भारतीय निर्गमकर्ताओं की उधारी वैश्विक प्रतिस्पर्धियों से कम | सचिन मामबटा / मुंबई April 12, 2022 | | | | |
भारतीय निर्गमकर्ता अपने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बॉन्डों के जरिये कम उधारी ले रहे हैं। व्यवसाय पर नजर रखने वाली रेफिनिटिव के आंकड़े से लंदन स्टॉक एक्सचेंज गु्रप (एलएसईजी) बिजनेस के विश्लेषण से पता चलता है कि बॉन्ड निर्गमों की कुल वैल्यू मार्च 2022 में पिछली चार तिमाहियों के आधार पर मार्च 2019 की समान अवधि के मुकाबले 10.1 प्रतिशत कम थी।
मार्च 2019 में समाप्त चार तिमाहियों महामारी शुरू होने से पहले संपूर्ण वित्त वर्ष वाली अवधि थीं। तुलनात्मक तौर पर वैश्विक बॉन्ड निर्गमों में 39.3 प्रतिशत तक की तेजी आई। उभरते बाजार के निर्गमों में 42.8 प्रतिशत तक की तेजी आई।
निर्गमकर्ता आंकड़ा विश्लेषण से पता चलता है कि बड़ी कमजोरी इसलिए भी आई क्योंकि वित्तीय क्षेत्र द्वारा कम बॉन्ड निर्गम दर्ज किए गए। फाइनैंशियल सेगमेंट के निर्गम समीक्षाधीन अवधि में 33.3 प्रतिशत तक घटे हैं।
वहीं समान अवधि के दौरान गैर-वित्तीय निर्गमों में दोगुने से ज्यादा (106.6 प्रतिशत तक) इजाफा दर्ज किया गया। बॉन्ड निर्गमों में वित्तीय क्षेत्र का बड़ा योगदान है। इसका मार्च 2019 में समाप्त चार तिमाहियों तक निर्गमों में 80 प्रतिशत से ज्यादा का योगदान था।
जनवरी 2019 में प्रकाशित आरबीआई बुलेटिन में भारतीय कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार पर जारी एक रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय रुझान का भारत में बॉन्ड बाजार में दबदबा है। यह वित्तीय प्रणाली के अनुरूप है, जिसमें बैंकों का दबदबा है।
आरबीआई के आर्थिक एवं नीतिगत शोध विभाग में वित्तीय बाजारों के डिवीजन के शोध अधिकारी श्रोमोना गांगुली द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसा खासका एशिया समेत कई उभरते बाजारों में देखा गया है। भारत का कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार अपेक्षाकृत कम विकसित बना हुआ है।
इसमें कहा गया है, 'बाजार के प्राथमिक और सेकंडरी सेगमेंट, दोनों पर इन्फ्रास्ट्रक्चर और वित्तीय सेवा कंपनियों द्वारा बॉन्ड निर्गमों का दबदबा है, जबकि निर्माण कंपनियों की भागीदारी नगण्य है। कॉरपोरेट ऋण का नियोजन काफी हद तक प्राइवेट बना हुआ है और कुल कोष उगाही में उसका योगदान 98 प्रतिशत पर है।'
अगस्त 2016 में 'रिपोर्ट ऑन वर्किंग गु्रप ऑन डेवलपमेंट ऑफ कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट इन इंडिया' नाम से जारी नियामकीय रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक फंडिंग पर निर्भरता और कॉरपोरेट बॉन्ड बाजारों के लिए जरूरत बढ़ी है।
इसमें कहा गया है, 'उधारकर्ताओं के लिए बैंक फाइनैंसिंग को पसंद करने के लिए ढांचागत रियायतें हैं, जैसे कैश क्रेडिट सिस्टम और गैर इस्तेमाल से संबंधित कार्यशील पूंजी सीमा के लिए रियायत नहीं दिया जाना आदि।'
बैंकों द्वारा कितनी उधारी दी जाती है, जिसके लिए समायोजित नॉन-फूड बैंक के्रडिट का योगदान 2018-19 में वाणिज्यिक क्षेत्र के लिए कुल संसाधनों प्रवाह में 52.3 प्रतिशत रहा। दूसरे शब्दों में, महामारी से पहले इस्तेमाल भारत के वाणिज्यिक क्षेत्र द्वारा कुल पूंजी का करीब आधा हिस्सा बैंकों से आया।
वित्तीय बनाम गैर-वित्तीय सेगमेंटों जुटाई गई पूंजी पर नजर डालें तो पता चलता है कि बॉन्ड बाजार में गैर-वित्तीय निर्गमकर्ताओं के लिए तेज वसूली दर्ज की गई है। विश्लेषकों का मानना है कि कंपनियों और पूंजी जुटाएंगी, क्योंकि उनका मानना है कि उन्हें बढ़ते पूंजीगत खर्च के लिए इसकी जरूरत है।
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