सेबी ने बीएसई एनएसई पर जुर्माना लगाया | बीएस संवाददाता / मुंबई April 13, 2022 | | | | |
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग (केएसबीएल) द्वारा की गई गलती का पता लगाए जाने में बरती गई सुस्ती के लिए बीएसई पर 3 करोड़ रुपये और एनएसई पर 2 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
हैदराबाद स्थित ब्रोकिंग कंपनी ने अनधिकृत गिरवी के जरिये 95,000 ग्राहकों से संबंधित 2,300 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियों का दुरुपयोग किया। ब्रोकरेज द्वारा इन कोष का इस्तेमाल किया गया और उसकी समूह इकाइयों द्वारा आठ बैंकों से 851 करोड़ रुपये जुटाए गए थे।
बाजार नियामक ने बीएसई और एनएसई में कई खामियां पाई थीं और केएसबीएल को अपने ग्राहकों से जुड़ी प्रतिभूतियों के दुरुपयोग की अनुमति दी थी। सेबी ने कहा है कि डीमैट खातों में इस गड़बड़ी का पता लगाने में विफल रहने से केएसबीएल को ग्राहकों के शेयर एक डीमैट खाते से दूसरे में बगैर किसी अलर्ट जारी किए स्थानांतरित करने में मदद मिली।
सेबी द्वारा जारी किए गए दो अलग अलग आदेशों में कहा गया है, 'केएसबीएल द्वारा गलत इस्तेमाल से निवेशकों को नुकसान होने का पता चलता है जो ऐसी स्थिति में हो सकता है जब अनियमित लेनदेन का समय पर पता नहीं चले।'
खातों को गलत तरीके से जोडऩा
बीएसई और एनएसई के खिलाफ सेबी के आदेश से यह पता चला है कि कैसे केएसबीएल ने दोनों एक्सचेंजों का इस्तेमाल किया। ब्रोकरेज ने अपने 95,000 ग्राहकों से संबंधित 2,300 करोड़ रुपये की प्रतिभूतियां स्थानांतरित करने के लिए एनएसडीएल के साथ खुले अपने डीमैट खाते का गलत तरीके से इस्तेमाल किया। इतने बड़े प्रतिभूति स्थानांतरण से नियामकीय नियम प्रभावित हुआ, क्योंकि इस खाते को सही तरीके से नहीं जोड़ा गया था।
वर्ष 2019 में ग्राहकोंं कीी वसूली को लेकर भी मामला सामने आया था। सेबी ने केएसबीएल के तब खिलाफ पक्षपातपूर्ण आदेश जारी किया, जब अनधिकृत गिरवी मामला सुर्खियों में आया। सेबी के प्रयासों से, डिपोजिटरी और एक्सचेंजों ने केएसबीएल के ग्राहकों को उनका बकाया वसूलने में मदद की। दिसंबर 2019 में एनएसडीएल से डिपोजिटरी नने कहा था कि प्रतिभूतियां केएसबीएल डीमैट खाते से 82,559 ग्राहकों को लौटाई गई थीं।
नवंबर 2020 में, एनएसई ने कहा था कि केएसबीएल के करीब 235,000 निवेशकों से संबंधित 2,300 करोड़ रुपये मूल्य के कोष और प्रतिभूतियों का निपटान किया गया था।
नियमों में बदलाव
केएसबीएल गड़बड़ी के बाद, सेबी ने ब्रोकर द्वारा दुरुपयोग रोकने के लिए शेयरों के गिरवी से संबंधित नियमों में बदलाव किए हैं। हालांकि नियामक ने पावर ऑफ अटॉर्नी की अवधारणा को समाप्त नहीं किया है, जिसमें शुरू में ब्रोकरों को ग्राहक प्रतिभूतियों तक पहुंच बनाने की अनुमति थी।
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