अहमदाबाद स्थित इंटरसिटी एवं इंट्रासिटी मोबिलिटी सॉल्युशन प्रदाता चार्टर्ड स्पीड की मासिक दर महामारी से पहले जैसे स्तर पर लौट रही है, और कंपनी 600 करोड़ रुपये से ज्यादा का आईपीओ लाने की योजना बना रही है। कंपनी ने अपने बस बेड़े और शहर में विस्तार योजना के लिए पूंजी जुटाने की तैयारी की है। मौजूदा 1,000 बसों में करीब 5 प्रतिशत ईवी हैं और चार्टर्ड स्पीड अगले डेढ़ साल में अन्य 1,000-1,200 बसें जोडऩे की योजना बना रही है। चार्टर्ड स्पीड लिमिटेड के पूर्णकालिक निदेशक संयम गांधी ने कहा कि इसके अलावा, मोबिलिटी सॉल्युशंस के विद्युतीकरण में बढ़ते अवसरों से उत्साहित कंपनी अपने बेड़े में ईवी बसों की भागीदारी बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक करने की संभावना तलाश कर रही है। गांधी ने कहा, 'न सिर्फ ईवी की आपूर्ति बढ़ रही है बल्कि आपूर्ति का समय भी घट रहा है, क्योंकि ओईएम और मोबिलिटी सॉल्युशन प्रदाता निविदाओं में हिस्सा ले रहे हैं। शहरी मोबिलिटी के लिए हम ज्यादा निविदाओं के लिए बोलियां लगा रहे हैं और यह ऐसी स्थिति है जब आईपीओ की लोकप्रियता बढी है। यह ईवी की वजह से है। आपको लंबी अवधि के भुगतान कार्यकाल की जरूरत है, जो बैंकों के साथ उपलब्ध नहीं है।' अपने प्रतिस्पर्धियों के विपरीत, चार्टर्ड स्पीड की न सिर्फ कई राज्यों में उपस्थिति है बल्कि वह उन राज्य सरकारों की भागीदारी में काम करने वाली एकमात्र कंपनी है जो सार्वजनिक परिवहन ढांचे के इस्तेमाल की अनुमति देती हैं। उद्योग शोध के अनुसार, भारतीय मोबिलिटी परिदृश्य में सड़क के जरिये 86 प्रतिशत यात्री यात्रा करते हैं, जिनमें से 64 प्रतिशत बसों के जरिये करते हैं। हालांकि भारत की करीब 47 प्रतिशत आबादी ऐसे राज्यों में रहती है जहां बसें प्रति 1,000 व्यक्ति पर करीब 0.29 बसों के राष्ट्रीय औसत से कम है। इस मामले में भारत ब कंपनी खासकर शहरी सार्वजनिक परिवहन के संदर्भ में राष्ट्रीय औसत से नीचे कई राज्यों में प्रवेश करने की संभावना तलाश रही है। चार्टर्ड स्पीड अगले दशक में ईवी परिचालन के लिए 150,000 राज्य परिवहन उद्यमों (एसटीयू) में भी अवसर तलाश रही है। कंपनी ने आईपीओ लाने की योजना ऐसे समय में बनाई है जब वह महामारी से पहले जैसी स्थिति में लौटने की संभावना देख रही है। उदाहरण के लिए, चार्टर्ड स्पीड ने वित्त वर्ष 2019-20 में 340 करोड़ रुपये का राजस्व दर्ज किया, जो वित्त वर्ष 2020-21 में कोविड-19 के पहले वर्ष के दौरान घटकर 140 करोड़ रुपये रह गया और अब इसके सुधरकर करीब 200 करोड़ रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है।
