने का अनुमान लगाया गया है। भारतीय मौसम विभाग ने आज कहा कि देश में इस वर्ष सामान्य वर्षा होगी और दीर्घ अवधि के औसत (एलपीए) की 99 प्रतिशत रहेगी। वर्ष 1971 से 2020 के बीच संग्रहीत आंकड़ों के आधार पर जून से सितंबर के बीच एलपीए बदलकर 87 सेंटीमीटर कर दिया गया है। इससे पहले 1961 से 2010 के बीच जुटाए गए आंकड़ों के आधार पर एलपीए 88.1 सेंटीमीटर था।
मौसम विभाग के अनुसार वर्षा का अनुमान 5 प्रतिशत कम या अधिक रह सकता है। अगर एलपीए 96 से 104 के बीच रहता है तो इसे 'सामान्य' माना जाता है। मौसम का पूर्वानुमान लगाने वाली निजी संस्था स्काईमेट ने इसी सप्ताह वर्ष 2020 में देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून एलपीए का 98 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था। स्काईमेट ने भी अपना अनुमान 5 प्रतिशत ऊपर या नीचे रहने की बात कही है।
मॉनसून सामान्य रहा तो देश में कृषि उत्पादन में इजाफा होगा, जिससे आने वाले महीनों में महंगाई पर कुछ हद तक अंकुश लग सकता है। इसके साथ ही कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन दमदार रहने से आर्थिक हालात में भी मजबूती आएगी।
भारतीय अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंध अनुसंधान परिषद (इक्रियर) के अशोक गुलाटी ने कहा, 'मॉनूसन सामान्य रहने के अनुमान से कुछ जिसों के दाम कम हो सकते हैं। खासकर देश में उगाई गईं सब्जियों के भाव जरू र कम होंगे। मगर आयातित खाद्य पदार्थ जैसे खाद्य तेल आदि के दाम ऊंचे स्तर पर बरकरार रह सकते हैं।' रूस-यूक्रेन सैन्य संघर्ष से पूरी दुनिया में महंगाई की मार दिखेगी और भारत में मॉनसून सामान्य रहने के बावजूद यह कम से कम 6 प्रतिशत पर ही रहेगी। मौसम विभाग ने कहा है कि भू-मध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र पर 'ला लीना' प्रभाव दिख रहा है। विज्ञप्ति के अनुसार ताजा मॉनसूनी प्रारूप संकेत दे रहे हैं कि जून से सितंबर के दौरान भी 'ला लीना' प्रभाव दिख सकता है। विभाग ने कहा कि फिलहाल हिंद महासागर के ऊपर तटस्थ इंडियन ओशन डायपोल (आईओडी) प्रभाव है और ताजा अनुमानों के अनुसार यह स्थिति दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के आने तक बनी रह सकती है। सागर की सतह के तापमान में अनियमित बदलाव को आईओडी कहा जाता है। इसमें पश्चिमी हिंद महासागर का हिस्सा पूर्वी हिस्से की तुलना में बारी-बारी से गर्म और ठंडा होता रहता है।
विभाग ने इस बारे में कहा कि उसकी नजर प्रशांत और हिंद महासगारों की सतह के तापमान पर है और जून में वह मॉनसून का अनुमान अद्यतन करेगा। इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, 'शहरी क्षेत्रों में ठेके पर नौकरियों के अवसर फिर बढ़ रहे हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों की उपलब्धता कम रह सकती है, जिसका असर खरीफ फसलों के उत्पादन पर हो सकता है। इसके अलावा उर्वरकों की कीमतों और इनकी उपलब्धता पर भी नजर रखनी होगी।'
|