बढ़ती गर्मी में मंत्रालयों के बीच समन्वय की चर्चा फिर से गर्म | शाइन जैकब और विवेट सुजन पिंटो / चेन्नई/मुंबई April 12, 2022 | | | | |
तेज लू के बीच देश में बिजली कटौती में उछाल आ रही है। इसके साथ ही बिजली, कोयला और रेलवे मंत्रालय ने एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालना शुरू कर दिया है। आंकड़ों से पता चलता है कि रैकों की उपलब्धता या फ्रेट वैगन एक प्रमुख मुद्दा है जिसके कारण जून में संभावित बिजली संकट पैदा हो सकती है। इस संकट को टालने के लिए रेलवे मंत्रालय अन्य क्षेत्र को आवंटित रैक वापस लेकर बिजली उद्योग को दे सकता है।
रैकों का इस्तेमाल ताप विद्युत संयंत्रों तक कोयला पहुंचाने के लिए किया जाता है। कोयले की कमी से बिजली उत्पादन पर असर पड़ता है। ताजा आंकड़ों के आधार पर 11 अप्रैल को बिजली की कमी 6.319 करोड़ यूनिट दर्ज की गई थी जबकि 11 मार्च को यह आंकड़ा 98.9 लाख यूनिट था। 7 अप्रैल को 8 करोड़ यूनिट बिजली की कमी दर्ज की गई थी जो 12 अक्टूबर, 2021 को दर्ज की गई 8.2 करोड़ यूनिट कमी के सर्वकालिक उच्च स्तर के करीब है। दूसरी ओर 11 अप्रैल को उच्च मांग के दौरान 1,865 मेगावॉट आपूर्ति की कमी दर्ज की गई थी जो एक महीने पहले दर्ज की 773 मेगावॉट की कमी से अधिक है।
एसोसिएशन ऑफ पावर प्रोड्यूसर्स के महानिदेशक अशोक खुराना ने कहा, 'बिजली की कोई किल्लत नहीं है। हम 197 से 198 गीगावॉट तक बिजली का उत्पादन कर रहे हैं और अपनी मौजूदा क्षमता के साथ हम 215 गीगावॉट तक उत्पादन कर सकते हैं। हमारे पास अब भी कई ऐसे संयंत्र हैं जो पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं। आरोप प्रत्यारोप ने हमेशा ही बिजली क्षेत्र का नुकसान किया है। हमें अब तक नहीं पता कि हम रेलवे को जिम्मेदार ठहराएं या फिर कोयला मंत्रालय को। आंकड़ों से यही पता चल रहा है कि समस्या वैगन की कमी का है।'
भारतीय रेलवे के पास उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर कोयला और कोक के लदान के लिए रैकों की उपलब्धता में 11 फीसदी का इजाफा किया गया जबकि उतराई में 22 फीसदी की गिरावट आई। इसी प्रकार की गिरावट टन भार के मामले में भी देखी गई थी।
मौजूदा परिस्थिति के बारे में पूछे जाने पर कोल इंडिया के कार्यकारी ने कहा, 'रेल-रोड मोड में की गई अतिरिक्त पेशकश के तहत सीआईएल ने कुल 1.116 करोड़ टन की पेशकश की थी जिसमें से उठाव केवल 57 फीसदी या 64.1 लाख टन का हुआ और 47.5 लाख टन बिना उठाव के ही रह गया।'
इसको लेकर उद्योग के सूत्रों का कहना है कि यह स्थिति विद्युत संयंत्रों से मांग में कमी के कारण या फिर रेलवे द्वारा रैक की कम उपलब्धता के कारण पैदा हुई। मार्च में बिजली क्षेत्र ने रोजाना 3.03 अरब यूटिन उत्पादन का अनुमान जताया था जबकि वास्तविक उत्पादन बढ़कर 3.4 अरब यूनिट रहा।
इसके कारण से कोयला भंडार में कमी आई। आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्य बिजली कटौती से जूझ रहे हैं। तमिलनाडु कोयला आयात करने की प्रक्रिया में जुटा है। मुंबई में अब तक लोड शेडिंग की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है लेकिन बिजली उद्योग के सूत्रों का मानना है कि गर्मी में उछाल जारी रहने से मई में मांग चरम पर होगी।
अवगत सूत्रों के मुताबिक फिलहाल मुंबई की बिजली मांग 3,500 मेगावाट के करीब है जिसकी आपूर्ति अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई (एईएमएल) और टाटा पावर जैसे वितरण कंपनियां कर रही हैं।
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