तार्किक हो कीमत | संपादकीय / April 12, 2022 | | | | |
दूरसंचार नियामक ने 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी को लेकर जो अनुशंसा की है वह सरकार द्वारा हाल में इस क्षेत्र में सुधार के लिए उठाए गए कदमों के अनुरूप है। 3.3 से 3.6 गीगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम बैंड के आधार मूल्य में 36 फीसदी की कमी और 700 मेगाहट्र्ज के प्रीमियम बैंड में 40 फीसदी की कमी का संकेत देकर 5जी सेवाओं को सुविधा देने का भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का कदम एक बड़े बदलाव की मांग का प्रत्युत्तर है। ट्राई ने 2018 में मध्यम बैंड 5जी के लिए 492 करोड़ रुपये के आरक्षित मूल्य की अनुशंसा की थी जिसे कई अंशधारकों ने बहुत ज्यादा बताया था। वित्तीय संकट से जूझ रहे दूरसंचार क्षेत्र में ट्राई की 5जी स्पेक्ट्रम का आधार मूल्य कम करके 317 करोड़ रुपये करने की अनुशंसा काबिले तारीफ कदम है, हालांकि दूरसंचार कंपनियों ने और कमी की मांग की थी।
चूंकि इन अनुशंसाओं को केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजने के पहले इन पर विचार करने का काम दूरसंचार विभाग का है इसलिए अगर अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार कीमत अधिक है तो इनमें और कमी की जा सकती है। दक्षिण कोरिया, स्पेन, इटली और ब्र्रिटेन जैसे देशों में 5जी बैंड की नीलामी 85 करोड़ रुपये से 90 करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज के और कम मूल्य में हुई थी।
ऐसी कई वजह हैं जिनके चलते सरकार को कीमतों को हकीकत के करीब रखना चाहिए। पहली बात, एक दशक से भी पहले हुई 3जी स्पेक्ट्रम नीलामी की तरह उद्योग जगत पर क्षमता से अधिक धनराशि चुकाने का दबाव नहीं बनाना चाहिए। दूसरा, स्पेक्ट्रम की कीमत अगर अधिक रखी गई तो पिछली दो नीलामियों की तरह इस बार भी वह अनबिका रह जाएगा। इससे न केवल दूरसंचार उद्योग प्रभावित होगा बल्कि 5जी स्पेक्ट्रम से लाभान्वित हो सकने वाले कई अन्य क्षेत्र भी प्रभावित होंगे। तीसरा, अगर स्पेक्ट्रम जैसे मूल्यवान संसाधन का जनहित में अधिकतम उपयोगी इस्तेमाल करना है तो इसके लिए प्रभावी स्पेक्ट्रम मूल्य का तार्किक होना बहुत आवश्यक है। हाल ही में ट्राई भी अपने मशविरा पत्र में यह बात कह चुका है।
अब तक की सबसे बड़ी स्पेक्ट्रम नीलामी को सफल बनाने के लिए प्रभावी मूल्य तय करना अहम है। अनुमान है करीब दो महीनों में दो लाख करोड़ से तीन लाख करोड़ रुपये मूल्य के स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी। व्यापक स्तर पर सरकार ने गत वर्ष इस क्षेत्र को पैकेज की घोषणा कर सही शुरुआत की थी। सितंबर 2021 में उसने कुछ सुधारों को मंजूरी दी ताकि इस क्षेत्र की नकदी की जरूरत पूरी की जा सके। खासतौर पर वोडाफोन आइडिया को लेकर जो पतन के कगार पर थी। राहत पैकेज में समायोजित सकल राजस्व से संबद्ध बकाये के भुगतान को चार वर्ष तक स्थगित करने की बात शामिल थी।
इसके बाद ही दूरसंचार कंपनियों द्वारा शुल्क दरें बढ़ाने (जो अब भी दुनिया की सबसे न्यूनतम दरों में शामिल हैं) का निर्णय लिया। प्रति उपभोक्ता औसत मासिक राजस्व 115 से 160 रुपये के बीच है और इसमें इजाफा जरूरी है। यदि 5जी का आरक्षित मूल्य तार्किक हो तो संकट से गुजर रहे दूरसंचार उद्योग की स्थिति बेहतर करने में मदद की जा सकती है। जैसा कि ट्राई की स्पेक्ट्रम नीलामी अनुशंसा से पता चलता है दूरसंचार कंपनियां सामाजिक-आर्थिक विकास तथा विभिन्न क्षेत्रों के आधुनिकीकरण का एक अहम उपाय हैं। स्पेक्ट्रम उसमें अहम भूमिका निभा सकता है।
ट्राई के अनुसार कुल मोबाइल डेटा खपत सितंबर 2016 में समाप्त तिमाही के 462 पेटाबाइट से बढ़कर दिसंबर 2021 में समाप्त तिमाही में 34,608 पेटाबाइट हो गई है। 4जी सेवाओं के साथ 75 गुना का यह इजाफा भारत को सर्वाधिक डेटा इस्तेमाल करने वाले देशों में से एक बनाता है। 5जी भारत को अगले स्तर तक पहुंचाने का काम करेगा।
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